अपडेटेड 15 April 2025 at 18:52 IST
EXPLAINER/ बाबर को राणा सांगा ने नहीं बुलाया, आलम खान ने काबुल जाकर दिया था आक्रमण का न्योता, विवाद के बीच ये फैक्ट जानना अहम
आखिर किसने बाबर को दिल्ली की सल्तनत पर हमला करने के लिए न्योता दिया था और इसके पहले बाबर ने दिल्ली को जीतने के लिए कितने प्रयास किए थे?
Rana Sanga not Called Babur Attack on Delhi: मेवाड़ के राजपूत राजा राणा सांगा को लेकर समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। पूरे देश में राणा सांगा के वंशज राम जी लाल सुमन के बयान पर नाराज हैं और लगातार उन्हें अपने बयान पर माफी मांगने को कह रहे हैं। वहीं राम जी लाल सुमन अपने बयान पर कायम हैं और एक के बाद एक विवादित बयान देते जा रहे हैं। 12 अप्रैल को राणा सांगा की जयंती पर देश के राजपूत समाज ने आगरा में राम जी लाल सुमन के आवास पर राणा सांगा पर की गई विवादित टिप्पणी को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया था।
रामजी लाल की राणा सांगा को लेकर की गई विवादित टिप्पणी पर पूरे देश के राजपूतों में नाराजगी है। सपा सांसद ने मेवाड़ के राजा राणा सांगा पर विवादित टिप्पणी करते हुए उन्हें गद्दार करार देते हुए कहा था कि राणा सांगा ने बाबर को दिल्ली पर हमले का न्योता दिया था। सपा सांसद के इस बयान में कितनी सच्चाई है हम इतिहासकारों की राय से उनके इस बयान की पड़ताल करेंगे। अगर राणा सांगा ने बाबर को दिल्ली पर हमले का न्योता नहीं दिया तो आखिर कौन था वो जिसने दिल्ली की सल्तनत पर आक्रमण के लिए बाबर को न्योता दिया था। आज हम आपको इस सच्चाई से भी रूबरू करवाएंगे कि आखिर किसने बाबर को दिल्ली की सल्तनत पर हमला करने के लिए न्योता दिया था और इसके पहले बाबर ने दिल्ली को जीतने के लिए कितने प्रयास किए थे?
बाबर को किसने बुलाया? इतिहास की इस किताब में मिला जवाब
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मॉस कम्युनिकेशन (IIMC) के प्रोफेसर राकेश उपाध्याय से जब हमने इस बारे में बात की तो उन्होंने भारतीय विद्या भवन की पब्लिश की गई प्रोफेसर आर सी मजूमदार की 'टेन वॉल्यूम ऑफ इंडियन हिस्ट्री' किताब का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि इस किताब के वॉल्यूम हैं। हमने जब इस वॉल्यूम से 'द मुगल एम्पायर' का अध्ययन किया तो दूसरे चैप्टर की शुरुआत में ही ये सच्चाई पता चल गई कि किसने बाबर को दिल्ली सल्तनत पर हमला करने के लिए आमंत्रित किया था। इस किताब में साफ तौर पर इस बात का जिक्र किया गया है कि दिल्ली के शासक इब्राहीम लोधी के रिश्तेदार आलम खान लोधी और दौलत खान लोधी ने बाबर को दिल्ली की सल्तनत पर आक्रमण करने का न्यौता दिया था।
इब्राहीम लोधी के रिश्तेदारों ने बाबर को आमंत्रित किया
'द मुगल एम्पायर'में लिखा है कि उजबेकों को शिकस्त देने के बाद बाबर हिन्दुस्तान की तरफ ध्यान देने के लिए पूरी तरह तैयार था। इसके पहले बाबर 6 बार दिल्ली पर आक्रमण के असफल प्रयास कर चुका था। उस समय दिल्ली के सुल्तान इब्राहीम लोदी की हालत खराब होती जा रही थी क्योंकि उसके अपने ही रिश्तेदार और अमीर (राजा-महाराजा) उसके खिलाफ हो गए थे। उसके दो सबसे बड़े दुश्मन थे उसका चाचा 'आलम खां और पंजाब का सूबेदार दौलत खां लोदी। दोनों ने बाबर से मदद की गुहार लगाई। 'आलम खां, जो पहले गुजरात के सुल्तान मुज़फ्फर के दरबार में रह रहा था, काबुल गया और बाबर से दिल्ली का तख्त दिलाने के लिए मदद मांगी। दूसरी तरफ दौलत खां को डर था कि इब्राहीम लोदी उसे उसके पद से हटा देगा, इसलिए उसने भी बाबर के पास संदेश भेजा कि वो बाबर को अपना राजा मानने को तैयार है और इब्राहीम के खिलाफ मदद चाहता है। तो इतिहास की 'टेन वॉल्यूम ऑफ इंडियन हिस्ट्री' किताब में लिखे तथ्यों के मुताबिक राणा सांगा ने बाबर को दिल्ली पर आक्रमण के लिए नहीं बुलाया था।
कौन थे मेवाड़ के राणा सांगा?
