अपडेटेड 27 November 2025 at 15:07 IST
आतंकी मुजम्मिल की गर्लफ्रेंड नहीं पत्नी है शाहीन, यूनिवर्सिटी के कमरा नंबर 4 में होती थी 'सीक्रेट मीटिंग', दिल्ली धमाके में खुले ये 4 राज
दिल्ली के लालकिला के पास बीते 10 नवंबर को हुए बम विस्फोट की जांच में एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। गिरफ्तार संदिग्ध मुजम्मिल अहमद गनई ने जांच एजेंसियों को बताया कि सहआरोपी लेडी सर्जन शाहीन उसकी पत्नी है, न कि गर्लफ्रेंड।
दिल्ली के लालकिला के पास बीते 10 नवंबर को हुए बम विस्फोट की जांच में एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। गिरफ्तार संदिग्ध मुजम्मिल अहमद गनई ने जांच एजेंसियों को बताया कि सहआरोपी लेडी सर्जन शाहीन उसकी पत्नी है, न कि गर्लफ्रेंड, जैसा पहले समझा जा रहा था। इस दावे ने न केवल मामले के मानवीय पहलू को उजागर किया है, बल्कि शाहीन द्वारा दिए गए भारी-भरकम फंडिंग के पीछे की वजह को भी स्पष्ट करने का प्रयास किया है।
मुजम्मिल ने बताया कि उसकी मुलाकात जैश-ए-मोहम्मद की महिला कमांडर डॉक्टर शाहीन से हुई, जो उससे उम्र में बड़ी और पद में उससे उपर थी शाहीन से उसकी नजदीकियां इतनी गहरी हो गईं कि 2023 में दोनों का निकाह हो गया। गौरतलब है कि शाहीन का पहला पति मुंबई में रहता था और कई आधुनिक विचार रखता था, जबकि दूसरा पति गाजियाबाद में कपड़ों की दुकान चलाता था। लेकिन दोनों ही रिश्तों में वह खुश नहीं थी। हालांकि, अल फलाह यूनिवर्सिटी में डॉ. मुजम्मिल के करीब आकर उसने नई जिंदगी की शुरुआत की।
आतंकी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किए गए 25 लाख
मुजम्मिल ने पूछताछ में यह भी बताया कि यह आतंकवादी गैंग बैंक खाते के जरिए करीब 25 लाख रुपये की रकम लेकर आतंकी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल कर रहा था। इसमें डॉ. शाहीन और एक अन्य प्रमुख सदस्य उमर शामिल थे। उमर और मुजम्मिल ने तुर्की जाकर आतंकी ट्रेनिंग भी ली, जहां उन्हें एक हैंडलर उकासा की देखरेख में प्रशिक्षण मिला।
चीनी भाषा में बनाया था ग्रुप
मुजम्मिल के अनुसार, उमर समूह का मास्टरमाइंड था। वह जम्मू-कश्मीर और मेवात से यूरिया लेकर आता था, जिसका इस्तेमाल विस्फोटक बनाने में होता था। इस पूरी प्रक्रिया का संचालन अल फलाह यूनिवर्सिटी के एक कमरे में होता था, जहां उकसाने और योजनाओं को अंजाम दिया जाता था। इसके अलावा, इस समूह ने चीनी भाषा (मैंडरिन) में एक गुप्त नेटवर्क भी बनाया था, जिसका संचालन उमर करता था। इसी नेटवर्क के जरिए आतंकी विचारधारा का प्रचार और संगठन किया जाता था।
अल-फलाह में चलती थी सीक्रेट मीटिंग
जांच में सामने आया है कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग नंबर 17 के कमरा नंबर 13 से पकड़ा गया आतंकी डॉक्टर मुजम्मिल अहमद गनई और अन्य आतंकी डॉक्टर मिलकर धमाकों की साजिश रचते थे। कमरा नंबर 4 में डॉक्टर उमर ।की मौजूदगी में मीटिंग होती थी। ये दोनों कमरे आतंकियों की रणनीति और रासायनिक पदार्थों के लेन-देन का प्रमुख केंद्र थे। पुलिस की छापेमारी में कमरे से कई डिवाइस, पैन ड्राइव और डायरी बरामद हुई है। फोरेंसिक टीम ने कमरे और लैब से रासायनिक पदार्थ भी बरामद किए हैं। जिनमें अमोनियम नाइट्रेट और ऑक्साइड शामिल थे। जिनके जरिये डॉक्टर विस्फोटक बना रहे थे।
तीन साल से चल रही थी आतंकी हमले की साजिश
मुजम्मिल ने बताया कि यह पूरी साजिश फरवरी 2022 में श्रीनगर में हुई एक बैठक के बाद तय हुई थी। इस बैठक में समूह ने आगे चलकर देश में बड़े हमलों की योजना बनाई।
Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 27 November 2025 at 15:07 IST