अपडेटेड 13 March 2025 at 23:23 IST
स्टालिन सरकार ने बदला रुपए का सिंबल तो निर्मला सीतारमण ने उठाए सवाल- 2010 में UPA सरकार ने किया लागू, तो क्यों नहीं विरोध
स्टालिन सरकार ने तमिलनाडु के बजट में रुपए का सिंबल बदलने का फैसला लिया, जिसपर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने DMK सरकार को घेरा है।
तमिलनाडु की एमके स्टालिन सरकार ने बजट में रुपये का चिन्ह बदलने का फैसला लिया है। इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेता अन्नामलाई के बाद अब केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी तमिलनाडु सरकार पर हमला बोला। केंद्रीय वित्तमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर डीएमके पर निशाना साधा और कहा कि अगर डीएमके को ‘₹’ से दिक्कत है, तो उसने 2010 में इसका विरोध क्यों नहीं किया? दरअसल, तमिलनाडु के राज्य बजट में रुपया '₹' के चिन्ह को हटाकर उसकी जगह तमिल भाषा के किसी अक्षर से बदल दिया। बता दें, भाषा विवाद के बीच स्टालिन सरकार का ये नया फैसला सामने आया है।
निर्ला सीतारमण ने कहा, "डीएमके सरकार ने कथित तौर पर तमिलनाडु बजट 2025-26 दस्तावेजों से आधिकारिक रुपया प्रतीक ‘₹’ हटा दिया है, जो कल पेश किया जाएगा। जब इसे आधिकारिक तौर पर काग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के तहत अपनाया गया था, उस समय डीएमके केंद्र में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा थी? विडंबना यह है कि ‘₹’ को डीएमके के पूर्व विधायक एन धर्मलिंगम के बेटे टीडी उदय कुमार ने डिजाइन किया था। अब इसे मिटाकर डीएमके न केवल एक राष्ट्रीय प्रतीक को खारिज कर रही है, बल्कि एक तमिल युवा के रचनात्मक योगदान की भी पूरी तरह से अवहेलना कर रही है।
तमिल और रुपए के कनेक्शन पर क्या बोली वित्त मंत्री?
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, तमिल शब्द ‘रुपाई’ (ரூபாய்) की रूट संस्कृत शब्द ‘रुप्या’ में गहरी हैं, जिसका अर्थ है ‘गढ़ा हुआ चांदी’ या ‘काम किया हुआ चांदी का सिक्का’। यह शब्द तमिल व्यापार और साहित्य में सदियों से गूंज रहा है, और आज भी, ‘रुपाई’ तमिलनाडु और श्रीलंका में मुद्रा का नाम बना हुआ है। वास्तव में, इंडोनेशिया, मालदीव, मॉरीशस, नेपाल, सेशेल्स और श्रीलंका सहित कई देश आधिकारिक तौर पर ‘रुपया’ या इसके ‘समतुल्य/व्युत्पन्न’ को अपनी मुद्रा के नाम के रूप में उपयोग करते हैं।
क्या हमारे राष्ट्रीय मुद्रा प्रतीक को कम आंकना चाहिए?: सीतारमण
केंद्रीय वित्तमंत्री ने UPI ट्रांजेक्शन सेवा का जिक्र करते हुए कहा, "रुपये का प्रतीक चिह्न ‘₹’ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छी तरह से पहचाना जाता है और वैश्विक वित्तीय लेन-देन में भारत की एक दृश्यमान पहचान के रूप में कार्य करता है। ऐसे समय में जब भारत UPI का उपयोग करके सीमा पार भुगतान पर जोर दे रहा है, क्या हमें वास्तव में अपने खुद के राष्ट्रीय मुद्रा प्रतीक को कमतर आंकना चाहिए? सभी निर्वाचित प्रतिनिधि और अधिकारी संविधान के तहत हमारे राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता को बनाए रखने की शपथ लेते हैं। राज्य बजट दस्तावेजों से ‘₹’ जैसे राष्ट्रीय प्रतीक को हटाना उसी शपथ के विरुद्ध है, जो राष्ट्रीय एकता के प्रति प्रतिबद्धता को कमजोर करता है।"
यह एक खतरनाक मानसिकता का संकेत है: निर्मला सीतारमण
उन्होंने कहा कि यह महज एक प्रतीक से कहीं अधिक है- यह एक खतरनाक मानसिकता का संकेत है जो भारतीय एकता को कमजोर करती है और क्षेत्रीय गौरव के बहाने अलगाववादी भावनाओं को बढ़ावा देती है। यह भाषा और क्षेत्रीय अंधभक्ति का एक पूरी तरह से टाला जा सकने वाला उदाहरण है।
Published By : Kanak Kumari Jha
पब्लिश्ड 13 March 2025 at 23:09 IST