अपडेटेड 9 September 2025 at 15:10 IST

शैलेंद्र सिंह मोंटी पर बेनामी संपत्ति का आरोप, शिकायतकर्ता बोले– "सिस्टम ने आंखें मूंद लीं"

लोकायुक्त की जांच रिपोर्ट में बीजेपी नेता और पूर्व पार्षद शैलेंद्र सिंह मोंटी पर करोड़ों की बेनामी संपत्ति बनाने का आरोप साबित होने के बावजूद अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इस मामले को सबसे पहले दयानंद कोचवाल नाम के शख्स ने उठाया था।

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Shailendra Singh Monty | Image: X

दिल्ली में भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला कार्रवाई के अभाव में ठंडे बस्ते में जाता नजर आ रहा है। लोकायुक्त की जांच रिपोर्ट में बीजेपी नेता और पूर्व पार्षद शैलेंद्र सिंह मोंटी पर करोड़ों की बेनामी संपत्ति बनाने का आरोप साबित होने के बावजूद अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इस मामले को सबसे पहले दयानंद कोचवाल नाम के शख्स ने उठाया था। 

उन्होंने लोकायुक्त के समक्ष दस्तावेज़ और सबूत पेश किए और बताया कि मोंटी ने अपने पार्षद कार्यकाल (2007–2017) के दौरान पद का दुरुपयोग कर हौज खास और ग्रीन पार्क एक्सटेंशन जैसे पॉश इलाकों में करोड़ों की अवैध संपत्तियां बनाई हैं। कोचवाल का कहना है कि उन्होंने इस मामले में उपराज्यपाल से भी शिकायत की और यहां तक कि हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया। कोर्ट ने एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) को जांच की बात कही थी, लेकिन इसके बावजूद कार्रवाई नहीं हो पाई।

"भ्रष्टाचार साबित, फिर भी कार्रवाई नहीं" – कोचवाल

दयानंद कोचवाल का आरोप है कि मोंटी के बैंक खातों में करोड़ों के संदिग्ध ट्रांजेक्शन पाए गए। इनमें ₹25 लाख से लेकर ₹2 करोड़ तक के बड़े अमाउंट शामिल हैं। लेकिन पूछने पर मोंटी न तो कोई ठोस जवाब दे पाए और न ही पैसों के स्रोत का सबूत दे सके। कोचवाल कहते हैं –"जब लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग की पुष्टि कर दी, तो फिर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? क्या बड़े नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत के बिना ऐसा संभव है?"

DDA और लोकायुक्त की पुष्टि

दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने भी रिपोर्ट में पुष्टि की है कि मोंटी द्वारा बनाई गई कई संपत्तियां योजना क्षेत्र में हैं और बिना मंज़ूरी के खड़ी की गई हैं। लोकायुक्त ने इस मामले को गंभीर मानते हुए FIR दर्ज करने और अवैध निर्माण गिराने के निर्देश दिल्ली पुलिस कमिश्नर को दिए थे। साथ ही, मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका जताते हुए जांच ED से कराने की सिफारिश की गई थी।

कार्रवाई के इंतजार में न्याय

लेकिन इन सभी निर्देशों के बावजूद न तो FIR दर्ज हुई और न ही प्रवर्तन निदेशालय ने कोई कदम उठाया। इससे शिकायतकर्ता दयानंद कोचवाल समेत कई लोगों के मन में सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या सिस्टम नेताओं को बचाने के लिए मौन है? कोचवाल का कहना है –"मैं पिछले कई सालों से इस भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहा हूं। अदालत से लेकर उपराज्यपाल तक शिकायत की, लेकिन हर जगह फाइल दबा दी गई। अगर लोकायुक्त की रिपोर्ट पर भी कार्रवाई नहीं होगी, तो भ्रष्टाचारियों को खुली छूट मिल जाए।

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Published By : Ankur Shrivastava

पब्लिश्ड 9 September 2025 at 15:10 IST