अपडेटेड 1 June 2025 at 11:06 IST
शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में उगाएंगे भविष्य का ‘सुपरफूड’, ISS मिशन पर जाने के लिए मिला टास्क; भारत लिखेगा नया इतिहास
केंद्रीय अंतरिक्ष मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला एक्स-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन-ISS पर खास तरह के खाने और पोषण से जुड़े प्रयोग करेंगे।
Group Captain Shubhanshu Shukla: भारतीय वायुसेना के अधिकारी ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर भेजे जाने वाले हैं, जहां वो खास जैविक और पोषण से जुड़े वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे। इसकी जानकारी केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने दी। यह मिशन अमेरिका की निजी कंपनी Axiom Space के 'Ax-4' यानी एक्सिओम मिशन 4 के तहत होगा, जिसमें नासा, इसरो और भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) का सहयोग है।
ये मिशन सिर्फ एक अंतरिक्ष यात्रा नहीं है, बल्कि भारत की अंतरिक्ष जैव प्रौद्योगिकी और आत्मनिर्भर विज्ञान में तेजी से बढ़ती ताकत का प्रतीक है। इस मिशन में ग्रुप कैप्टन शुक्ला अंतरिक्ष में सूक्ष्म शैवाल (Microalgae) और स्पाइरुलिना (Spirulina) जैसे सुपरफूड्स पर रिसर्च करेंगे। ये फूड्स न सिर्फ तेजी से उगते हैं, बल्कि बेहद पोषक भी होते हैं।
अंतरिक्ष में उगाएंगे ‘सुपरफूड’
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अपने इस मिशन में दो महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे, जिनका सीधा संबंध अंतरिक्ष में मानव जीवन के पोषण और जीवन समर्थन प्रणाली से है। उनका एक प्रयोग अंतरिक्ष में स्पाइरुलिना और साइनोबैक्टीरिया (Cyanobacteria) जैसी सूक्ष्म जीवों पर आधारित होगा। ये जीव अंतरिक्ष में “सुपरफूड” की तरह काम कर सकते हैं क्योंकि इनमें उच्च मात्रा में प्रोटीन और विटामिन होते हैं।
इस प्रयोग में वैज्ञानिक ये जानने की कोशिश करेंगे कि मानव अपशिष्ट (जैसे यूरिया) से मिलने वाले नाइट्रोजन को इन जीवों की वृद्धि में कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है। यानी अगर हम अंतरिक्ष में मौजूद संसाधनों को रीसायकल कर सकें, तो एक क्लोज्ड-लूप लाइफ सपोर्ट सिस्टम तैयार हो सकता है, जो लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने में मदद करेगा।
इसके अलावा दूसरे प्रयोग में सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण (Microgravity) और अंतरिक्ष विकिरण का 'सूक्ष्म शैवाल (Microalgae)' पर क्या प्रभाव पड़ता है, इसकी जांच करेंगे। शैवाल एक तेजी से बढ़ने वाला, पोषण से भरपूर और ऑक्सीजन छोड़ने वाला जीव है। अंतरिक्ष में इसके व्यवहार, ग्रोथ, जीन अभिव्यक्ति (Transcriptome), प्रोटीन निर्माण (Proteome) और मेटाबोलाइट्स (Metabolome) में आने वाले बदलावों की तुलना पृथ्वी की स्थितियों से की जाएगी।
इस प्रयोग के लिए इस्तेमाल की जा रही जैव तकनीक किटें पूरी तरह से स्वदेशी हैं, जिन्हें भारतीय वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष के कठिन हालातों के लिए डिजाइन किया है।
शुभांशु शुक्ला- भारत के पहले अंतरिक्ष बायो वैज्ञानिक
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला भारतीय वायुसेना के अधिकारी हैं और भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री दल का हिस्सा हैं, जिन्हें मानव मिशन के लिए विशेष ट्रेनिंग दी गई है। इस मिशन में वो मिशन पायलट के रूप में शामिल होंगे। उनके साथ नासा की पूर्व अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसियों के दो और विशेषज्ञ भी होंगे। अहम ये है कि ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला भारत के पहले अंतरिक्ष-वैज्ञानिक बनेंगे जो अंतरिक्ष जैव प्रौद्योगिकी से जुड़े प्रयोगों का नेतृत्व करेंगे।
भारत के लिए अहम होगा ये मिशन
इन पहलों के साथ भारत न सिर्फ अंतरिक्ष तक पहुंच रहा है, बल्कि इन कोशिशों को भी आकार दे रहा है कि मनुष्य वहां कैसे रहेंगे, खाएंगे और जीवित रहेंगे। इन प्रयोगों की सफलता से अंतरिक्ष में मानव पोषण में क्रांतिकारी बदलाव आने और बंद आवासों के लिए बायो-रिसाइकिलिंग सिस्टम्स को सक्षम बनाने की क्षमता है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह कहते हैं कि ये मिशन भारत की वैज्ञानिक क्षमता, अंतरिक्ष तकनीक और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। ये सिर्फ लॉन्चिंग का नहीं, बल्कि अंतरिक्ष में जीवन को संभव बनाने की दिशा में भारत की भागीदारी को दिखाता है।
Published By : Dalchand Kumar
पब्लिश्ड 1 June 2025 at 11:06 IST