अपडेटेड 24 May 2025 at 10:36 IST

'मेरा नेत्रहीन होना मेरी ताकत है, कमजोरी नहीं', माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली पहली दृष्टिबाधित महिला बनी छोंजिन आंगमो

छोंजिन आंगमो माउंट एवरेस्ट की सबसे ऊंची चोट पर तिरंगा लहराने वाली पहली दृष्टिबाधित महिला बन गई हैं। उन्होंने अपने नेत्रहीनता को सबसे बड़ी ताकत बताया है।

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Chhonzin Angmo | Image: X/ Instagram/ chhonzin_angmo

दृष्टिहीनता को मात देकर हिमाचल की महिला ने अपने नाम ऐसे रिकॉर्ड कर लिया जो आज तक किसी भारतीय महिला नहीं कर पाई।  किन्नौर जिले के एक दूरदराज के गांव की आदिवासी महिला छोंजिन आंगमो पूरी तरह दृष्टिबाधित हैं, लेकिन उन्होंने कभी भी इसे अपने सपनों के आड़े नहीं आने दिया। यही वजह रही कि उन्होंने अपनी इच्छा शक्ति से इतिहास रच दिया।


छोंजिन आंगमो  माउंट एवरेस्ट की सबसे ऊंची चोट पर तिरंगा लहराने वाली पहली दृष्टिबाधित महिला बन गई हैं। उन्होंने अपनी इच्छा शक्ति से नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया। हेलेन केलर को अपना आदर्श मानने वाली आंगमो उनके इस कथन पर गहराई से विश्वास करती हैं, दृष्टिबाधित होने से बुरी बात है, आंखों के होते हुए भी दृष्टि (कोई सपना) न होना।

छोंजिन आंगमो ने रचा इतिहास 

छोंजिन आंगमो माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली भारत की पहली दृष्टिबाधित महिला और दुनिया की पांचवीं ऐसी शख्स बनकर इतिहास रच दिया और धरती की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा फहराया। किन्नौर की रहने वाली आंगमो की लआठ साल की उम्र में दृष्टि चली गयी थी। मगर उसने कभी हार नहीं मानी और  दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ने का सपना आखिरकार पूरा कर ही लिया।

पढ़ाई में भी अव्वल है छोंजिन आंगमो 

भारत-तिब्बत सीमा पर सुदूर चांगो गांव में जन्मी आंगमो की भले आंखों की रोशनी चली गई थी, बावजूद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस (महाविद्यालय) से स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। ​​वर्तमान में, वह दिल्ली में ‘यूनियन बैंक ऑफ इंडिया’ में ग्राहक सेवा सहयोगी के रूप में काम करती हैं। आंगमो की नई उपलब्धि से पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गई है।

अंधेपन को बताया अपनी ताकत

आंगमो का कहना कि उनका अंधापन उनकी सबसे बड़ी ताकत है,कमजोरी नहीं। अपनी सफलता पर उन्होंने कहा, पहाड़ की चोटियों पर चढ़ना मेरा बचपन का सपना रहा है, लेकिन आर्थिक तंगी एक बड़ी चुनौती थी। अब मैं उन सभी चोटियों पर चढ़ने का प्रयास करूंगी, जो छूट गई हैं। बता दें कि अक्टूबर 2024 में, आंगमो 5,364 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एवरेस्ट बेस कैंप तक ट्रेक पूरा करने वाली पहली दृष्टिबाधित भारतीय महिला बन गयी थीं।

ये उपलब्धि भी हासिल की

छोंजिन आंगमो  ने पहले एवरेस्ट बेस कैंप तक ट्रैकिंग की, फिर लद्दाख कांगो तक फतह किया. वह लद्दाख में माउंट कांग यात्से 2 (6,250 मीटर) पर चढ़ाई कर चुकी हैं। वह दिव्यांग अभियान दल की सदस्य भी थीं, जिसने केंद्र शासित प्रदेश में लगभग 6,000 मीटर की ऊंचाई पर एक अनाम चोटी पर चढ़ाई की थी।

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Published By : Rupam Kumari

पब्लिश्ड 24 May 2025 at 10:36 IST