अपडेटेड 19 March 2025 at 13:50 IST

नागपुर में कहां से शुरू हुई कहानी और कैसे भड़की हिंसा? FIR में दंगों की पूरी स्क्रिप्ट और मास्टरमाइंड का खुलासा

नागपुर में 17 मार्च को फहीम खान 50-60 लोगों के साथ थाने पहुंचा था। बाद में भीड़ भड़की गई और एक अफवाह ने यहां चिंगारी सुलगा दी।

Follow :  
×

Share


नागपुर हिंसा मामले में खुलासा हुआ है. | Image: R Bharat

Nagpur: नागपुर में 17 मार्च को भड़की हिंसक झड़पों के बाद 10 पुलिस थानों की सीमा में लगातार दूसरे दिन भी कर्फ्यू जारी है। एक अफवाह ने पूरे शहर को सुलगा दिया था और विवाद हिंसा में बदल चुका था। पुलिस निरीक्षक जितेंद्र बाबूराव गाडगे ने शिकायत दर्ज की है और प्राथमिकी में कई नाबालिगों समेत 51 व्यक्तियों के नाम हैं। आरोपी मुख्य रूप से नागपुर शहर के हैं, जो जाफर नगर, ताजबाग, मोमिनपुरा और भालादापुरा जैसे इलाकों में रहते हैं। एफआईआर से दंगे की पूरी स्क्रिप्ट और मुख्य आरोपी को लेकर भी खुलासा हुआ है।

17 मार्च को नागपुर में औरंगजेब की कब्र के विरोध हिंदू संगठन निकले थे। विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल का प्रोटेस्ट था, जिस बीच विशेष समुदाय के बीच एक अफवाह फैली और उसने विवाद को हिंसक रूप से दिया। पूरे घटनाक्रम में 3 डीसीपी स्तर के अधिकारियों समेत हिंसा में 33 पुलिसकर्मी भी घायल हुए। हैरान करने वाली बात ये है कि भीड़ ने अंधेरे का फायदा उठाकर महिला पुलिसकर्मी के साथ छेड़खानी करने की कोशिश की थी, जिसका जिक्र FIR में है।

50-60 लोगों को लेकर पहुंचा था फहीम खान!

एफआईआर के मुताबिक, हिंदू संगठनों के विरोध प्रदर्शन के जवाब में माइनॉरिटी डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के शहर अध्यक्ष फहीम खान की अध्यक्षता में 50 से 60 लोगों ने अवैध रूप से पुलिस स्टेशन पर भीड़ इकट्ठा की। एक्शन लेते हुए पुलिस ने 9 लोगों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कर लिया था। आरोप है कि इन (विशेष समुदाय)  लोगों ने शाम तकरीबन 4 बजे, छत्रपति शिवाजी पुतले के पास दंगा भड़काने के उद्देश्य से अपने धर्म के 400 से 500 लोगों को इकट्ठा किया। उन्हें बार बार स्पीकर से अनाउंसमेंट कर इसकी जानकारी कि उक्त भीड़ अवैध है और वो यहां एकत्र न हों।

नागपुर में प्लानिंग के साथ हिंदुओं को किसने बनाया निशाना? VIDEO

एक अफवाह और भड़क गई हिंसा की चिंगारी

कथित तौर पर इकट्ठा भीड़ के बीच एक-दूसरे को दंगा करने के लिए उकसाने की कोशिश हुई। झूठी अफवाह फैलाकर पुलिस के प्रति नाराजगी की भावना फैलाई गई। तस्वीरों में देखा गया कि हिंसा वाले दिन फहीम खान अपने समर्थकों के साथ गणेशपेठ पुलिस स्टेशन पहुंचा था। पुलिस स्टेशन के बाहर भीड़ ने नारेबाजी की। नारेबाजी में लब्बेक लब्बेक रहसुल्लाह के नारे लग रहे थे। उसके बाद भीड़ उग्र होती चली गई। भीड़ ने कुल्हाड़ी, पत्थर, लाठियां और अन्य खतरनाक हथियारों के साथ क्षेत्र में आतंक पैदा करने के इरादे से घातक हथियारों को हवा में लहराया और लोगों में भय पैदा किया। कथित तौर पर धार्मिक दुश्मनी बढ़ाने के इरादे से सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ने का काम किया।

एफआईआर के मुताबिक, भीड़ ने जान से मारने की नियत से भालदारपुरा चौक इलाके में पुलिस पर घातक हथियार और पत्थर से हमला किया। उन्होंने पुलिसकर्मियों को रोकने के लिए पेट्रोल बम तैयार किए और उन पर फेंके। उन्होंने ड्यूटी पर मौजूद पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को ये कहते हुए रोक दिया, 'तुम हिंदू समाज के पुलिस हो और तुमने जानबूझकर हमारे धर्म की चादर जलाने में मदद की।' ऐसी झूठी अफवाहें फैलाकर और भद्दी-भद्दी गालियां देकर ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों को निशाना बनाया गया।

यह भी पढ़ें: पहले औरंगजेब की तारीफ, अब नागपुर हिंसा पर तोड़ी चुप्पी, कहा-'मैं दुखी…
 

Published By : Dalchand Kumar

पब्लिश्ड 19 March 2025 at 13:04 IST