अपडेटेड 10 December 2025 at 16:30 IST

'बिहार में दलित, OBC और आदिवासियों के नाम काटे गए, ना रोहिंगिया और ना मिले घुसपैठिए', पप्पू यादव ने बिहार में SIR पर उठाए गंभीर सवाल

बिहार चुनावों का जिक्र करते हुए पप्पू यादव ने आरोप लगाया कि "बिहार चुनाव में घुसपैठिए के नाम पर एक कम्युनिटी के खिलाफ नफरत फैलाने का काम किया गया।" उन्होंने सवाल पूछा कि इस SIR का आधार क्या था?

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पप्पू यादव ने बिहार में SIR पर उठाए गंभीर सवाल | Image: Video Grab

Bihar News : लोकसभा में एक जोरदार बहस के दौरान बिहार के पूर्णियां से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने दावा किया कि बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) और अधिकारियों ने 2024 के लोकसभा चुनाव नतीजों को आधार बनाकर नाम काटने का काम किया। मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर हेराफेरी की गई, जिससे विपक्षी दलों के वोट कटे और सत्ताधारी पक्ष को फायदा पहुंचा।

पप्पू यादव ने विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को निशाना बनाते हुए कहा कि यह चुनावी धांधली का एक सुनियोजित तरीका है। पूर्णियां सांसद ने सदन में अपनी बात रखते हुए कहा, "इनको SIR से कोई मतलब नहीं था। विधानसभा चुनाव से छह महीने पहले SIR हुआ था। बैलट पेपर पर इनको कम वोट मिलते हैं, बैलट पेपर पर हम चुनाव जीत जाते हैं और EVM पर ये चुनाव जीत जाते हैं।" दरअसल, पप्पू यादव का इशारा EVM मशीनों की गड़बड़ी की तरफ था।

अधिकारियों और BLO पर आरोप

उन्होंने आरोप लगाया कि कई स्थानों पर मतदाता सूची से नाम काट दिए गए, खासकर महिलाओं के नाम। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि इस SIR का आधार क्या था? क्यों किया गया? और जिन लोगों को हटाया गया, क्यों हटाया गया? क्या कारण थे? इस बारे में कुछ नहीं बताया गया। पप्पू यादव के अनुसार कुल 69 लाख वोटों को काट दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि "बिहार में जिन लोगों के वोट कटे हैं उनमें 99% दलित, OBC और आदिवासियों के नाम काटे गए। अधिकारियों और BLO ने वोटर लिस्ट लेकर एक जगह बैठकर नाम काटे"।

'हमारे वोट काटे, इनके जोड़े'

बिहार चुनावों का जिक्र करते हुए पप्पू यादव ने सांप्रदायिक रंग भी दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि "बिहार चुनाव में घुसपैठिए के नाम पर एक कम्युनिटी के खिलाफ नफरत फैलाने का काम किया गया। इस SIR का आधार क्या था? हमारे वोट काटे गए, इनके वोट जोड़े गए,"। उनका कहना था कि यह प्रक्रिया न केवल चुनावी हेराफेरी है, बल्कि सामाजिक विभाजन को बढ़ावा देने वाली साजिश भी है।

पप्पू यादव ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने मांग की कि सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित रखा जाए, ताकि भविष्य में किसी भी धांधली की जांच हो सके। साथ ही, मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) की नियुक्ति में मुख्य न्यायाधीश (CJI) को शामिल करने की मांग की। आपको बता दें, विपक्षी नेता लंबे समय से ईवीएम और मतदाता सूची की पारदर्शिता पर चिंता जता रहे हैं। 

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 10 December 2025 at 16:30 IST