अपडेटेड 16 February 2025 at 13:26 IST
एंट्री बंद, लाशें उठाईं, एंबुलेंस में डाला...दिल्ली स्टेशन भगदड़ में देवदूत बने कुली; जो रेलवे को करना था; कुलियों ने किया
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर बीते शनिवार की रात महाकुंभ जाने के लिए प्रयागराज रवाना होने वाली ट्रेनों में चढ़ने के दौरान मची भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गई है।
New Delhi Railway Station Stampede: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर बीते शनिवार की रात महाकुंभ जाने के लिए प्रयागराज रवाना होने वाली ट्रेनों में चढ़ने के दौरान मची भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गई है। कई लोग घायल हैं जिनका इलाज दिल्ली के अलग-अलग अस्पतालों में किया जा रहा है। रेलवे स्टेशन पर सालों से काम कर रहे कुली अगर मौके पर मोर्चा नहीं संभालते तो मौतों को आंकड़ा बढ़ जाता। हालात और बेकाबू हो जाते।
साफ शब्दों में कहें तो स्टेशन पर मौजूद कुली उस वक्त देवदूत बनकर आए थे। जो काम रेलवे प्रशासन और आरपीएफ को करना चाहिए था वो कुलियों ने किया। कुलियों ने बताया कि भीड़ इतनी ज्यादा थी कि जो लोग धक्का मुक्की में गिर गए वो उठ ही नहीं पाए। हालात बेकाबू हुआ देख हादसे के दौरान नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मौजूद कुलियों ने तुरंत अंदर दाखिल होने के सभी रास्ते बंद किए, ताकी और लोग अंदर न आएं और भीड़ न बढ़े। उसके चलते काफी बचाव हो पाया और अंदर से घायलों को तुरंत बाहर निकालकर उपचार के लिए अस्पताल भेजवाया जा सका।
कुलियों ने घायलों और मृतकों को एंबुलेंस तक पहुंचाया
हादसे के संबंध में रविवार को मीडिया के सामने आकर बीती रात राहत-बचाव में जुटे रहे कुलियों ने काफी चौंकाने वाले तथ्य बयां किए। बताया कि उन्होंने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 1981 से अब तक इतनी भीड़ कभी नहीं देखी थी। भगदड़ में लोग दब गए। हादसे के दौरान बिना किसी सरकारी निर्देश के अपने स्तर पर राहत -बचाव में जुटे कुलियों ने 15 लाशों को एंबुलेंस बुलाकर उसमें रखा।
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ के दौरान मौजूद कुलियों ने बताया कि उनके साथी अंदर आने के लिए लाइन में थे तभी चीख-पुकार मच गई। उन्होंने थोड़ा अंदर आकर देखा तो हालात बेकाबू हो चुके थे। उसके बाद कुलियों ने रास्ते बंद किए, ताकी और लोग अंदर न आएं, भीड़ न बढ़े। कुलियों के मुताबिक, अचानक ट्रेन के प्लेटफॉर्म बदले गए, इसमें पब्लिक अचानक दूसरे प्लेटफॉर्म पर जाने के लिए भागने लगी. इस दौरान एस्कलेटर और सीढ़ियों पर गिर गए. जो जहां गिरा वहीं दब गया। जो गिर गए, वो दोबारा उठ नहीं पाए।
लाशों का अंबार देख गले से नीचे नहीं उतरा खाना
जिस समय ये हादसा हुआ उस समय कुली बलराम भी उसी प्लेटफॉर्म पर मौजूद थे। बलराम ने बताया कि भगदड़ मचने के बाद प्लेटफॉर्म पर खड़े लोग एक दूसरे पर चढ़कर भागने लगे। बलराम ने बताया कि हमें लगा कि अगर भीड़ में दबे लोगों को नहीं निकाला गया तो ज्यादा लोगों को मौत हो जाएगी। हमने भीड़ में फंसे और दबे लोगों को निकालने की कोशिश भी की और कई लोगों को बाहर भी निकाला।
मैंने खुद कई लाशों को गाड़ी पर लोड किया है, रात में स्थिति ऐसी थी कि मैं वो सोचकर खाना तक नहीं खा पा रहा हूं। बलराम ने बताया कि घटना रात पौने दस बजे तक की घटना है। भीड़ भयंकर थी। महाकुंभ की वजह से इतनी भीड़ थी। स्पेशल ट्रेन का अनाउंसमेंट हुआ था। कहा गया था कि 14 नंबर प्लेटफॉर्म पर स्पेशल ट्रेन लगाई जा रही है। लेकिन काफी बड़ी संख्या में यात्री 13 नंबर प्लेटफॉर्म पर ही थे। अनाउंसमेंट होने के बाद यात्री यहां से वहां भागने लगे। इसी दौरान ये हादसा हुआ है।
Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 16 February 2025 at 13:11 IST