अपडेटेड 23 April 2025 at 16:30 IST
'आतंकियों ने पैंट उतरवा तय किया कि वो मोमिन है या काफिर', पहलगाम हमले पर राजा भइया ने बताया आतंकवाद का 'मजहब' होता है
राजा भैया ने कहा, 'इतना ही नहीं हम अनजाने में अपने ही ख़िलाफ़ छिड़े ‘जेहाद’ को अपनी ही जेब से फंड करते हैं।
Raja Bhaiya Slams Pahalgam Terror Attack: कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर पूरे देश में आक्रोश है। अब उत्तर प्रदेश के कुंडा विधानसभा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने पहलगाम आतंकी हमले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। राजा भैया ने कश्मीर में मारे गए पर्यटकों को लेकर कहा कि कश्मीर में हिन्दू तो पहले ही मारे काटे जा चुके हैं और जो जान बचाकर भागने में सफल रहे वो आजी भी देश में शरणार्थी हैं। मैं अपने देश के पर्यटक भाई बहनों से कहना चाहूंगा कि वो अपने बच्चों के साथ गर्मियों की छुट्टियां बिताने कश्मीर में न जाएं। कश्मीर जाने पर हम न सिर्फ अपने परिवार को खतरे में डाल देते हैं बल्कि वहां की आतंकवादी, अलगाववादी और जेहादी ताकतों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाते हैं।
कुंडा विधायक राजा भैया ने आगे कहा, 'इतना ही नहीं हम अनजाने में अपने ही ख़िलाफ़ छिड़े ‘जेहाद’ को अपनी ही जेब से फंड करते हैं। डल झील में नावों पर सपरिवार सेल्फी लेकर हम विश्व को ये संदेश देते हैं कि कश्मीर में अमन चैन है, लेकिन आज पहलगाम आतंकी हमले के बाद कश्मीर की सच्चाई एक बार फिर से पूरी दुनिया के सामने आ गयी।' राजा भैया ने कश्मीर में पर्यटकों की हत्या पर हमला जारी रखते हुए आगे कहा,'इसमें कोई शक नहीं कि कश्मीर में लगभग सभी की मानसिकता अलगाववादी है, कोई प्रत्यक्ष तो कोई परोक्ष रूप से आतंक का समर्थन करता है, और वहां के राजनैतिक दल भी इसका अपवाद नहीं हैं, ऐसे में हम कश्मीर जाकर होटल, भोजन, ख़रीदारी करके उनके अल-जेहाद को ही बल देते हैं। जिन पर्यटकों की उनके परिजनों के सामने बर्बर हत्या की गयी उनकी पैंट उतरवा कर आतंकवादियों ने ये तय किया कि वो मोमिन है या क़ाफ़िर। कलावा देख के और वस्त्र उतारकर धर्म देखने के बाद गोली मारने वाले आतंकियों ने एक बार फिर साबित कर दिया कि आतंकवाद का मज़हब होता है।'
धर्म की पहचान कर हिंदू पर्यटकों को बनाया निशाना
जम्मू-कश्मीर के लोकप्रिय पर्यटन स्थल पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, आतंकियों ने पहले पर्यटकों को रोका और उनका धर्म जानने की कोशिश की। पुरुष पर्यटकों की पैंट उतरवाकर उनके जननांगों की जांच की गई, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे हिंदू हैं। इसके अलावा, उनके नाम पूछे गए और हाथ में कलावा देखकर उनकी धार्मिक पहचान की पुष्टि की गई। सबसे दर्दनाक बात यह रही कि इन निर्दोष पर्यटकों को शुरुआत में इस बात का अंदाज़ा ही नहीं था कि वे आतंकियों के बीच फंसे हैं, क्योंकि हमलावर सेना की वर्दी में आए थे। कथित तौर पर, हमला करने से पहले आतंकियों ने पर्यटकों से कलमा पढ़ने को भी कहा। इसके बाद उन्हें बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया। इस वीभत्स हमले की ज़िम्मेदारी पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है।
'द रेजिस्टेंस फ्रंट' के नकाब में लश्कर-ए-तैयबा का नया चेहरा
'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) यह एक ऐसा आतंकवादी संगठन है जिसे एक नया नाम और चेहरा देकर दुनिया की नजरों से छुपाने की कोशिश की गई है, लेकिन इसके पीछे की असलियत उतनी ही पुरानी और खतरनाक है जितनी लश्कर-ए-तैयबा की। TRF कोई स्वतंत्र संगठन नहीं, बल्कि लश्कर का ही एक नकाबपोश चेहरा है, जिसे पाकिस्तान रणनीतिक रूप से सामने लाया है। इस संगठन की बागडोर पाकिस्तान में बैठे आतंकी शेख सज्जाद गुल के हाथों में है। वही गुल, जो जम्मू-कश्मीर में सक्रिय स्थानीय मॉड्यूल्स को हमलों के निर्देश देता है। TRF की शुरुआत एक ऑनलाइन प्रचार इकाई के तौर पर हुई थी, खासकर तब जब अनुच्छेद 370 हटाया गया और घाटी में एक नई राजनीतिक स्थिति पैदा हुई, लेकिन धीरे-धीरे, यह संगठन वर्चुअल प्रोपेगेंडा से निकलकर सीधे ज़मीन पर हिंसा फैलाने में लग गया। TRF का मकसद साफ है। घाटी में अस्थिरता फैलाना, युवाओं को बरगलाना और वैश्विक समुदाय को भ्रमित करना कि यह कोई स्थानीय प्रतिरोध आंदोलन है, जबकि इसके तार पूरी तरह से पाकिस्तान की धरती से जुड़े हैं।
Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 23 April 2025 at 16:11 IST