अपडेटेड 21 November 2025 at 15:06 IST

'इतिहास में पहली बार गरीबों के वोट खरीदे गए, हमलोग नीतीश को इमानदार मानते हैं लेकिन...',भूख हड़ताल, आत्ममंथन के बाद बोले प्रशांत किशोर

जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने दावा किया है कि NDA ने चुनाव में वोट खरीदे थे। उन्होंने दावे के साथ कहा कि देश के इतिहास में पहली बार राज्य में वोट खरीदे गए।

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Prashant Kishor | Image: ANI

बिहार विधानसभा चुनावी में करारी हार के बाद जनसुराज के मुखिया प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को बेतिया के गांधीधाम भितिहरवा में अपने एक दिन की भूख हड़ताल को खत्म किया। इसके साथ उन्होंने चुनाव के नतीजों पर आत्ममंथन करने के लिए एक दिन का मौन रखा। इस दौरान उन्होंने मीडिया से बात करते हुए चुनाव में धांधली समेत बिहार सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए।


जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने कहा, "बिहार में लोकतंत्र के साथ एक बहुत बड़ा अन्याय हुआ है। हम चंद लोगों ने यहां से पैदल चलना शुरू किया था और देखते ही देखते 2 सालों में जन सुराज लाखों लोगों का परिवार बन गया। बिहार में लाखों लोगों के मन में यह आशा रही कि बिहार भी बदल सकता है। सभी को स्वतंत्र होकर वोट डालने का अधिकार होना चाहिए लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि समाज के गरीब लोगों का वोट खरीद लिया गया है।"

देश के इतिहास में पहली बार राज्य में वोट खरीदे गए-पीके 

प्रशांत किशोर ने दावा किया कि 'देश के इतिहास में पहली बार राज्य में वोट खरीदे गए। इसके लिए एक करोड़ से अधिक महिलाओं के खातों में 10-10 हजार रुपए जमा कराए गए। पीके ने यहां तक कह दिया कि अगर मैं गलत कह रहा हूं तो बिहार सरकार मुझे जेल भेज दें। उन्होंने यहां तक दावा किया कि राज्य सरकार के पास फंड नहीं था, इसलिए राज्य के आकस्मिकता निधि से राशि ली गई और विश्व बैंक के अनुदानों को भी इस्तेमाल किया गया। मैं नीतीश कुमार को व्यक्तिगत तौर पर ईमानदार मानता हूं। मगर ये ईमानदारी की कौन सी परिभाषा है।'

बिहार के लोगों को जागरूक होना होगा-प्रशांत किशोर

प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि बिहार की राजनीति में लंबे समय से जातीय विभाजन, पैसे की ताकत और धार्मिक ध्रुवीकरण हावी रहा है, जिसका असर चुनावों में साफ दिखता है। पीके ने कहा कि भारतीय संविधान में लोगों को बड़ा अधिकार दिया है वो है वोट का अधिकार, अमेरिका जैसे देश को मतदान का हक लेने में दशकों लग गए। मगर बिहार में परिवर्तन तभी संभव है जब समाज स्वयं जागरूक होकर अपने अधिकार और कर्तव्य को समझे। 

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Published By : Sujeet Kumar

पब्लिश्ड 21 November 2025 at 15:06 IST