अपडेटेड 23 November 2025 at 20:51 IST
"बॉर्डर बदलते रहते हैं, सिंध फिर भारत का हिस्सा बन सकता है", 'बदल सकती हैं' भारत-पाकिस्तान की सीमाएं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का बड़ा बयान
सिंध, सिंधु नदी के किनारे का वह क्षेत्र है जो 1947 में भारत के विभाजन के बाद पाकिस्तान में चला गया था। उस क्षेत्र में रहने वाले सिंधी लोग, भारत आ गए। राजनाथ सिंह ने कहा कि सिंधी हिंदुओं ने सिंध क्षेत्र का भारत से अलग होना कभी स्वीकार नहीं किया।
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को एक कार्यक्रम में पाकिस्तान के सिंध प्रांत को लेकर बहुत बड़ी बात कह दी है। उन्होंने कहा कि भले ही आज सिंध की भूमि भारत का हिस्सा न हो, लेकिन सांस्कृतिक और सभ्यतागत दृष्टि से यह हमेशा भारत का अभिन्न अंग रहेगा। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी इशारा किया कि सीमाएं स्थिर नहीं होतीं और भविष्य में सिंध एक बार फिर भारत की गोद में आ सकता है।
राजनाथ सिंह ने यह बयान नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में सिंधी समाज को संबोधित करते हुए 1947 के विभाजन के संदर्भ में दिया, जब सिंध प्रांत पाकिस्तान का हिस्सा बन गया था। पाकिस्तान के तीसरे बड़े प्रांत सिंध को लेकर रक्षा मंत्री ने कहा कि
“आज सिंध की जमीन भारत का हिस्सा भले न हो, लेकिन सभ्यता के हिसाब से सिंध हमेशा भारत का हिस्सा रहेगा। जहां तक जमीन की बात है, बॉर्डर बदलते रहते हैं, क्या पता, कल को सिंध फिर से भारत में वापस आ जाए।”
नई दिल्ली में आयोजित एक सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान राजनाथ सिंह ने सिंधी समुदाय के योगदान पर प्रकाश डाला। सिंध, सिंधु नदी के पास का वह क्षेत्र है जो 1947 में भारत के विभाजन के बाद पाकिस्तान में चला गया था। राजनाथ सिंह ने कहा कि सिंधी हिंदुओं, खासकर लालकृष्ण आडवाणी जैसे नेताओं की पीढ़ी ने सिंध क्षेत्र को भारत से अलग करना कभी स्वीकार नहीं किया।
'सिंधी हमारे अपने रहेंगे'
उन्होंने पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की किताब का हवाला देते हुए कहा कि "सिंध की धरती पर बहने वाली सिंधु नदी भारतीय संस्कृति में पूजनीय है। न केवल हिंदू, बल्कि सिंध के कई मुस्लिम भी इस नदी के जल को पवित्र मानते हैं, ठीक वैसे ही जैसे मक्का के जमजम के पानी को।"
1947 विभाजन के समय लाखों सिंधी हिंदुओं को अपनी जन्मभूमि छोड़नी पड़ी थी और वे आज भी अपनी जड़ों से जुड़े रहने का प्रयास करते हैं। राजनाथ सिंह ने कहा, “सिंध के वे लोग जो सिंधु नदी को पवित्र मानते हैं, वे हमेशा हमारे अपने रहेंगे। चाहे वे कहीं भी रहें, उनका भारत से भावनात्मक लगाव अटूट है।”
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 23 November 2025 at 20:41 IST