अपडेटेड 19 May 2025 at 16:51 IST

राहुल गांधी ने Make In India का उड़ाया था मजाक, पूरे दम से कहा था- Made in India हो ही नहीं सकता, अब BrahMos खरीदने को लगी कतार

मेक इन इंडिया पहल PM नरेंद्र मोदी ने 2014 में शुरू की थी। इसका मुख्य उद्देश्य भारत को मैन्युफैक्चरिंग, निवेश और इनोवेशन का वैश्विक केंद्र बनाना है। लोकसभा में नेता विपक्ष और कांग्रेस सासंद राहुल गांधी ने 2022 में Make in India और Made in India का मजाक बनाया था।

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राहुल गांधी ने Make In India का उड़ाया था मजाक | Image: Republic

Make In India : भारतीय सेना के 'Operation Sindoor' में इस्तेमाल किए गए 'मेक इन इंडिया' हथियारों की धाक देखने के बाद पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है। ऑपरेशन सिंदूर में भारत-रूस द्वारा विकसित सुपरसोनिक क्रूज ब्रह्मोस मिसाइल का इस्तेमाल किया गया था। इसके अलावा स्वदेशी तकनीक से बने D4 एंटी-ड्रोन सिस्टम, सुखोई-30 MKI, बराक-8 मिसाइल और आकाशतीर मिसाइलों का इस्तेमाल कर पाकिस्तान को धुंआ-धुंआ कर दिया।

भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर किए गए हमलों में अत्याधुनिक मिसाइलों और आधुनिक गाइडेड हथियारों का उपयोग किया था। पाकिस्‍तान के 4 एयरफोर्स एयरबेस रावलपिंडी (चकलाला एयरबेस), जकोबाबाद, भोलारी और स्‍कर्दू तबाह हो गए। ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत की चर्चा अब दुनियाभर में हो रही है। कई देशों ने तो भारत के साथ ब्रह्मोस मिसाइल की डील करने के लिए इच्छा भी जताई है। भारत ब्रह्मोस मिसाइल को रूस की पार्टनरशिप में बनाचा है। जिसमें भारत की हिस्सेदारी 50.5% और रूस की हिस्सेदारी 49.5% है।

राहुल गांधी ने उड़ाया था मजाक

मेक इन इंडिया पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में शुरू की थी। इसका मुख्य उद्देश्य भारत को मैन्युफैक्चरिंग, निवेश और इनोवेशन का वैश्विक केंद्र बनाना है। लोकसभा में नेता विपक्ष और कांग्रेस सासंद राहुल गांधी ने 2022 में Make in India और Made in India का मजाक बनाया था। राहुल गांधी ने कहा था कि भारत में Made in India हो ही नहीं सकता है। इसके अलावा उन्होंने कई बार Make in India लोगो का भी मजाक बनाया है।

क्या ब्रह्मोस मेड इन इंडिया है?

ब्रह्मोस मिसाइल को 'मेड इन इंडिया' माना जाता है, लेकिन यह भारत और रूस की हिस्सेदारी का परिणाम है। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का विकास भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और रूस की NPO मशीनोस्ट्रोयेनिया द्वारा मिलकर किया गया है। इसका डिजाइन और तकनीक रूस की P-800 ओंकिस मिसाइल पर आधारित है, लेकिन इसका निर्माण और असेंबलिंग काफी हद तक भारत में होती है। ब्रह्मोस मिसाइल के 83% से अधिक हिस्से भारत में बनाए जाते हैं। लखनऊ और अन्य स्थानों पर ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंटीग्रेशन और टेस्टिंग सुविधाएं स्थापित की गई हैं, जो इसके स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देती हैं।

ब्रह्मोस को 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत एक प्रमुख उदाहरण के रूप में देखा जाता है, जो भारत की आत्मनिर्भरता और रक्षा उत्पादन क्षमता को दर्शाता है। शुरू में तकनीकी पार्ट रूस से आए, लेकिन भारत ने समय के साथ स्वदेशीकरण को बढ़ा दिया। अब ब्रह्मोस को 'मेड इन इंडिया' के रूप में गर्व से पेश किया जाता है।

ब्रह्मोस मिसाइल में इन देशों ने दिखाई रूचि

भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने के इच्छुक देशों में थाईलैंड, सिंगापुर, ब्रुनेई, ब्राजील, चिली, अर्जेंटीना, वेनेजुएला, मिस्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर और ओमान का नाम शामिल है। इन देशों ने भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने में रूचि दिखाई है।

भारत ने फिलीपींस को एक बड़े रक्षा सौदे के तहत  ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की पहली किश्‍त अप्रैल, 2024 में भेजी थी। फिलीपींस ने साल 2022 में भारत के साथ 375 मिलियन डॉलर में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का रक्षा सौदा तय किया था। इस डील की एक खेप डिलीवर हो चुकी है और दूसरी खेप 2026 में डिलीवर हो सकती है।

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में वृद्धि

मेक इन इंडिया ने इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, रक्षा और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण भारत में स्मार्टफोन निर्माण है। Samsung, Xiaomi और Apple जैसी कंपनियों ने भारत में अपने उत्पादन को बढ़ाया है। Apple को चीन से अधिक भारत भा रहा है।

रोजगार में हो रही बढ़ोतरी

भारत में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के विस्तार से लाखों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर दिए हैं। विशेष रूप से युवाओं और अर्ध-कुशल श्रमिकों को इससे सबसे अधिक फायदा हुआ है। ऑटोमोबाइल और टेक्सटाइल के क्षेत्र में छोटे और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को बढ़ावा मिला, जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार बढ़ा।

आत्मनिर्भर भारत

मेक इन इंडिया की पहल ने रक्षा और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में भी स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा दिया है। तेजस लड़ाकू विमान और DRDO के हथियारों का उत्पादन बढ़ना इसका उदाहरण है। कोविड-19 महामारी के दौरान, भारत ने PPE किट और वेंटिलेटर जैसे चिकित्सा उपकरणों का स्वदेशी उत्पादन तेजी से बढ़ाया। मेक इन इंडिया ने भारत के निर्यात को बढ़ाने में मदद की है। भारत का माल निर्यात 2022-23 में 447 बिलियन डॉलर तक पहुंचा, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा और ऑटोमोबाइल पार्ट्स का बड़ा योगदान रहा।

मेक इन इंडिया ने भारत की आर्थिक वृद्धि, आत्मनिर्भरता, और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पीएम नरेंद्र मोदी की इस पहल ने न केवल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया, बल्कि भारत को एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरने में भी मदद की है। मेक इन इंडिया ने स्टार्टअप इंडिया जैसे कार्यक्रमों के साथ मिलकर इनोवेशन को प्रोत्साहित किया। जिसका नतीजा ये हुआ कि अब भारत में यूनिकॉर्न स्टार्टअप की संख्या 100 से अधिक हो गई है।

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 19 May 2025 at 16:51 IST