अपडेटेड 28 February 2025 at 20:31 IST
2013 में जब केदारनाथ में टूटा था ग्लेशियर, रातोंरात आया जलसैलाब, मिली थी 4700 लाशें; खौफनाक हादसे से आज भी कांप जाती है रूह
Kedarnath Flood 2013 : चौराबाड़ी झील में बादल फटने के बाद भारी मलबा और विशाल बोल्डर ने पूरे इलाके में भयंकर तबाही मचाई थी। इस आपदा के कई मुख्य कारण थे।
Kedarnath Tragedy : उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने के बाद आई आफत ने 2013 केदारनाथ त्रासदी की यादें ताजा करदी हैं। 2013 में केदारनाथ ने इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदी को झेला था। केदारनाथ में आई जल प्रलय हजारों घरों में मातम का कारण बनी थी। वो यादें इतनी भयावह हैं कि 12 साल बाद भी भुलाए नहीं भूलती।
16 और 17 जून 2013 को अचानक आई इस विपदा के बाद सरकारी आकंड़े के अनुसार 4700 लोगों के शव बरामद किए गए थे। यह घटना एक ग्लेशियर के टूटने के कारण नहीं हुई थी, बल्कि यह एक बहुत बड़े जल प्रलय का परिणाम थी। जिसमें भारी बारिश, बर्फबारी और बादल फटने के कारण केदारनाथ और आसपास के क्षेत्रों में जलस्तर तेजी से बढ़ गया था। बाढ़ की चपेट में चट्टानें, विशाल शिलाखंड, सड़कें, घर और पेड़ जो भी आया 30 फीट तक ऊंची उठीं लहरे उसे अपने साथ बहा ले गई थीं।
केदारनाथ त्रासदी का कारण
चौराबाड़ी झील में बादल फटने के बाद भारी मलबा और विशाल बोल्डर ने पूरे इलाके में भयंकर तबाही मचाई थी। इस आपदा के कई मुख्य कारण थे। जिसमें भारी बारिश और बादल फटना, ग्लेशियर से निकलने वाला पानी, लैंडस्लाइड्स और बर्फबारी शामिल हैं।
भारी बारिश और बादल फटना
16 जून, 2013 को उत्तराखंड के कई हिस्सों में भारी बारिश हुई थी। इसके साथ ही बादल फटने की घटनाएं भी हुईं, जिससे नदी-नालों में अचानक पानी का स्तर बढ़ गया। केदारनाथ के पास स्थित मंदाकिनी नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ा और भारी बाढ़ आ गई।
ग्लेशियर का पानी
केदारनाथ क्षेत्र में स्थित ग्लेशियर से निकलने वाले पानी की भी बाढ़ में मुख्य भूमिका मानी जाती है। इस ग्लेशियर के पानी ने नदी के साथ मिलकर प्रलय का रूप ले लिया था। हालांकि, सीधे तौर पर ग्लेशियर के टूटने से यह आपदा नहीं हुई थी, लेकिन जलस्तर को बढ़ाने में ग्लेशियर से निकलने वाली बर्फ और पानी के मिश्रण ने भूमिका निभाई थी।
लैंडस्लाइड्स और बर्फबारी
पहाड़ों में भारी भारी और बर्फबारी के कारण लैंडस्लाइड्स भी हुई थी। जिसके साथ कई मुख्य मार्ग बंद होने से लोग फंस गए थे। लैंडस्लाइड्स ने कई स्थानों को बंद कर दिया और बाढ़ की स्थिति को और गंभीर बना दिया।
यह आपदा उत्तराखंड के इतिहास की सबसे बड़ी और विनाशकारी प्राकृतिक आपदाओं में से एक थी। इसके बाद से सरकार ने बाढ़-प्रवण क्षेत्रों में पुनर्निर्माण और बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए। इसमें हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई, हजारों लोग लापता हो गए और हजारों लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। केदारनाथ धाम स्थित मंदिर के आसपास का क्षेत्र भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ था। पूरे उत्तराखंड में सैकड़ों गांव तबाही की चपेट में आए और बड़े पैमाने पर जल, बिजली और सड़क सेवाओं का नुकसान हुआ था।
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 28 February 2025 at 20:31 IST