अपडेटेड 21 December 2025 at 19:00 IST
'गलत जानकारी फैलाना बंद करें', सरकार ने अरावली आदेश पर दी सफाई; कहा- सिर्फ 0.19% रेंज ही माइनिंग के लिए योग्य
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने रविवार को अरावली पहाड़ी श्रृंखला पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर बड़े पैमाने पर हो रहे विरोध के बाद एक बयान जारी किया।
नई दिल्ली: केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने रविवार को अरावली पहाड़ी श्रृंखला पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर बड़े पैमाने पर हो रहे विरोध के बाद एक बयान जारी किया। नागरिकों से गलत जानकारी फैलाने से रोकने का आग्रह करते हुए, मंत्री ने कहा कि अरावली का कुल क्षेत्रफल 147,000 वर्ग किलोमीटर है और खनन केवल 0.19% क्षेत्र में ही किया जा सकता है, जबकि बाकी हिस्सा सुरक्षित रहेगा।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा, “अरावली पर कोई छूट नहीं दी गई है। अरावली श्रृंखला देश के चार राज्यों, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में फैली हुई है। इससे संबंधित एक याचिका 1985 से कोर्ट में लंबित है।”
'100 मीटर का मतलब पहाड़ी के ऊपर से नीचे तक फैलाव'
पर्यावरण मंत्री ने सहमति जताई कि खनन के नियम होने चाहिए। उन्होंने आगे कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अरावली की परिभाषा सभी चार राज्यों में एक जैसी होनी चाहिए... कुछ YouTube चैनल 100 मीटर की सीमा को ऊपर के 100 मीटर के रूप में गलत तरीके से पेश कर रहे हैं, जो सच नहीं है। 100 मीटर का मतलब पहाड़ी के ऊपर से नीचे तक फैलाव है, और दो श्रृंखलाओं के बीच के गैप को भी अरावली श्रृंखला का हिस्सा माना जाएगा। इस परिभाषा के साथ, 90% क्षेत्र संरक्षित क्षेत्र के अंतर्गत आता है।”
अरावली पर क्या चल रहा?
अरावली के बचे हुए जंगल, जानवरों के आवास और कॉरिडोर एवं जैव विविधता हॉटस्पॉट के तौर पर काम करते हैं। यहां 200 से ज्यादा पक्षियों की प्रजातियां, और विलुप्ति की कगार पर खड़े जीव जैसे तेंदुआ, ग्रे लंगूर, लकड़बग्घा, सियार, जंगली बिल्लियां और हनी बेजर रहते हैं। माना जा रहा है कि अरावली की पहाड़ियों की नई परिभाषा से ये जंगल खत्म हो जाएंगे, जिससे जंगली जानवरों के रहने की जगहें कम हो जाएंगी।
आपको बता दें कि अरावली पहाड़ियां दुनिया की सबसे प्राचीन पर्वत प्रणालियों में से एक है, जो लगभग 2 अरब साल पुरानी है। इसकी कुल लंबाई लगभग 692 किमी है, जो गुजरात से दिल्ली तक फैली है। 80 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान में है, जबकि बाकी हरियाणा, दिल्ली और गुजरात में है। चंबल, साबरमती और लूणी जैसी कई नदियां इसी पर्वतमाला से निकलती हैं।
Published By : Kunal Verma
पब्लिश्ड 21 December 2025 at 19:00 IST