अपडेटेड 8 December 2025 at 19:14 IST
वंदे मातरम् भारत के इतिहास, वर्तमान और भविष्य से जुड़ा है, इस गीत के कारण सदियों से सोया हुआ भारत जाग उठा- राजनाथ सिंह
Rajnath Singh News: लोकसभा में चर्चा के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि वंदे मातरम् के साथ जो न्याय होना चाहिए था वह न्याय नहीं हुआ। जिस धरती पर वंदे मातरम् की रचना हुई, उसी धरती पर 1937 में कांग्रेस ने इस गीत को खंडित करने का फैसला किया।
Rajnath Singh in Lok Sabha: लोकसभा में जारी वंदे मातरम् पर चर्चा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी भाग लिया। उन्होंने राष्ट्रगीत के इतिहास को लेकर अपने विचार रखे और कहा कि यह वंदे मातरम् भारत के इतिहास, वर्तमान और भविष्य के साथ जुड़ा हुआ है। उन्होंने ये भी कहा कि वंदे मातरम् के साथ इतिहास का सबसे बड़ा छल हुआ। इस राजनीतिक छल और अन्याय के बारे में सभी पीढ़ियों को जानना चाहिए।
लोकसभा में आज, 8 दिसंबर को वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने पर विशेष चर्चा हो रही है। चर्चा की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। इसके बाद अखिलेश यादव, अनुराग ठाकुर से लेकर प्रियंका गांधी वाड्रा समेत कई सांसदों ने इस पर अपने विचार रखे।
वंदे मातरम् सिर्फ बंगाल तक ही सीमित नहीं था- राजनाथ सिंह
चर्चा के दौरान बोलते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "वंदे मातरम् भारत के इतिहास, वर्तमान और भविष्य के साथ जुड़ा है। वंदे मातरम् ने ब्रिटिश साम्राज्य से लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को ताकत दी। ये वो गीत है, जिसकी वजह से सदियों से सोया हुआ हमारा देश जाग उठा था। यह गीत आधी स्वतंत्रता संग्राम का प्रेरक बना। यह गीत जिसकी आवाज इंग्लिश चैनल पार कर ब्रिटिश पार्लियामेंट तक पहुंच गई थी।"
उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् सिर्फ बंगाल तक ही सीमित नहीं था। यह पूरे भारत में उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम तक फैल गया। पंजाब, तमिलनाडु और बॉम्बे प्रेसीडेंसी में भी लोगों ने वंदे मातरम् का नारा लगाना शुरू कर दिया। यह सिर्फ भारत में ही नहीं था, देश के बाहर भी, वंदे मातरम् विदेश में रहने वाले भारतीयों के लिए एक मंत्र की तरह था। भारतीय जहां भी थे, लंदन, पेरिस, जिनेवा, कनाडा, वे वंदे मातरम् का नारा लगाते रहे।
'वंदे मातरम् के साथ न्याय नहीं हुआ'
राजनाथ सिंह ने कहा, "आज, जब हम वंदे मातरम् की डेढ़ शताब्दी की गौरवशाली यात्रा का जश्न मना रहे हैं, तो हमें यह सच स्वीकार करना होगा कि वंदे मातरम् के साथ जो न्याय होना चाहिए था वह न्याय नहीं हुआ। आज आजाद भारत में, राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत को बराबर दर्जा देने की बात हो रही थी, लेकिन एक हमारी राष्ट्रीय चेतना का अहम हिस्सा बन गया। इसे समाज और संस्कृति की मुख्यधारा में जगह मिली। यह हमारे राष्ट्रीय प्रतीकों में शामिल हो गया। वह गीत हमारा जन गण मन था।"
रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि दूसरे गीत को किनारे कर दिया गया और नजरअंदाज किया गया। वह गीत वंदे मातरम् है। उसके साथ एक एक्स्ट्रा की तरह व्यवहार किया गया। जिस धरती पर वंदे मातरम् की रचना हुई, उसी धरती पर 1937 में कांग्रेस ने इस गीत को खंडित करने का फैसला किया। सभी पीढ़ियों को वंदे मातरम् साथ हुए राजनीतिक धोखे और अन्याय के बारे में पता होना चाहिए इसीलिए यह चर्चा हो रही है, क्योंकि यह अन्याय सिर्फ एक गीत के साथ नहीं, बल्कि आजाद भारत के लोगों के साथ हुआ।
‘कुछ लोग हमारे खिलाफ यह नैरेटिव बनाने की कोशिश…’
राजनाथ सिंह ने आगे यह भी कहा कि वंदे मातरम् के साथ जो नाइंसाफी हुई, उसे समझना भी जरूरी है जिससे आने वाली पीढ़ियां ऐसा करने वालों की सोच और सोच को बेहतर ढंग से समझ सकें। वंदे मातरम् के साथ जो नाइंसाफी हुई, वह कोई अकेली घटना नहीं थी। यह तुष्टिकरण की राजनीति की शुरुआत थी, जिसे कांग्रेस पार्टी ने अपनाया।
उन्होंने आगे कहा कि इसी राजनीति की वजह से देश का बंटवारा हुआ और आजादी के बाद सांप्रदायिक सद्भाव और एकता कमजोर हुई। आज हम वंदे मातरम् के सम्मान को वापस ला रहे हैं, लेकिन कुछ लोग हमारे खिलाफ यह नैरेटिव बनाने की कोशिश कर सकते हैं कि वंदे मातरम् और जन गण मन के बीच दीवार खड़ी की जा रही है। ऐसा नैरेटिव बनाने की कोशिश बांटने वाली सोच को दिखाती है। हम राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत का बराबर सम्मान करते हैं।
Published By : Ruchi Mehra
पब्लिश्ड 8 December 2025 at 19:14 IST