अपडेटेड 18 July 2025 at 14:26 IST

Shubhanshu Shukla : 18 दिनों तक अंतरिक्ष में गुजारने के बाद क्या हुआ... धरती पर पहुंचते ही शुभांशु को क्यों जाना पड़ा अस्पताल?

अंतरिक्ष से लौटने के बाद शरीर को फिर से पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के अनुकूल ढलना पड़ता है। यह अनुभव ऐसा है जैसे कोई बच्चा पहली बार चलना सीख रहा हो।

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धरती पर पहुंचते ही शुभांशु को क्यों जाना पड़ा अस्पताल? | Image: Instagram

Shubhanshu Shukla News : भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 18 दिनों तक ​इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में रहने के बाद धरती पर वापस लौटे हैं। एक्सिओम-4 मिशन के तहत शुभांशु के साथ अमेरिका के अंतरिक्ष यात्री और मिशन कमांडर पैगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोमीर और हंगरी के गैबॉर भी शामिल थे। शुभांशु धरती पर तो सुरक्षित आ गए हैं, लेकिन अब उन्हें यहां के वातावरण के साथ एडजस्ट करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

शुभांशु शुक्ला फिलहाल डॉक्टरों की निगरानी में हैं। धरती के वातावरण से तालमेल के लिए उन्हें रिहैब सेंटर भेजा गया है। शुभांशु की फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर विशेषज्ञों की टीम लगातार नजर रख रही है। वो अभी ठीक से चल भी नहीं पा रहे हैं, उन्हें चलने-फिरने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि शुरुआती हेल्थ चेकअप में कोई गंभीर दिक्कत नहीं है। शुभांशु शुक्ला ने खुद इंस्टाग्राम पर कई फोटो शेयर कर बताया कि वो डॉक्टर की देखरेख में हैं।

शुभांशु शुक्ला को क्यों आ रही दिक्कत?

दरअसल, अंतरिक्ष में सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण (माइक्रोग्रैविटी) का माहौल होता है। जब कोई अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में जाता है, तो शरीर पर कई प्रभाव पड़ते हैं। शरीर के तरल पदार्थों का नुकसान, हृदय की गति का धीमा होना और संतुलन बनाए रखने वाली वेस्टिबुलर प्रणाली का नए वातावरण में समायोजन, ये सभी बदलाव अंतरिक्ष में अनुभव होते हैं। कुछ समय बाद शरीर इस नए माहौल के अनुकूल हो जाता है और अंतरिक्ष यात्री सामान्य महसूस करने लगते हैं।

लेकिन जब अंतरिक्ष यात्री वापस धरती पर लौटते हैं, तो एक नई चुनौती सामने आती है। ग्रैविटी की प्रक्रिया फिर से शुरू होती है। अंतरिक्ष से लौटने के बाद, सामान्य गतिविधियां जैसे सीधे चलना, संतुलन बनाए रखना या त्वरित प्रतिक्रिया देना भी मुश्किल हो सकता है। ये प्रभाव अस्थायी होते हैं।

शरीर में क्या दिक्कत आती है?

अंतरिक्ष से लौटने के बाद शरीर को फिर से पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के अनुकूल ढलना पड़ता है। यह अनुभव ऐसा है जैसे कोई बच्चा पहली बार चलना सीख रहा हो। संतुलन बिगड़ सकता है, रिएक्शन टाइम धीमा हो सकता है और मांसपेशियां कमजोर महसूस हो सकती हैं। ये सभी प्रभाव धीरे-धीरे ठीक हो जाते हैं। यह पूरी प्रक्रिया दर्शाती है कि अंतरिक्ष यात्रा मानव शरीर के लिए कितनी चुनौतीपूर्ण होती है। विशेष उपकरण और विशेषज्ञों अलग-अलग तरीकों से अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी पर लौटने के बाद तेजी से सामान्य होने में मदद करते हैं। अंतरिक्ष यात्रा का यह अनुभव न केवल विज्ञान के लिए, बल्कि मानव शरीर की अनुकूलन क्षमता को समझने के लिए भी एक अनमोल सबक है।

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 18 July 2025 at 14:26 IST