अपडेटेड 28 February 2025 at 21:08 IST

पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद कैलाश सत्यार्थी की आत्मकथा ‘‘दियासलाई’’ पर परिचर्चा में हुए शामिल

पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने शुक्रवार को साहस, करूणा, न्याय, समर्पण और नैतिकता के महत्व को रेखांकित किया और इन्हें व्यक्तियों एवं समाज के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत बताया।

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पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद | Image: PTI

पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने शुक्रवार को साहस, करूणा, न्याय, समर्पण और नैतिकता के महत्व को रेखांकित किया और इन्हें व्यक्तियों एवं समाज के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत बताया। नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी की आत्मकथा ‘‘दियासलाई’’ पर परिचर्चा में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए कोविंद ने इस बात का उल्लेख किया कि कैसे इन मूल्यों में अंधेरा दूर करने और एक सार्थक बदलाव लाने की शक्ति है।

 

संस्कृति मंत्रालय के स्वायत्त संस्थान इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) में आयोजित कार्यक्रम में कोविंद ने कहा, ‘‘यदि हम इन मूल्यों के साथ आगे बढ़ते हैं तो हम अपने आसपास के अंधेरा को दूर कर सकते हैं।’’ पूर्व राष्ट्रपति ने न्याय और बाल कल्याण के प्रति सत्यार्थी की अटूट प्रतिबद्धता की प्रशंसा की और उस महत्वपूर्ण क्षण को याद किया।

बाल शोषण पर चर्चा

जब सत्यार्थी ने पोप फ्रांसिस के साथ चर्चा के दौरान, चर्च के भीतर बाल शोषण होने का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा, ‘‘इन पांच गुणों - साहस, करुणा, न्याय, समर्पण और नैतिकता - ने कैलाश सत्यार्थी को एक संस्था बना दिया है।’’

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Published By : Rupam Kumari

पब्लिश्ड 28 February 2025 at 21:08 IST