अपडेटेड 15 April 2025 at 20:57 IST
क्या है नेशनल हेराल्ड का पूरा मामला, जिसमें सोनिया-राहुल-सैम के खिलाफ दर्ज हुई चार्जशीट? जवाहर लाल नेहरू से कनेक्शन!
ED द्वारा दाखिल इस चार्जशीट में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी और सैम पित्रोदा के नाम प्रमुख रूप से शामिल हैं।
नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में राजनीतिक हलकों में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस बहुचर्चित केस में बड़ी कार्रवाई करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है। ईडी द्वारा दाखिल इस आरोपपत्र में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी और ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा के नाम प्रमुख रूप से शामिल हैं। इनके अलावा वरिष्ठ पत्रकार सुमन दुबे और कुछ अन्य व्यक्तियों को भी चार्जशीट में नामजद किया गया है।
सूत्रों के अनुसार, अदालत ने इस मामले की सुनवाई के लिए 25 अप्रैल 2025 की तारीख तय की है। इस मामले को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है, जहां कांग्रेस इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बता रही है, वहीं सत्तारूढ़ दल इसे कानून के तहत उठाया गया "न्यायिक कदम" बता रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि इस घटनाक्रम से आगामी चुनावों से पहले कांग्रेस पार्टी की राजनीतिक रणनीति पर असर पड़ सकता है। अब निगाहें 25 अप्रैल पर टिकी हैं, जब कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई करेगा।
2012 में सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्रायल कोर्ट में डाली याचिका
नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जड़ें वर्ष 2012 में उस समय मजबूत हुईं, जब भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्रायल कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाए। स्वामी ने दावा किया था कि कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने 'यंग इंडियन लिमिटेड' (YIL) के माध्यम से 'एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड' (AJL) का गलत तरीके से अधिग्रहण किया। उनके अनुसार, यह पूरा मामला महज़ एक व्यावसायिक सौदे का नहीं, बल्कि दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित करीब 2000 करोड़ रुपये की हेराल्ड हाउस बिल्डिंग को कब्जे में लेने की सुनियोजित राजनीतिक और आर्थिक साजिश का हिस्सा था।
राहुल गांधी, सैम पित्रोदा और सोनिया पर चार्जशीट दाखिल
स्वामी का आरोप है कि इस साजिश के तहत यंग इंडियन लिमिटेड को एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की संपत्ति पर पूर्ण अधिकार दे दिया गया, जबकि इस कंपनी में प्रमुख हिस्सेदारी कांग्रेस नेताओं विशेष रूप से गांधी परिवार से जुड़े सदस्यों के पास है। इस अधिग्रहण के पीछे कांग्रेस द्वारा पार्टी फंड का गलत इस्तेमाल करने का भी आरोप है। यह मामला अब एक बार फिर चर्चा में है, क्योंकि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस आरोपों की जांच के बाद कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, सोनिया गांधी और ओवरसीज कांग्रेस प्रमुख सैम पित्रोदा समेत कई लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। आगामी 25 अप्रैल को राऊज एवेन्यू कोर्ट में होने वाली सुनवाई से पहले राजनीतिक माहौल एक बार फिर गरमा गया है। एक ओर कांग्रेस इस मामले को राजनीतिक प्रतिशोध करार दे रही है, वहीं भाजपा और सुब्रमण्यम स्वामी इसे “कानून के तहत न्याय की दिशा में उठाया गया कदम” बता रहे हैं।
1938 में जवाहर लाल नेहरू ने रखी थी नेशनल हेराल्ड की नींव
नेशनल हेराल्ड प्रकरण की राजनीतिक पृष्ठभूमि आज़ादी के आंदोलन से जुड़ी उस विरासत तक जाती है, जिसकी शुरुआत 1938 में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर की थी। ‘नेशनल हेराल्ड’ अख़बार को चलाने वाली कंपनी ‘एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL)’ लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी की वैचारिक और पत्रकारिता की आवाज रही। हालांकि, इस ऐतिहासिक संस्था को लेकर राजनीतिक विवाद तब खड़ा हुआ जब 26 फरवरी 2011 को कांग्रेस पार्टी ने AJL की करीब 90 करोड़ रुपये की देनदारी को अपने ऊपर ले लिया। तकनीकी रूप से यह पार्टी की ओर से दिया गया एक ‘लोन’ था, लेकिन इसके बाद जो घटनाक्रम सामने आया, उसने इस सौदे पर गंभीर राजनीतिक और कानूनी सवाल खड़े कर दिए।
पार्टी के पैसों के इस्तेमाल से निजी करोड़ों की संपत्ति
कांग्रेस नेतृत्व ने इसी के बाद मात्र 5 लाख रुपये की पूंजी से एक नई कंपनी 'यंग इंडियन लिमिटेड' की स्थापना की। इस कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 38-38 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि शेष 24 फीसदी शेयर वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस (अब दोनों दिवंगत) के पास थे। आरोप यह है कि इस नई कंपनी के ज़रिए AJL की सारी संपत्तियों, जिनमें दिल्ली स्थित बहादुर शाह ज़फ़र मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस जैसी बहुमूल्य संपत्तियाँ शामिल हैं, का नियंत्रण यंग इंडियन के हाथों में चला गया और इस तरह पार्टी के पैसे का इस्तेमाल कर एक निजी कंपनी को करोड़ों की संपत्ति सौंपी गई।
कांग्रेस का दावा एजेएल को आर्थिक संकट से उबारने के लिए ये एक पारदर्शी प्रक्रिया
भाजपा और अन्य विपक्षी दल इस पूरे घटनाक्रम को राजनीतिक लाभ और आर्थिक अनियमितता का मामला बताते रहे हैं। वहीं कांग्रेस इस पर जोर देती रही है कि यह एक पारदर्शी प्रक्रिया थी और इसका उद्देश्य केवल AJL को आर्थिक संकट से उबारना था। अब जबकि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेताओं के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है, यह मुद्दा एक बार फिर राजनीतिक बहस के केंद्र में आ गया है। 25 अप्रैल को राऊज एवेन्यू कोर्ट में होने वाली अगली सुनवाई से पहले देश की राजनीति में इस केस को लेकर हलचल तेज हो गई है।
Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 15 April 2025 at 20:57 IST