अपडेटेड 4 February 2025 at 20:36 IST

अंधविश्वास की वजह से मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास में रहने नहीं जा रहे फडणवीस: राउत का दावा

संजय राउत ने दावा किया कि देवेंद्र फडणवीस अंधविश्वास के कारण दक्षिण मुंबई स्थित महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास 'वर्षा' में रहने नहीं गए हैं।

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Shiv Sena (UBT) Sanjay Raut. | Image: PTI

Sanjay Raut: शिवसेना नेता संजय राउत ने मंगलवार को दावा किया कि देवेंद्र फडणवीस अंधविश्वास के कारण दक्षिण मुंबई स्थित महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास 'वर्षा' में रहने नहीं गए हैं।

राउत ने कहा कि अफवाह यह है कि एकनाथ शिंदे की कामाख्या मंदिर यात्रा के दौरान गुवाहाटी में कथित तौर पर बलि दिये गए भैंसों के सींग को 'वर्षा' के परिसर में गाड़ा गया था, ताकि मुख्यमंत्री का पद शिंदे के अलावा किसी और के पास न रहे।

नवंबर 2024 के विधानसभा चुनाव के बाद शिंदे की जगह फडणवीस मुख्यमंत्री बने थे। राज्यसभा सदस्य राउत ने कहा, ‘‘देवेंद्र फडणवीस 'वर्षा' में रहने क्यों नहीं जा रहे हैं? मुख्यमंत्री ने कहा है कि अगर वे वहां चले भी गए, तो वहां नहीं सोएंगे। यह क्या है? शिवसेना के ‘नींबू सम्राट, नींबू मिर्ची’ (परोक्ष तौर पर काला जादू करने वाले की ओर इशारा करते हुए) को इसका जवाब देना चाहिए।’’

माना जाता है कि नींबू और मिर्ची का इस्तेमाल काला जादू करने वाले करते हैं। राउत ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैंने सुना है कि भाजपा के भीतर चर्चा थी कि गुवाहाटी में बलि दिए गए भैंसों के सींग वर्षा के लॉन में गाड़े गए थे.... ऐसी चर्चा है कि सींग यहां इसलिए लाए गए थे, ताकि मुख्यमंत्री का पद किसी और के पास न रहे, ऐसा कर्मचारियों का कहना है।’’

राउत के दावों पर मुख्यमंत्री के सहयोगियों की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है, लेकिन शिवसेना प्रमुख एवं अब उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने व्यंग्यात्मक लहजे में संवाददाताओं से कहा, ‘‘राउत उस क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं। उन्हें पता होना चाहिए।’’

अतीत में, राउत ने आरोप लगाया था कि गुवाहाटी में भैंसों की बलि तब दी गई थी, जब उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह करने के बाद शिंदे असम शहर के एक होटल में शिवसेना के अन्य बागी विधायकों के साथ ठहरे हुए थे।

इस बीच, राउत ने फडणवीस से स्पष्टीकरण मांगा कि वह ‘वर्षा’ में क्यों नहीं रह रहे हैं, जो ‘राज्य का गौरव है।’ उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र एक प्रगतिशील राज्य है, जहां महात्मा फुले, प्रबोधनकार ठाकरे और गाडगे महाराज जैसे समाज सुधारकों की परंपरा रही है, जिन्होंने अंधविश्वासों पर प्रहार किया, फिर भी अंधविश्वास का अब सत्ता के गलियारों में प्रभाव है।

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Published By : Priyanka Yadav

पब्लिश्ड 4 February 2025 at 20:36 IST