अपडेटेड 22 July 2025 at 17:26 IST
शक्ल हू-ब-हू, आदतें भी एक जैसी... इस गांव में दो बहनों के पुनर्जन्म लेने की कहानी से सब हैरान; बताया मौत का कारण और बाप का नाम, सब सच
दो बहनों ने 12 साल की उम्र में दावा किया था कि वो पहले भी जन्म ले चुकी हैं। दोनों ने अपने पिछले जन्म में परिवार, दोस्त, गांव और मौत की पूरी कहानी विस्तार से सुनाई थी।
दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में आपको अलग-अलग किस्म की घटनाएं देखने और सुनने को मिलती हैं। कुछ घटनाएं तो ये इतनी अजीब होती हैं कि सुनकर ही आपके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। खासतौर पर कहानी अगर पुनर्जन्म से जुडी़ हुई हो। सोचिए अगर कोई अपने पिछले जन्म और मृत्यु के बारे में बताने लगे, तो सुनने वाले की क्या हालत होगी।
ऐसा ही मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में सामने आया है। यहां के सतपुड़ा के जंगलों में बसे तितलबागरी गांव में दो बहनों ने 12 साल की उम्र में दावा किया था कि वो पहले भी जन्म ले चुकी हैं। दोनों ने अपने पिछले जन्म में परिवार, दोस्त, गांव और मौत की पूरी कहानी विस्तार से सुनाई थी। चौंकाने वाली बात ये है कि उन दोनों ने जो-जो बताया, जिन-जिन लोगों के नाम लिए वो सब सच था।
जानकारी के मुताबिक आदिवासी समुदाय के देवराम डावर की पांच संतानें हैं। इनमें गंगा (2005 जन्म) और नर्मदा (2006 जन्म) नाम की दो बेटियों ने 12 वर्ष की उम्र में अपने पिछले जन्म को लेकर बातें बतानी शुरू कीं। गंगा ने सपनों में अपने पूर्वजन्म के पिता का नाम मुखराम रावत बताया और रामगढ़ी गांव का जिक्र किया। नर्मदा ने भी खुद को उसी परिवार की दूसरी बेटी बताया और दोनों ने अपनी-अपनी मृत्यु का कारण भी स्पष्ट रूप से बताया। आपको बता दें कि वर्तमान में गंगा और नर्मदा, दोनों की शादी हो चुकी है। दोनों नई जिंदगी में आगे बढ़ चुकी हैं, लेकिन रामगढ़ी गांव में आज भी लोग उन्हें पहले की ही बेटियां मानते हैं।
पिछले जन्म में कैसे हुई थी मौत? दोनों बहनों को सबकुछ है याद
दोनों बहनों ने दावा कि उनकी मौत 12 साल की उम्र में हुई थी। गंगा ने बताया कि उसकी मौत कुएं में डूबने से हुई तो नर्मदा की सांप के काटने से। पहले देवराम ने इन बातों को कल्पना समझकर नजरअंदाज किया, लेकिन बार-बार एक जैसी बातें सुनकर उन्होंने रामगढ़ी जाकर सच्चाई जानने की ठानी। जब वहां उन्होंने मुखराम रावत से मुलाकात की तो हैरानी की बात सामने आई। उनके परिवार की दो बेटियां 12 साल पहले उसी तरह की दुर्घटनाओं में मरी थीं, जैसा गंगा और नर्मदा बता रही थीं।
शक्ल, बातचीत का तरीका और आदतें भी पिछले जन्म वाली
यह जानकर मुखराम रावत को भी हैरानी हुई। वो देवराम के साथ तितलबागरी उनके घर आए। मुखराम ने जब दोनों को देखा तो सन्न रह गए। दोनों की शक्ल, आदतें और बातचीत का तरीका उनकी दोनों मरी बेटियों से मिलता है। इतना ही नहीं, गंगा और नर्मदा भी मुखराम के साथ उनके गाव रामगढ़ी आईं।
मौत की तारीख भी बता दी
उन्होंने अपने पुराने घर, स्कूल और रिश्तेदारों को पहचान लिया। जिन-जिन जगहों पर वे पहले जाती थीं, उन्हें ठीक-ठीक बता दिया। एक और चौंकाने वाली बात यह थी कि दोनों का वर्तमान जन्म उन्हीं तारीखों के आसपास हुआ, जब उनके पिछले जीवन की मौत हुई थी। गंगा का जन्म रक्षाबंधन के कुछ दिन बाद और नर्मदा का जन्म होली के दिन हुआ। वहीं, मुखराम ने बताया कि गंगा की मौत राखी के आसपास और नर्मदा की होली पर ही हुई थी। इससे परिवार का विश्वास और गहरा हो गया कि यह पुनर्जन्म ही है।
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Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 22 July 2025 at 17:26 IST