अपडेटेड 18 October 2025 at 13:03 IST

'मजबूत रक्षा तंत्र ही मजबूत अर्थव्यवस्था और सुरक्षित भारत की नींव', Forces First Conclave 2025 में बोले Bharat Forge Ltd. के चेयरमैन बाबा एन कल्याणी

रिपब्‍लिक मीडिया नेटवर्क के फोर्सेस फर्स्‍ट कॉन्‍क्‍लेव में Bharat Forge Ltd. के चेयरमैन और एमडी बाबा एन कल्‍याणी (Baba N Kalyani) ने शिरकत की।

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Bharat Forge Ltd. के चेयरमैन बाबा एन कल्याणी | Image: Republic

रिपब्‍लिक मीडिया नेटवर्क के फोर्सेस फर्स्‍ट कॉन्‍क्‍लेव में Bharat Forge Ltd. के चेयरमैन और एमडी बाबा एन कल्‍याणी (Baba N Kalyani) ने शिरकत की। उन्‍होंने भारतीय सशस्त्र बलों, रक्षा मंत्रालय (MOD) और घरेलू रक्षा निर्माताओं के बीच सहयोग की आवश्यकता पर विशेष बल दिया। उन्होंने भारतीय रक्षा उद्योग द्वारा झेली जाने वाली चुनौतियों, विशेषकर स्वदेशी तोप निर्माण और परीक्षण प्रक्रियाओं में आने वाली देरी, का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत को अब अपनी रक्षा निर्माण प्रणाली में तेजी और कुशलता लानी होगी।

बाबा एन कल्‍याणी ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि अमेरिका जैसे देशों में परीक्षण और उत्पादन की प्रक्रियाएं कहीं अधिक तेजी से पूरी होती हैं, जबकि भारत में लंबी और जटिल ब्यूरोक्रेटिक प्रणाली के कारण अत्यधिक देरी होती है। उन्होंने कहा कि इस कारण भारत को अपनी रक्षा निर्माण प्रणाली को "प्रक्रिया-आधारित" से "उत्पाद-आधारित" मॉडल की ओर ले जाना चाहिए।

उन्होंने जोर देकर कहा कि बदलते वैश्विक भू-राजनीतिक वातावरण में जहां व्यापार, प्रौद्योगिकी और धन को हथियार के रूप में प्रयोग किया जा रहा है, वहां आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भर भारत) केवल विकल्प नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास की आवश्यकता बन गई है। आत्मनिर्भरता का मतलब केवल आयात कम करना नहीं बल्कि स्वतंत्र रूप से रणनीतिक निर्णय लेने और त्वरित कार्रवाई करने की क्षमता विकसित करना है।

ब्रह्मोस मिसाइल का जिक्र कर दी ये सलाह

बाबा एन कल्‍याणी ने बताया कि भारत की सुरक्षा चुनौतियां अत्यंत जटिल हैं — भौतिक युद्ध, आतंकी गतिविधियां, और आर्थिक संघर्ष जैसे निर्यात पर शुल्क लगाना। इसके बावजूद, भारत के पास धातुकर्म और उन्नत तोप निर्माण के क्षेत्र में जबरदस्त संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि भारत की समृद्ध धातुकर्म परंपरा आज आधुनिक तकनीक के साथ पुनर्जीवित हो रही है, और भारतीय तकनीकी प्रतिभा का उपयोग वैश्विक रक्षा मांगों को पूरा करने में किया जाना चाहिए।

उन्होंने रक्षा खरीद प्रक्रियाओं का जिक्र करते हुए कहा कि आवश्यक परियोजनाएं, जैसे स्वदेशी तोपों का उत्पादन, सालों की देरी से प्रभावित होती हैं। ब्रह्मोस मिसाइल परियोजना का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भारत को लक्ष्य आधारित, परिणामोन्मुखी विकास पद्धति अपनानी चाहिए। बाबा एन कल्याणी ने स्वदेशी तोप ATAGS की तकनीकी खूबियों का भी उल्लेख किया। 
 

उन्होंने बताया कि यह दुनिया की अत्याधुनिक तोपों में से एक है, जिसमें सॉफ्टवेयर-संचालित और स्वचालित प्रणाली के कारण दूर से संचालन और ड्रोन तकनीक के जरिये त्वरित लक्ष्य सुधार संभव है। इसके बावजूद, नौकरशाही अड़चनों के कारण इसका पूर्ण उपयोग भारतीय सेना द्वारा अभी तक नहीं किया जा सका है। उन्होंने वैश्विक रक्षा परिदृश्य का हवाला देते हुए कहा कि अमेरिका और यूरोपीय देशों में उत्पादन क्षमता और तकनीकी जनशक्ति की कमी है। ऐसे में भारत के पास रक्षा विनिर्माण के क्षेत्र में वैश्विक बाजार पर कब्जा करने का सुनहरा अवसर है। उन्होंने बताया कि कई भारतीय संयंत्रों को अब विदेशों में सैन्य उत्पादन के लिए अनुकूलित किया जा रहा है। अपने संबोधन के अंत में उन्‍होंने सशस्त्र बलों, रक्षा मंत्रालय और सभी रक्षा साझेदारों को धन्यवाद देते हुए कहा कि मजबूत रक्षा तंत्र ही मजबूत अर्थव्यवस्था और सुरक्षित भारत की नींव है। उन्होंने गति, आत्मनिर्भरता और सहयोग को भविष्य की आवश्यकता बताया।

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Published By : Ankur Shrivastava

पब्लिश्ड 18 October 2025 at 13:03 IST