अपडेटेड 16 May 2025 at 12:40 IST
'Parrot Sudarson' की छत पर इकट्ठा होते हैं हजारों तोते, दुनियाभर से देखने आते लोग; 15 साल से बिना रुके चल रही सेवा
Parrot Sudarson: पिछले 15 सालों से सुदर्शन और विथिया अपने घर की छत पर तोते, कबूतर, गौरैया और अन्य पक्षियों को रोजाना भोजन खिला रहे हैं।
Parrot Sudarson: जब तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में पक्षी चहचहाते हैं, तो उनकी सबसे बड़ी आवाज शायद सुदर्शन और विथिया के घर से आती है। पिछले 15 सालों से ये दंपति अपने घर की छत पर तोते, कबूतर, गौरैया और अन्य पक्षियों को रोजाना भोजन खिला रहे हैं और अब यह छत सिर्फ एक जगह नहीं, बल्कि हजारों पक्षियों का आसरा और हजारों लोगों की प्रेरणा बन चुकी है।
सुदर्शन बताते हैं कि यह सब 16 साल पहले उनके पिता के निधन के बाद शुरू हुआ। एक दिन वे छत पर गए और देखा कि कुछ भूखे तोते भोजन की तलाश में इधर-उधर भटक रहे थे। शहर में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई ने पक्षियों के लिए आश्रय और भोजन का संकट पैदा कर दिया था। बस उसी दिन से उन्होंने सुबह और शाम छत पर दाना-पानी रखना शुरू किया और तब से यह दिनचर्या एक दिन भी नहीं छूटी।
क्या खाते हैं ये पक्षी?
सुदर्शन बताते हैं कि शुरुआत में उन्होंने सूरजमुखी के बीज दिए, लेकिन दक्षिण भारतीय गुलाब-अंगूठी वाले तोते उन्हें पसंद नहीं करते। अब वे उन्हें कच्ची मूंगफली, भिगोया हुआ चावल और मौसमी फल खिलाते हैं, वो भी हर दिन ताजा बनाकर।
पक्षियों का मौसम, इंसानों की भीड़
दिसंबर से मार्च के बीच उनकी छत पर 15,000 से ज्यादा पक्षी इकट्ठा होते हैं। गर्मियों में संख्या थोड़ी कम होकर 1,000 से 2,000 रह जाती है। सुबह छत पर किसी को जाने की इजाजत नहीं, लेकिन कई विदेशी पर्यटक और मशहूर हस्तियां यहां पक्षी देखने के लिए खासतौर पर आती हैं। हर शाम लगभग 100-150 लोग इनसे मिलने और पक्षियों को देखने आते हैं। बच्चे खासतौर पर छुट्टियों में यहां आना पसंद करते हैं। Parrot Sudarson सर्च करें, तो गूगल पर उनका लोकेशन टॉप में आ जाएगा।
एक संदेश, एक मिशन
सुदर्शन और विथिया का मानना है कि पेड़ कटने के इस दौर में पक्षियों की देखभाल अब जिम्मेदारी बन गई है। उनकी छत अब सिर्फ पक्षियों के लिए नहीं, बल्कि प्रकृति से प्रेम करने वालों के लिए भी एक शांति स्थल बन चुकी है।
Published By : Nidhi Mudgill
पब्लिश्ड 16 May 2025 at 12:40 IST