अपडेटेड 25 August 2025 at 11:26 IST

'जब लालू यादव को बचाने के लिए फाड़ा था मनमोहन सरकार का अध्‍यादेश...', अमित शाह ने राहुल गांधी से पूछा- तब कहां थी आपकी नैतिकता?

शाह ने साल 2013 की घटना का भी जिक्र किया, जिसमें राहुल गांधी ने मनमोहन सिंह सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को फाड़ दिया था। 

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'जब लालू यादव को बचाने के लिए फाड़ा था मनमोहन सरकार का अध्‍यादेश...', अमित शाह ने राहुल गांधी से पूछा- तब कहां थी आपकी नैतिकता? | Image: ANI

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी की नैतिकता पर सवाल उठाए हैं। न्‍यूज एजेंसी ANI से खास बातचीत में अमित शाह ने कहा कि क्या तीन आम चुनाव लगातार हारने के बाद, राहुल गांधी की नैतिकता बदल गई है? अमित शाह ने 130वें संविधान संशोधन विधेयक को लेकर राहुल गांधी और कांग्रेस को आड़े हाथों लिया। शाह ने साल 2013 की घटना का भी जिक्र किया, जिसमें राहुल गांधी ने मनमोहन सिंह सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को फाड़ दिया था। 

राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए अमित शाह ने कहा कि, 'लालू यादव को बचाने के लिए मनमोहन सिंह के दौरान में एक अध्यादेश आया था। उसे राहुल गांधी ने फाड़ दिया था। आखिर उसका आधार क्या था? यदि उस दिन वह नैतिकता थी तो आज क्या दिक्कत है? लगातार तीन चुनाव हारना इस विरोध की वजह है?' यह पूछे जाने पर कि क्या इससे विपक्षी दलों के नेताओं का उत्पीड़न पर होगा। इस पर अमित शाह ने कहा कि ऐसे आरोप ही गलत हैं। किसी भी मसले पर हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट को बेल देने का अधिकार है। 

उन पर भरोसा रखना चाहिए। यदि 30 दिन के बाद जमानत मिल जाती है तो सीएम, पीएम या मंत्री फिर से शपथ ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि देश में सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री तो एनडीए के ही हैं। इस लिहाज से यह विधेयक तो हमारे लिए ही परेशानी वाला हुआ। उन्होंने कहा कि यदि कोई नेता 30 दिन जेल में रहने पर पद से हटता है और फिर छूट आता है तो भी बहुमत होने पर उसकी सरकार को तो खतरा होगा नहीं। वापस लौटने पर वह फिर से शपथ ले सकता है।

क्या था मनमोहन सरकार में लाए गए अध्यादेश में

उल्लेखनीय है कि मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को पलटने के लिए अध्यादेश लाया गया था। यह अध्यादेश बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव को बचाने के लिए लाया गया था, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अयोग्य घोषित हो गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने दोषी सांसदों और विधायकों की सदस्यता रद्द करने और उन्हें अयोग्य घोषित करने का फैसला सुनाया था। 

मनमोहन सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश में अयोग्य घोषित किए गए सांसदों-विधायकों को तीन महीने का समय दिया गया था, जिसमें वे दोबारा निर्वाचित हो सकते थे, लेकिन राहुल गांधी ने इसे गलत बताते हुए फाड़ दिया था। इससे राहुल गांधी की अपनी ही पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा हो गई थी।

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Published By : Ankur Shrivastava

पब्लिश्ड 25 August 2025 at 11:26 IST