अपडेटेड 16 April 2025 at 17:45 IST
अखिलेश यादव को किसने दी जान से मारने की धमकी? सपा प्रवक्ता ने गृह मंत्री अमित शाह से लगाई गुहार- हमारे मुखिया को दो NSG
सपा का कहना है, "राज्य और देश की मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए, अखिलेश यादव को पहले जैसी NSG सुरक्षा तत्काल बहाल की जानी चाहिए।"
उत्तर प्रदेश की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। इस बार मुद्दा है सुरक्षा का, और सवाल खड़ा हुआ है Z+ कवर कितना सुरक्षित है? समाजवादी पार्टी (SP) ने केंद्र सरकार के सामने एक गंभीर मांग रखी है। पार्टी की ओर से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर अनुरोध किया गया है कि पार्टी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सुरक्षा को और मज़बूत किया जाए। मौजूदा समय अखिलेश यादव को Z+ श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त है, लेकिन समाजवादी पार्टी का कहना है कि यह पर्याप्त नहीं है। पार्टी प्रमुख के लिए NSG सुरक्षा बहाली की मांग करते हुए सपा का कहना है, "राज्य और देश की मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए, अखिलेश यादव को पहले जैसी NSG (नेशनल सिक्योरिटी गार्ड) सुरक्षा तत्काल बहाल की जानी चाहिए।" यह मांग ऐसे वक्त पर आई है जब देश में विपक्षी नेताओं की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। पार्टी ने इशारों-इशारों में ये भी जताया कि राजनीतिक मतभेद के चलते विपक्षी नेताओं की सुरक्षा में जानबूझकर कटौती की जा रही है।
वहीं राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो ये सिर्फ सुरक्षा की मांग नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संदेश भी है। “अगर एक पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय नेता सुरक्षित नहीं हैं, तो आम जनता कितनी सुरक्षित है?” सपा इस मांग के ज़रिए सरकार पर दबाव भी बना रही है, और अपने नेता की छवि एक राष्ट्रीय नेता के तौर पर और अधिक मजबूत करना चाहती है। अगला कदम किसका होगा? अब गेंद केंद्र सरकार के पाले में है। यहां देखने वाली बात ये है कि अब क्या अमित शाह की अगुवाई वाला गृह मंत्रालय अखिलेश यादव की सिक्योरिटी के लिए NSG सुरक्षा बहाल करेगा?
Z+ और NSG में क्या है फर्क?
देश में सुरक्षा व्यवस्था की श्रेणियों को लेकर आम लोगों में कई बार भ्रम रहता है। इसलिए यह जानना जरूरी है कि Z+ सुरक्षा मुख्य रूप से किसके लिए होती है और NSG (नेशनल सिक्योरिटी गार्ड) सुरक्षा किसके लिए होती है। Z+ सुरक्षा मुख्य रूप व्यक्ति-विशेष की सुरक्षा के लिए होती है। इसमें कमांडो और सुरक्षा कर्मियों की एक टीम संबंधित व्यक्ति के चारों ओर सुरक्षा घेरा बनाकर कार्य करती है। इसका उद्देश्य होता है व्यक्तिगत खतरे से रक्षा। लेकिन जब बात राष्ट्रीय स्तर पर किसी विचार, आंदोलन या बड़े समूह की सुरक्षा से जुड़ी हो, तो सिर्फ Z+ पर्याप्त नहीं होती। ऐसे हालातों में NSG की जरूरत होती है। NSG कोई सामान्य सुरक्षा व्यवस्था नहीं, बल्कि एक विशेष बल है, जो सिर्फ असाधारण परिस्थितियों में तैनात किया जाता है। जहां खतरा व्यक्ति से ज्यादा उसके प्रभाव, पद, या उससे जुड़े समूह पर होता है। इसलिए जब किसी पूर्व मुख्यमंत्री, विपक्षी दल के राष्ट्रीय नेता या व्यापक जनसमर्थन रखने वाले व्यक्ति की बात आती है तो केवल Z+ नहीं, NSG जैसी सुरक्षा हिफाज़त करती है।
क्या होता है Z+ और NSG सुरक्षा प्रोटोकॉल
Z+ और NSG दोनों तरह की सुरक्षा में अलग-अलग प्रोटोकॉल होते हैं। सबसे पहले हम बात करते हैं Z+ सुरक्षा की ये सुरक्षा भारत सरकार की ओर से दी जाने वाली एक उच्चतम स्तर की सुरक्षा है। Z+ सुरक्षा में ज्यादा से ज्यादा पुलिस के जवान और प्राइवेट सिक्योरिटी के जवान भी शामिल होते हैं। Z+ सुरक्षा दी जाने वाले शख्स के चारों ओर 20-30 हथियारों से लैस सिक्योरिटी मैंस की तैनाती होती है। इसमें से कुछ कमांडो सीआईडी (CID) और कुछ कमांडो अन्य उच्च सुरक्षा बलों के सदस्य भी हो सकते हैं। Z+ सुरक्षा एक व्यक्तिगत सुरक्षा सेवा है। सरकार ये सुरक्षा ऐसे लोगों को देती है जिनकी सुरक्षा को गंभीर खतरा रहता है जैसे देश का कोई प्रमुख नेता, बिजनेसमैन या फिर को बड़ा सरकारी अधिकारी। NSG सिक्योरिटी भारत सरकार का एक विशेष सुरक्षा बल है। ये सिक्योरिटी हमें आतंकी हमलों, मॉब लिंचिंग जैसी हिंसक घटनाओं से और हाईजैकिंग या अन्य बड़े खतरों से सुरक्षा लेने वाले शख्स को बचाती है। NSG सिक्योरिटी के सदस्य कॉम्बेट ऑपरेशंस, हाईजैकिंग रेस्क्यू मिशन और स्ट्राइक ऑपरेशंस में विशेषज्ञ होते हैं। ये खतरनाक और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों से निपटने में सक्षम होते हैं।
Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 16 April 2025 at 17:43 IST