मेवाड़ के शासक राणा सांगा एक बड़े राजपूत योद्धा थे। उन्होंने अपने शासन काल में राजपूत राजाओं को एकजुट किया था और एक शक्तिशाली साम्राज्य तैयार किया था। ऐतिहासिक आंकड़ों के मुताबिक राणा सांगा ने अपने जीवन काल में 100 से भी ज्यादा लड़ाइयां लड़ीं थीं। राणा सांगा के शरीर पर 80 घावों के निशान थे जो उनकी वीरता की भूरि-भूरि प्रशंसा करते थे। युद्ध में राणा सांगा ने अपना एक हाथ, एक पैर, एक आंख भी गवां दी थी, इसके बावजूद उनकी शूरता में कोई कमी नहीं आई थी। इतने के बावजूद उन्होंने दिल्ली के इब्राहीम लोधी सहित गुजरात और मालवा के शासकों को करारी शिकस्त दी थी। अगर राणा सांगा को दिल्ली पर कब्जा लेना होता तो वो खुद इसके लिए सक्षम थे और उन्होंने इब्राहीम लोधी को हराया भी था। खुद बाबर ने राणा सांगा के विषय में बाबरनामा में इस बात का जिक्र किया है कि हिन्दुस्तान में राणा सांगा और दक्कन में कृष्णदेव राय से महान कोई शासक नहीं था। राणा सांगा ने मौजूदा राजस्थान, उत्तर गुजरात, मध्य प्रदेश और अमरकोट, सिंध तक अपना साम्राज्य फैला रखा था।
कौन थे प्रोफेसर आर सी मजूमदार?
राकेश उपाध्याय ने बताया, 'प्रोफेसर आर सी मजूमदार बहुत बड़े इतिहासकार थे वो तटस्थ थे और इतिहास को किसी नैरेटिव से नहीं देखते थे। वो इतिहास को उन मुद्दों से परखते थे कि सच्चाई क्या है? बाबर को दिल्ली पर हमले के लिए किसने आंत्रित किया इस बात को लेकर उन्होंने भी काफी अध्ययन किया और उनके साथ कई प्रोफेसर इस काम में लगे थे। 50 से 60 के दशक में उन्होंने बड़ी मेहनत के बाद कन्हैया लाल मानिक लाल मुंशी जो केंद्रीय मंत्री भी थे सरदार पटेल के अनन्य सहयोगी थे और भारतीय विद्या भवन के संस्थापक थे। जब उन्होंने देखा कि भारतीय इतिहास को तोड़ा मरोड़ा जा रहा है तो उन्होंने इसके लिए 'टेन वॉल्यूम ऑफ इंडियन हिस्ट्री' को पब्लिश करवाया था।'
Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 15 April 2025 at 18:52 IST