अपडेटेड 23 May 2025 at 12:35 IST

कौन हैं जस्टिस ओका? सिर से उठा मां का साया, अंतिम संस्कार के कुछ घंटे बाद पहुंचे SC, सुनाएंगे 11 बड़े फैसले

जस्टिस ओका ने एक बड़ी मिसाल पेश करते हुए अपने आखिरी वर्किंग डे पर भी कोर्ट आने का फैसला किया। मां के अंतिम संस्कार के कुछ घंटे बाद वो SC पहुंचे।

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Justice Abhay S Oka | Image: ANI

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका अपने रिटायरमेंट से पहले अचानक सुर्खियों में आ गए हैं। SC के तीसरे सबसे वरिष्ठ जज जस्टिस अभय एस ओका 24 मई को रिटायर हो रहे हैं, यह उनका आखिरी वर्किंग डे होगा। इस बीच उनकी मां निधन हो गया। अपनी मां का अंतिम संस्कार कर वो अगले ही दिन कोर्ट पहुंच गए और उन्होने अपने अपने आखिरी वर्किंग डे पर भी काम करने का फैसला किया।


जस्टिस ओका ने बुधवार को एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन की ओर से आयोजित विदाई समारोह में मां को याद करते हुए कहा था कि मैं कई सालों से अपनी मां को समय नहीं दे पाया हूं, अब रिटायरमेंट के बाद कुछ समय उनके साथ रहूंगा। उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि जब वो ये बातें कह रहे उस समय मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती उनकी मां वसंती ओका अंतिम सांस ले रही थीं।

मां का अंतिम संस्कार कर काम पर लौटे जस्टिस ओका 

बुधवार शाम तक जस्टिस ओका को यह खबर मिल गई। उन्होंने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई और साथी जजों को इसकी जानकारी दी और मुंबई के लिए रवाना हो गए। उन्होंने ठाणे में अपनी मां का अंतिम संस्कार किया। हिंदुओं में अक्सर देखा जाता है कि अगर नजदीकी परिवार में किसी की मृत्यु हो जाती है तो यह क्रियाएं कई दिनों तक चलती हैं। लेकिन जस्टिस ओका के पास एक और बड़ी जिम्मेदारी थी। उन मामलों पर फैसला सुनाना, जिनकी सुनवाई उन्होंने पहले ही कर रखी थी और जिन्हें उन्होंने सुरक्षित रख लिया था। ये फैसले गुरुवार को आने वाले थे।

जस्टिस ओका ने पेश की बड़ी मिशाल

जस्टिस ओका ने एक बड़ी मिसाल भी पेश की ओर करते हुए शुक्रवार को फैसला सुनाने और मामलों की सुनवाई करने के लिए कोर्ट आने का फैसला किया था। 24 मई उनका आखिरी कार्य दिवस है। जस्टिस ओका ने एक बड़ी मिसाल भी पेश करते हुए अपने कर्तव्यों को निभाई। सुप्रीम कोर्ट के एक जज के मुताबिक, जस्टिस ओका की संस्था के प्रति गहरी प्रतिबद्धता है।

मुझे रिटायर शब्द से नफरत है-जस्टिस ओका

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ए़वोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCOARA) द्वारा आयोजित एक सम्मान समारोह में अपने अंतिम कार्य दिवस से पहले बोलते हुए जस्टिस ओका ने कहा था कि मुझे रिटायर शब्द से नफरत है। सुप्रीम कोर्ट में एक परंपरा है कि रिटायर होने वाला न्यायाधीश अपने अंतिम दिन कोई काम न करे। मैं इस परंपरा से सहमत नहीं हूं। कम से कम मुझे संतोष है कि मैं अंतिम दिन एक नियमित पीठ में बैठकर निर्णय सुनाऊंगा।

आखिरी वर्किंग डे सुनाएंगे 11 बड़े फैसले

बता दें कि शुक्रवार को जस्टिस ओका ने जिन 11 मामलों पर फैसला सुनाने वाले हैं उनमें एक स्वत: संज्ञान की भी याचिका शामिल है। किशोरों की गोपनीयता के अधिकार पर फैसला सुनाया गया। यह मामला कोलकाता हाईकोर्ट की पिछली विवादास्पद टिप्पणी के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्वतः उठाया गया था। न्यायमूर्ति अभय श्रीनिवास ओका का जन्म 25 मई, 1960 को हुआ। उन्होंने बी.एससी., एल.एल.एम. (बॉम्बे विश्वविद्यालय) किया। 28 जून, 1983 को एक वकील के रूप में नामांकित हुए।

जस्टिस ओका का ऐसा रहा सफर

जस्टिस ओका बॉम्बे हाईकोर्ट में 2003 में न्यायाधीश नियुक्त हुए। कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में मई 2019 से अगस्त 2021 तक अपनी भूमिका निभाई। इसके बाद  अगस्त 2021 में सुप्रीम कोर्ट में प्रमोट हुए। कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहते हुए उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन रोकने के लिए बेंगलुरु पुलिस द्वारा लगाए गए निषेधाज्ञा आदेश को अवैध घोषित किया था। एक मामले की सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा था कि भारत के हर नागरिक को सरकार के फैसलों की आलोचना करने का अधिकार है।

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Published By : Rupam Kumari

पब्लिश्ड 23 May 2025 at 12:35 IST