अपडेटेड 4 August 2025 at 09:34 IST

ऑपरेशन मेघदूत के नायक, नायब सूबेदार छेरिंग मुटुप का निधन, सियाचिन की बर्फीली चोटियों पर अमर हैं उनकी वीरता की गाथा

छेरिंग मुटुप की कहानी केवल सियाचिन की बर्फीली चोटियों तक सीमित नहीं है। उनका साहस, दृढ़ संकल्प और देशभक्ति भारतीय सेना के हर जवान के लिए एक मिसाल है।

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ऑपरेशन मेघदूत के नायक, नायब सूबेदार छेरिंग मुटुप का निधन | Image: Republic

Naib Subedar Chhering Mutup : अशोक चक्र से सम्मानित भारतीय सेना के वीर सपूत नायब सूबेदार छेरिंग मुटुप (सेवानिवृत्त) का निधन हो गया है। उनका जाना देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) और फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स के सभी रैंकों ने उनके निधन पर गहरा शोक जताया है और उनके परिवार के प्रति हार्दिक संवेदना जाहिर की है।

छेरिंग मुटुप का अदम्य साहस और बलिदान भारत के इतिहास में अमर रहेगा। आने वाली पीढ़ियों के लिए उनके बलिदान की कहानी एक प्रेरणा होगी। 1984 के 'ऑपरेशन मेघदूत' में उनकी भूमिका हमेशा हर भारतीय को प्रेरित करती रहेगी। उनके साहस और बहादुरी को रिपब्लिक भारत सलाम करता है।

सियाचिन की चुनौती ऑपरेशन मेघदूत

भारत ने साल 1984 में दुनिया के सबसे ऊंचे और सबसे ठंडे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर पर नियंत्रण पाने के लिए ऑपरेशन मेघदूत शुरू किया था। इस ऑपरेशन का उद्देश्य सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सियाचिन ग्लेशियर को सुरक्षित करना था, जहां तापमान -40 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे चला जाता है और बर्फीली चट्टानें और खड़ी बर्फीली दीवारें किसी भी सैनिक के लिए असंभव-सी चुनौती पेश करती हैं।

छेरिंग मुटुप की वीरता

इस कठिन मिशन में नायब सूबेदार छेरिंग मुटुप ने अपनी टुकड़ी का नेतृत्व किया और एक महत्वपूर्ण रिज को नियंत्रित करने का दायित्व संभाला। बर्फीले तूफानों, जानलेवा ठंड और खतरनाक बर्फीली दीवारों के बीच उन्होंने न केवल अपने साहस का परिचय दिया, बल्कि अपने साथियों को भी प्रेरित किया। उनकी रणनीतिक सूझबूझ और नेतृत्व ने भारतीय सेना को इस सामरिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र में विजय दिलाई। इस अभूतपूर्व वीरता के लिए उन्हें भारत के सर्वोच्च शांति काल वीरता पुरस्कार, अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।

एक प्रेरणादायी विरासत

छेरिंग मुटुप की कहानी केवल सियाचिन की बर्फीली चोटियों तक सीमित नहीं है। उनका साहस, दृढ़ संकल्प और देशभक्ति भारतीय सेना के हर जवान के लिए एक मिसाल है। उन्होंने यह साबित किया कि सबसे प्रतिकूल परिस्थितियों में भी एक सैनिक अपने देश के प्रति समर्पण अडिग रह सकता है। उनकी यह गाथा न केवल सैनिकों, बल्कि हर भारतीय के लिए गर्व और प्रेरणा का विषय है। नायब सूबेदार छेरिंग मुटुप का निधन भारतीय सेना और देश के लिए एक बड़ा नुकसान है, लेकिन उनकी वीरता की कहानी हमेशा जीवित रहेगी।

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 4 August 2025 at 09:34 IST