अपडेटेड 17 August 2025 at 08:59 IST
हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और भूस्खलन ने बरसाया कहर, मानसून की चपेट में आकर 261 जिंदगी हुई खत्म
हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और भूस्खलन के जरिए कुदरत का कहर जारी है। मानसून की चपेट में आकर अबतक 261 जिंदगी खत्म हो चुकी है।
हिमाचल प्रदेश में कुदरत का कहर बरकरार है। भारी बारिश और भूस्खलन की वजह से हिमाचल में चौतरफा तबाही मचा रखा है। हिमाचल प्रदेश में कई जगहें भारी मानसूनी बारिश के प्रभाव से जूझ रही हैं। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एचपीएसडीएमए) के अनुसार, राज्य में 20 जून से 16 अगस्त, 2025 के बीच 261 मौतें दर्ज की गई हैं। इनमें से 136 लोग भूस्खलन, अचानक बाढ़, डूबने, बिजली का झटका लगने और घर ढहने जैसी वर्षाजनित घटनाओं में मारे गए, जबकि 125 लोगों की जान सड़क दुर्घटनाओं में गई।
मंडी जिले में इसका प्रभाव विशेष रूप से गंभीर रहा है, जहां सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को बड़े नुकसान के साथ-साथ वर्षाजनित हताहतों (26 मौतें) की सबसे अधिक संख्या दर्ज की गई है। अन्य गंभीर रूप से प्रभावित जिलों में कांगड़ा (28 मौतें, जिनमें भूस्खलन में 7 और अचानक बाढ़ में 6 मौतें शामिल हैं), चंबा (10 मौतें) और कुल्लू (11 मौतें) शामिल हैं।
2,14,457 लाख रुपये की संपत्ती का हुआ नुकसान
एचपीएसडीएमए की रिपोर्ट में साझा जानकारी के अनुसार इस मानसून में सार्वजनिक और निजी संपत्ति को 2,14,457 लाख रुपये का नुकसान हुआ है अकेले लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने 1.18 लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान होने की सूचना दी है, जबकि कृषि और बागवानी को संयुक्त रूप से 83,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान होने का अनुमान है।
27,000 से ज्यादा पशु-पक्षी मारे गए
सड़क संपर्क सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में से एक बना हुआ है, जहां NH-05 (किन्नौर) और NH-305 (कुल्लू) सहित प्रमुख राजमार्ग भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ के कारण बार-बार बाधित होते रहते हैं। अंदरूनी इलाकों के गांव कई दिनों तक संपर्क से कटे रहते हैं, जिससे बचाव और राहत अभियान मुश्किल हो जाता है। रिपोर्ट में घरों को हुए व्यापक नुकसान का भी ज़िक्र है: 278 घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त, 288 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त और 703 गौशालाएं नष्ट हो गईं। बारिश से जुड़ी घटनाओं में 27,000 से ज़्यादा पशु-पक्षी मारे गए हैं।
अधिकारियों ने कहा कि आवश्यक सेवाओं - सड़क, बिजली और पानी की आपूर्ति - की बहाली सर्वोच्च प्राथमिकता बनी हुई है, लेकिन लगातार बारिश और बार-बार हो रहे भूस्खलन इस प्रक्रिया को धीमा कर रहे हैं। निवासियों को सतर्क रहने, अनावश्यक यात्रा से बचने और मौसम संबंधी सलाह पर ध्यान देने की सलाह दी गई है।
Published By : Kanak Kumari Jha
पब्लिश्ड 17 August 2025 at 08:59 IST