अपडेटेड 14 August 2025 at 13:40 IST

छठ पूजा को लेकर भारत सरकार ने UNESCO को लिखा लेटर, बिहार के महापर्व को दुनिया के सांस्कृतिक विरासत में शामिल करने की हो रही तैयारी

Bihar Chhath Puja 2025: छठ पूजा को लेकर भारत सरकार ने UNESCO को एक चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में बिहार के महापर्व छठ पूजा को दुनिया के सांस्कृतिक विरासत की लिस्ट में शामिल करने के लिए कहा गया है।

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छठ पूजा | Image: Pinterest

Bihar Chhath Puja 2025: बिहार के महापर्व छठ पूजा को वैश्विक पटल पर नई पहचान दिलाने की तैयारी हो रही है। भारत सरकार ने छठ महापर्व को लेकर UNESCO को एक चिट्ठी भी लिखी है, जिसमें इसे यूनेस्को के सांस्कृतिक विरासट की लिस्ट में शामिल करने के लिए कहा जा रहा है। छठी मइया फाउंडेशन की तरफ से संस्कृति मंत्रालय से इसके बारे में अनुरोध किया गया था। इसके बाद संस्कृति मंत्रालय ने संगीत नाटक अकादमी (SNA) को इस सिलसिले में जरूरी कदम उठाने के लिए कहा।

छठ पूजा को लेकर संस्कृति मंत्रालय ने एसएनए को आदेश दिया है कि यूनेस्को के सांस्कृतिक विरासत की लिस्ट में इस महापर्व को शामिल करने के लिए जल्द से जल्द प्रक्रिया शुरू करे। इस सिलसिले में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने 8 अगस्त को औपचारिक आदेश भी जारी किया है।

छठ पूजा को दुनिया में मिलेगी पहचान

छठ पूजा वैसे भी देश ही नहीं दुनिया के कोने-कोने में मनाया जाता है। जहां भी बिहार के लोग रहते हैं, वह इस महापर्व को जरूर मनाते हैं। ऐसे में अगर इसे यूनेस्को की लिस्ट में शामिल किया जाता है, तो ना केवल के इसे वैश्विक पहचान मिलेगी, बल्कि इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और बिहार की स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती भी मिलेगी।

छठ पूजा- जहां डूबते सूरज की भी करते हैं अराधना

बिहार में छठ पूजा को एक महापर्व की तरह मनाया जाता है, जिसे लेकर कई मान्यताएं हैं। बिहार में इस महापर्व को बड़ी ही आस्था और पवित्रता के साथ मनाया जाता है। यह एक ऐसा महापर्व है, जिसमें केवल उगते हुए सूर्य की ही नहीं, डूबते हुए सूर्य की भी अराधना की जाती है। नहाय खाय से शुरू होता है और भोर के अर्घ्य के साथ समाप्त होता है। इस पर्व की एक और खासियत है।

छठ पूजा सामाजिक एकता का भी है प्रतीक

यह समाज में जातिगत असमानता के बावजूद एकता का प्रतीक है। इस पर्व को ना केवल हिंदू बल्कि मुस्लिम समुदाय के भी कुछ लोग अपनी आस्था से मनाते हैं। वहीं छठ पूजा में जिन सामग्रियों का इस्तेमाल होता है, वह हर जाति के लोग बनाते हैं। मिट्टी के चूल्हे से लेकर सूप तक... यह पर्व जातिगत भेद को मिटाता हुआ और आस्था के लिए एकजुटता को बल देता है।

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Published By : Kanak Kumari Jha

पब्लिश्ड 14 August 2025 at 13:32 IST