अपडेटेड 2 December 2025 at 08:03 IST

श्रीलंका में 'दित्वा' ने मचाई तबाही तो भारत ने बढ़ाया मदद का हाथ, PM मोदी ने श्रीलंकाई राष्ट्रपति से की बात, हर संभव मदद का दिया भरोसा

संकट की इस घड़ी में भारत सरकार ने श्रीलंका की ओर मदद का हाथ बढ़ाया है। पीएम मोदी ने श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके से फोन पर बात कर हालात की जानकारी ली और हर संभव मदद का आश्वासन दिया।

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Pm Modi | Image: File Photo

Ditwah Cyclone: चक्रवाती तूफान 'दित्वा' ने श्रीलंका में भारी तबाही मचाई है। इस चक्रवात की वजह से आई भयानक बाढ़ और भूस्खलन में अब तक 334 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 370 लोग लापता बताए जा रहे हैं। इस तबाही के बीच भारत ने श्रीलंका के लिए मदद का हाथ बढ़ाया है। पीएम मोदी ने श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके से फोन पर बात कर हालात की जानकारी ली और अपनी संवेदना व्यक्त की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (1 दिसंबर) को राष्ट्रपति दिसानायके से बातचीत के दौरान 'दित्वा' के कारण श्रीलंका में हुई जान-माल की हानि और बड़े पैमाने पर हुई तबाही पर अपनी गहरी संवेदना जताई। उन्होंने कहा कि भारत के लोग इस जरूरत के समय में श्रीलंका के लोगों के साथ पूरी एकजुटता और समर्थन में खड़े हैं।  

भारत ने बढ़ाया मदद का हाथ

PM मोदी ने बताया कि भारत राहत और बचाव के कामों के लिए चल रहे ऑपरेशन 'सागर बंधु' के तहत सभी जरूरी मदद देता रहेगा और आने वाले दिनों में श्रीलंका के रिहैबिलिटेशन और रिकवरी के काम में उसके साथ खड़ा रहेगा।

पीएम मोदी ने दिलाया भरोसा

उन्होंने भरोसा दिलाया कि भारत, अपने विजन महासागर और ‘फर्स्ट रेस्पॉन्डर’ के तौर पर अपनी स्थापित स्थिति के अनुसार आने वाले दिनों में श्रीलंका को सभी जरूरी मदद देना जारी रखेगा, क्योंकि श्रीलंका पुनर्वास के काम कर रहा है, पब्लिक सर्विस फिर से शुरू कर रहा है और प्रभावित इलाकों में रोजी-रोटी बहाल करने की दिशा में काम कर रहा है। दोनों नेताओं ने निकट संपर्क बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की।

ऑपरेशन 'सागर बंधु' क्या है?

भारत ने 28 नवंबर 2025 को 'सागर बंधु' शुरू किया जो कि खोज एवं बचाव और मानवीय सहायता एवं आपदा राहत का अभियान है। 'सागर बंधु' का अर्थ समुद्र का दोस्त है। यह भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट' (Neighbourhood First) नीति और विजन महासागर का हिस्सा है। इसके तहत आपदा के समय में हिंद महासागर के आसपास के देशों को तेजी से मदद पहुंचाई जाती है। 

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Published By : Ankur Shrivastava

पब्लिश्ड 2 December 2025 at 08:03 IST