अपडेटेड 20 August 2024 at 21:48 IST
महामंडलेश्वर पायलट बाबा का निधन, एयर फोर्स में भी रहे विंग कमांडर; हरिद्वार में दी जाएगी समाधि
पंच दशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर पायलट बाबा का दिल्ली के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया है। उनकी अंतिम यात्रा हरिद्वार में होगी, जहां उन्हें समाधि दी जाएगी
Mahamandaleshwar Pilot Baba passes away : पंच दशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर पायलट बाबा का दिल्ली के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया है। वह लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे, जिसके बाद आज उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। पायलट बाबा का असली नाम विंग कमांडर कपिल सिंह था, भारतीय वायुसेना में विंग कमांडर के रूप में भी उन्होंने अपनी सेवा दी। साथ ही पाकिस्तान के खिलाफ हुए दो युद्धों में भी उन्होंने फाइटर जेट पायलट की भूमिका निभाई थी।
अपने सैन्य करियर के बाद उन्होंने संन्यास लेकर आध्यात्मिक जीवन अपनाया और पंच दशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर बने। उनकी अंतिम यात्रा हरिद्वार में होगी, जहां उन्हें समाधि दी जाएगी। उनके निधन से आध्यात्मिक और सैन्य दोनों ही क्षेत्रों में शोक की लहर है।
पायलट बाबा के इंस्टाग्राम पर निधन की घोषणा
पायलट बाबा के ऑफिशियल इंस्टाग्राम अकाउंट पर उनके निधन की खबर शेयर की गई है। पोस्ट में लिखा गया- 'ओम नमो नारायण। भारी मन और गहरे सम्मान के साथ, सभी शिष्यों और भक्तों को सूचित किया जाता है कि हमारे पूज्य गुरुदेव महायोगी पायलट बाबाजी ने आज महासमाधि ले ली है। यह समय शांति से घरों में रहकर प्रार्थना करने का है। कृपया किसी भी प्रकार की चिंता या अराजकता न फैलाएं। आगे के निर्देशों के लिए प्रतीक्षा करें। नमो नारायण।'
कौन थे पायलट बाबा?
बिहार के सासाराम में जन्मे पायलट बाबा ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से ऑर्गेनिक केमिस्ट्री में मास्टर डिग्री प्राप्त की और 1957 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुए। 1965 के युद्ध में उन्होंने पाकिस्तानी शहरों पर अपने ग्नैट विमान को कम ऊंचाई पर उड़ाने के लिए प्रसिद्धि हासिल की। 1971 के युद्ध के बाद कुछ कारणों से उनका करियर संकट में आ गया, जिसके बाद उन्होंने वायुसेना छोड़ दी और 7 साल तक हिमालय में साधना की, जहां उन्हें उनके गुरु मिले और उन्होंने वहीं से साधना को जारी रखा।
तपस्या के अनुभवों के बाद लिखी कई किताबें
पायलट बाबा ने दावा किया था कि उन्होंने महाभारत के महान योद्धा अश्वत्थामा से मुलाकात की थी, जो उनके अनुसार, हिमालय की तलहटी में जनजातियों के बीच रहते थे। उन्होंने अपनी तपस्या के अनुभवों पर आधारित कई किताबें भी लिखीं, जिनमें 'Unveils Mystery of Himalaya (Part 1)' और 'Discover Secret of The Himalaya (Part 2)' सबसे खास किताबें रही। उनकी वेबसाइट के मुताबिक, इन किताबों में उन्होंने महावतार बाबाजी, अश्वत्थामा और कृपाचार्य जैसे प्राचीन व्यक्तियों के साथ अपनी बातचीत और समाधि के विज्ञान पर चर्चा की है।
Published By : Nidhi Mudgill
पब्लिश्ड 20 August 2024 at 20:57 IST