अपडेटेड 19 April 2025 at 13:42 IST
Space Mission: अंतरिक्ष में भारत का परचम लहराएंगे शुभांशु शुक्ला, साथ जाएंगे वॉटर बियर्स... जानें इनकी खासियत ?
भारत के शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में जाएंगे, इसके साथ ही अंतरिक्ष में पहली बार एक अनोखा सूक्ष्मजीव वॉटर बियर भी भेजा जाएगा।
Shubhanshu Shukla Space Mission: भारत अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय जोड़ने जा रहा है। 1984 के बाद पहली बार कोई भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा करेगा। यह सम्मान मिला है भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को जो मई में नासा (NASA) और एक्सिओम स्पेस के सहयोग से संचालित होने वाले Axiom Mission 4 का हिस्सा होंगे। वे भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री होंगे, जो राकेश शर्मा के चार दशक पुराने कीर्तिमान को आगे बढ़ाएंगे।
यह मिशन भारत के लिए सिर्फ मानव भेजने की उपलब्धि तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसके साथ ही अंतरिक्ष में पहली बार एक अनोखा सूक्ष्मजीव वॉटर बियर भी भेजा जाएगा, जिसे वैज्ञानिक भाषा में टार्डिग्रेड कहा जाता है। इस जीव को ISRO रिसर्च के लिए भेज रहा है। यह प्रयोग भारत की दीर्घकालिक अंतरिक्ष यात्राओं और गगनयान मिशन की तैयारी के लिए अहम माना जा रहा है।
खुस से DNA की मरम्मत कर सकते हैं वॉटर बियर
वॉटर बियर की खास बात यह है कि यह सबसे कठिन वातावरण जैसे अंतरिक्ष का वैक्यूम, तीव्र रेडिएशन और अत्यधिक तापमान में भी जीवित रह सकता है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि कैसे अंतरिक्ष यात्रियों को लम्बे समय तक रेडिएशन से बचाया जा सकता है। टार्डिग्रेड्स अपने DNA को खुद मरम्मत करने में सक्षम होते हैं और सस्पेंडेड एनीमेशन जैसी अवस्था में जाकर सालों साल तक जीवित रह सकते हैं।
कौन हैं शुभांशु शुक्ला ?
शुभांशु शुक्ला 2006 में वायुसेना में शामिल हुए थे, अब तक सुखोई-30, मिग-21, मिग-29 जैसे लड़ाकू विमानों को 2000 घंटे से ज्यादा उड़ा चुके हैं। उन्हें ISRO ने मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम (HSP) के लिए प्राइम एस्ट्रोनॉट के रूप में चयनित किया था। गगनयान के लिए भी वे प्रमुख उम्मीदवार माने जा रहे हैं।
भारत की ऐतिहासिक उड़ान होगी
इस ऐतिहासिक उड़ान की कमान NASA की पूर्व अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन के हाथों में होगी। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने घोषणा करते हुए कहा कि यह मिशन भारत के अंतरराष्ट्रीय सहयोग और वैज्ञानिक महत्वाकांक्षा की दिशा में एक अहम कदम है। इसी के साथ ISRO की नजर अब आने वाले महीनों में EOS-09 जैसे हाई-टेक सैटेलाइट और गगनयान से जुड़े टेस्ट मिशनों पर भी है।
Published By : Nidhi Mudgill
पब्लिश्ड 19 April 2025 at 13:42 IST