अपडेटेड 2 June 2025 at 11:54 IST

EU Naval Force: यूरोपीय संघ नौसैन्य बल के जहाजों की पहली भारत यात्रा, India के लिए कितनी महत्वपूर्ण?

European Union Naval Force: माना जा सकता है कि यूरोपीय संघ नौसैन्य बल के जहाजों की पहली भारत यात्रा न सिर्फ हिंदुस्तान की सुरक्षा नीति और कूटनीतिक संबंधों को मजबूती देती है, बल्कि ये आत्मनिर्भर भारत और वैश्विक साझेदारी की ओर बढ़ते कदमों का स्पष्ट संकेत है।

Follow :  
×

Share


यूरोपीय संघ नौसैन्य बल के जहाजों की पहली भारत यात्रा | Image: X

EUNAVFOR ships in India: यूरोपीय संघ नौसैन्य बल के जहाजों का एक जत्था पहली भारत यात्रा आया है। यूरोपीय संघ नौसैन्य बल में स्पेन और इटली के नौसैनिक युद्धपोत, ईएसपीएस रीना सोफिया और आईटीएस एंटोनियो मार्सेग्लिया शामिल थे, जो 26 मई से 1 जून 2025 तक मुंबई बंदरगाह पर विशेष यात्रा पर रहे। ये दौरा यूरोपीय संघ नौसैन्य बल (EUNAVFOR) के तहत भारत की पहली आधिकारिक यात्रा रही। यही नहीं ये भारत और यूरोपीय संघ के बीच समुद्री सहयोग को मजबूती देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

अहम ये भी है कि यूरोपीय संघ नौसैन्य बल का दौरा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूरोपीय संघ की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के बीच हुई उच्च स्तरीय वार्ता के बाद हुआ है, जिसमें दोनों पक्षों ने अंतरराष्ट्रीय शांति और समुद्री सुरक्षा के लिए साझा प्रतिबद्धता जाहिर की थी। मुंबई स्थित पश्चिमी नौसेना कमान में हुई इस हाईलेवल मीटिंग में भारतीय नौसेना की ओर से रियर एडमिरल विद्याधर हार्के (VSM) और यूनावफॉर की ओर से फोर्स कमांडर रियर एडमिरल डेविड दा पोजो ने हिस्सा लिया। बैठक में समुद्री सहयोग को गहरा करने, संयुक्त अभियानों की योजना और अभ्यासों के जरिए तालमेल बढ़ाने पर विशेष चर्चा हुई।

भारत और यूरोपीय नौसैन्य बल करेंगे समुद्री युद्धाभ्यास

बंदरगाह प्रवास के दौरान दोनों पक्षों ने SMEE (Subject Matter Expert Exchange) और TTX (Table Top Exercise) जैसे गतिविधियों का आयोजन किया। इन अभ्यासों में समुद्री डकैती, तस्करी विरोधी अभियानों, और नौवहन की स्वतंत्रता से जुड़े विषयों पर विचार-विमर्श हुआ। ये एक्सरसाइज ना सिर्फ अनुभव साझा करने का मंच बना, बल्कि भविष्य में संयुक्त समुद्री अभ्यासों की नींव भी डाली गई। 1 जून 2025 को मुंबई से प्रस्थान के बाद भारत और यूरोपीय नौसैन्य बल संयुक्त रूप से एक समुद्री युद्धाभ्यास करेंगे, जिसमें दोनों देशों के जहाज और समुद्री विमान भाग लेंगे। ये अभ्यास हिंद महासागर में गैर-पारंपरिक खतरों जैसे डकैती, अवैध तस्करी और  IUU मछली पकड़ने जैसी गतिविधियों का मुकाबला करने की दिशा में दृढ़ और समन्वित प्रयास का प्रतीक होगा।

रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत और यूरोपीय संघ दोनों ही 'नियम-आधारित, स्वतंत्र और खुले समुद्र' की अवधारणा में विश्वास रखते हैं। ये साझेदारी वैध व्यापार को संरक्षित रखने, तटीय देशों की संप्रभुता का सम्मान करने और समुद्री कानूनों के पालन को सुनिश्चित करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण है। ये पहल मार्च 2025 में नई दिल्ली में हुई भारत-यूरोपीय संघ समुद्री सुरक्षा वार्ता में लिए गए संकल्पों का सशक्त क्रियान्वयन है और ये भारत को वैश्विक समुद्री सुरक्षा नेतृत्व में एक सक्रिय भूमिका निभाने की दिशा में आगे बढ़ाती है।

यह भी पढ़ें: पीएम विश्वकर्मा योजना- ऐसे उठा सकते हैं 3 लाख तक के लोन का लाभ

Published By : Dalchand Kumar

पब्लिश्ड 2 June 2025 at 11:54 IST