अपडेटेड 24 February 2025 at 07:59 IST
तमिलनाडु में फिर दिखी हिंदी के लिए नफरत! स्टेशनों के नाम वाले बोर्ड पर पोती कालिख; रेलवे ने लिया एक्शन
तमिलनाडु में भाषा को लेकर जारी विवाद के बीच दो रेलवे स्टेशनों के हिंदी में लिखे गए नाम पर कालिख पोत दी। रेलवे ने इस पर एक्शन भी लिया।
Tamil Nadu Language Row: भाषा को लेकर तमिलनाडु और केंद्र सरकार के बीच विवाद जारी है। इस बीच रेलवे स्टेशनों के नाम वाले बोर्ड पर हिंदी में लिखे शब्दों पर कालिश पोतने का मामला सामने आया है। तमिल समर्थक कार्यकर्ताओं ने दो रेलवे स्टेशनों के नाम वाले बोर्ड को काला कर दिया। मामले में रेलवे ने एक्शन लेते हुए पहले तो फौरन इसे ठीक कराया और आरोपियों की पहचान कर उनके खिलाफ FIR भी दर्ज कर ली।
तमिलनाडु की स्टालिन और केंद्र सरकार के बीच भाषा को लेकर तकरार जारी है। सत्तारूढ़ DMK सरकार ने केंद्र पर हिंदी थोपने के आरोप लगाए हैं। खास तौर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) को लेकर तीखी बहस चल रही है। वहीं, केंद्र इन आरोपों को सिरे से नकारती नजर आ रही है।
हिंदी में लिखे नाम पर पोती कालिख
इस बीच रविवार (23 फरवरी) को तमिलनाडु में तमिल समर्थक कार्यकर्ताओं ने प्रदेश के दो रेलवे स्टेशनों के नाम वाले बोर्ड पर लिखे हिंदी शब्दों पर कालिख पोत दी। इसका एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें कार्यकर्ता हिंदी में लिखे ‘पोल्लाच्चि जंक्शन’ पर काला पेंट करते दिखाई दे रहे हैं।
आरोपियों की पहचान हुई, रेलवे ने दर्ज की FIR
मामला सामने आने के बाद रेलवे अधिकारियों ने तुरंत इसे ठीक किया। वहीं, दक्षिणी रेलवे के पालघाट मंडल ने इस संबंध में यह भी बताया, ‘‘RPF ने पोलाच्चि के आरोपियों की पहचान कर ली है। रेलवे अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है। उन पर मुकदमा चलाया जाएगा। इसे तुरंत ठीक कर दिया गया।’’
अधिकारियों ने यह भी बताया कि इसके अलावा DMK कार्यकर्ताओं ने पलयनकोट्टई रेलवे स्टेशन के बोर्ड पर भी हिंदी नाम को काले रंग से रंग दिया। मामले में RPF ने रेलवे अधिनियम की संबंधित धाराओं में पार्टी के 6 कार्यकर्ताओं पर केस दर्ज किया है और जांच में जुट गई।
10 हजार करोड़ दें, तब भी लागू नहीं करेंगे NEP- स्टालिन
बता दें कि तमिलनाडु की DMK सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के जरिए केंद्र पर हिंदी थोपने के आरोप लगाए है। बीते दिनों एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए CM एमके स्टालिन ने कहा कि अगर केंद्र 10 हजार करोड़ रुपये देने की पेशकश करें तो भी वह इसे लागू करने के लिए सहमत नहीं होंगे।
उनका कहना है कि NEP का विरोध केवल हिंदी थोपने की कोशिश के चलते नहीं है। कई और कारण है, जिससे छात्रों के भविष्य और सामाजिक न्याय प्रणाली पर गंभीर परिणाम होंगे।
वहीं, केंद्र की ओर से DMK सरकार के इन दावों को सिरे से खारिज किया जा रहा है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आरोपों को ‘काल्पनिक’ बताते हुए कहा कि किसी भी भाषा को थोपने की NEP सिफारिश नहीं करती।
Published By : Ruchi Mehra
पब्लिश्ड 24 February 2025 at 07:59 IST