अपडेटेड 25 February 2025 at 17:27 IST

जिस CAG report ने बढ़ाई दिल्ली में AAP की मुश्किलें, 10 पॉइंट में जानें उसका सार

BJP ने दावा किया है कि CAG Report ने AAP सरकार के दौरान हुई वित्तीय अनियमितताओं को उजागर किया है। रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण बिंदु सामने आए हैं।

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CAG report की 10 बड़ी बातें | Image: ANI

CAG report Delhi Assembly : दिल्ली विधानसभा में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कैग रिपोर्ट (Comptroller and Auditor General report) पेश की है। इस CAG रिपोर्ट ने पिछली AAP सरकार के कार्यकाल में कई अनियमितताओं को उजागर किया है। यह रिपोर्ट दिल्ली में शराब नीति (Excise Policy) और अन्य प्रशासनिक खामियों को उजागर करती है।

BJP ने आरोप लगाया है कि यह रिपोर्ट आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार के 'काले कारनामों' को उजागर करेगी। BJP ने दावा किया है कि इस रिपोर्ट ने AAP सरकार में हुई वित्तीय अनियमितताओं को उजागर किया है। रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण बिंदु सामने आए हैं। तो चलिए जानते हैं इस रिपोर्ट की 10 बड़ी बातें।

राजस्व का नुकसान: रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सरकार की शराब नीति की वजह से सरकारी खजाने को 2,026 करोड़ रुपये का नुकसान है। इसमें नीति के लक्ष्यों से विचलन और पारदर्शिता की कमी को जिम्मेदार ठहराया गया।

लाइसेंस सरेंडर पर दोबारा टेंडर नहीं: लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में भी अनियमितता सामने आई है। सरकार ने सरेंडर किए गए लेकिन लाइसेंसों को दोबारा टेंडर नहीं किया, जिससे 890 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसे बड़ी नीतिगत चूक माना गया है। जिससे शराब की आपूर्ति प्रभावित हुई है।

थोक विक्रेताओं की मोनोपोली: रिपोर्ट में कहा गया है कि शराब बनाने वाली कंपनियों और थोक विक्रेताओं के बीच गठजोड़ था। जिसके कारण थोक विक्रेताओं की मोनोपोली स्थापित हो गई।

3 लोगों के पास 71 प्रतिशत कारोबार: शराब पॉलिसी के आने से पहले दिल्ली में 101 लोग शराब का कारोबार करते थे। 101 लोगों की जगह कम करके 14 लोगों को काम दिया गया। इन 14 लोगों में से भी 3 लोगों के पास दिल्ली में 71 प्रतिशत काम था। 3 लोगों को शराब के धंधे में मोनोपॉली दी गई।

पारदर्शिता की कमी: शराब की कीमतों और लाइसेंसिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी पाई गई, जिससे उपभोक्ताओं के विकल्प सीमित हो गए। मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता की कमी रही, जिससे लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ मिला और सरकार को नुकसान हुआ।

जोनल लाइसेंस में छूट से नुकसान: लाइसेंस शुल्क में कमी के कारण सरकारी राजस्व में और भी कमी आई। जोनल लाइसेंस में दी गई छूट के कारण 941 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व नुकसान हुआ।

लाइसेंस जारी करने में लापरवाही: कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि रिटेल विक्रेताओं को बिना उचित जांच-पड़ताल के लाइसेंस जारी कर दिए गए, जिससे अनियमितताएं बढ़ीं। लाइसेंस शुल्क में करीब 890 करोड़ का नुकसान।

नियमों का उल्लंघन: दिल्ली के मास्टर प्लान के तहत कुछ क्षेत्रों में शराब की दुकानें खोलने पर रोक थी, लेकिन नई नीति के तहत इन क्षेत्रों में भी दुकानें खोली गईं।

कोविड-19 के बहाने शुल्क में छूट: कोविड-19 का हवाला देते हुए क्षेत्रीय लाइसेंसधारियों को शुल्क में छूट देने से राजस्व में और कमी आई। कोरोना महामारी में लगे लॉकडाउन के कारण लाइसेंसधारियों को अनियमित अनुदान छूट के कारण 144 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ।

सरेंडर किए गए लाइसेंस का पुनः टेंडर नहीं: सरेंडर किए गए लाइसेंसों को दोबारा टेंडर न करने से सरकारी राजस्व में कमी आई। क्षेत्रीय लाइसेंसधारियों से उचित सिक्योरिटी डिपॉजिट एकत्र न करने से सरकारी खजाने को नुकसान हुआ। 

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 25 February 2025 at 17:25 IST