अपडेटेड 2 February 2025 at 18:52 IST

Badrinath Dham: कब खुलेंगे बद्रीनाथ के कपाट, कबसे शुरू होगी चारधाम यात्रा; बाबा के दर्शन की कर लीजिए तैयारी आ गई तारीख 

वसंत पंचमी के पावन अवसर पर टिहरी राज दरबार नरेंद्रनगर में गणेश पूजन के साथ विश्व प्रसिद्ध भगवान श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि घोषित कर दी गई है।

Follow :  
×

Share


बद्रीनाथ धाम यात्रा | Image: ANI

Badrinath Kapat Opening Date: वसंत पंचमी के पावन अवसर पर टिहरी राज दरबार नरेंद्रनगर में गणेश पूजन के साथ विश्व प्रसिद्ध भगवान श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि घोषित कर दी गई है। शुभ मुहूर्त के अनुसार- 4 मई को सुबह 6 बजे विधिवत पूजा-अर्चना के बाद कपाट आम श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिए जाएंगे। भगवान बदरी विशाल के महाभिषेक के लिए तिलों का तेल 22 अप्रैल को पिरोया जाएगा, जिसके साथ ही गाडू घड़ा तेल कलश यात्रा का शुभारंभ होगा।

रविवार को नरेंद्रनगर स्थित राजदरबार में राज पुरोहित आचार्य कृष्ण प्रसाद उनियाल ने गणेश पूजन, पंचांग और चौकी पूजन के बाद महाराजा मनुज्येंद्र शाह की जन्म कुंडली का अध्ययन कर ग्रह नक्षत्रों की दशा देख कपाट खुलने की तिथि घोषित की। इस अवसर पर महारानी माला राज्य लक्ष्मी शाह के नेतृत्व में स्थानीय सुहागिन महिलाएं तिलों का तेल निकालेंगी।

22 अप्रैल से गाडू घड़ा यात्रा होगी शुरू 

गाडू घड़ा यात्रा 22 अप्रैल को डिम्मर पंचायत से प्रारंभ होकर ऋषिकेश, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, और पांडुकेश्वर में प्रवास करेगी। यात्रा 3 मई को बद्रीनाथ धाम पहुंचेगी और 4 मई को तिलों के तेल से भगवान बदरी विशाल के महाभिषेक के बाद कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। इसके साथ ही चारधाम यात्रा की भी विधिवत शुरुआत हो जाएगी।

बद्रीनाथ मंदिर से जुड़ी खास बातें 

उत्तराखंड को देवभूमि भी कहा जाता है। यहां पर चारों धामों की कई ऐसी रोचक बाते हैं, जो आपको सोचने पर मजबूर कर देंगी। आज हम आपको बद्रीनाथ मंदिर से जुड़ी हुई कुछ रोचक बातें बताएंगे। बद्रीनाथ मंदिर चार धामों में से एक है। बद्री नाथ पूरी दुनिया में हिंदू आस्था के सर्वश्रेष्ठ मंदिरों में से एक है। चार धामों में से पहले बद्रीनाथ धाम में हर साल लाखों श्रद्धालु विश्व भर से दर्शन करने के लिए आते हैं। इस मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी से लेकर सोलहवीं शताब्दी तक हुआ था और कई सारे परिवर्तन भी हुए थे। चलिए आपको इस मंदिर की कुछ खास बातें बताते हैं।

कैसे शुरू हुई थी पूजा?

हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, बदरीनाथ की मूर्ति शालग्रामशिला से बनी हुई है। यह मूर्ति चतुर्भुज ध्यान मुद्रा में है। जब बौद्धों का प्राबल्य हुआ तब उन्होंने इसे बुद्ध की मूर्ति मानकर पूजा आरम्भ की थी। शंकराचार्य जी अपने बदरीधाम निवास के दौरान 6 महीने यहां रुके थे। इसके बाद वह केदारनाथ चले गए थे।

कई बार पहुंचा मंदिर को नुकसान

बद्रीनाथ मंदिर को भारी बर्फबारी और बारिश के कारण कई बार नुकसान पहुंचा है, लेकिन गढ़वाल के राजाओं ने मंदिर के नवीनीकरण के साथ ही इसका विस्तार भी किया। सन् 1803 में इस क्षेत्र में आए भूकंप से मंदिर को काफी नुकसान पहुंचा। आपको बता दें कि इस घटना के बाद जयपुर के राजा ने मंदिर का फिर से निर्माण करवाया था।

मंदिर के नीचे है गर्म पानी का कुंड

इस मंदिर के ठीक नीचे औषधीय गुणों से युक्त गर्म पानी का कुंड भी मौजूद है। इस कुंड के पानी में सल्फर की अच्छी खासी मात्रा पाई जाती है। श्रद्धालु भगवान बद्रीनाथ के दर्शनों से पहले इस कुंड में जरूर स्नान करते हैं। माना जाता है कि इस कुंड में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो श्रद्धालुओं को चर्म रोग जैसी समस्याओं को ठीक कर देते हैं। भगवान बद्रीविशाल के इस मंदिर का उल्लेख तमाम प्राचीन हिंदू ग्रंथों में मिलता है। इन ग्रंथों में भागवत पुराण, स्कंद पुराण और महाभारत आदि प्रमुख हैं।

यह भी पढ़ें : जानिए खूंखार इंटरनेशनल गैंगस्टर जोगिंदर ग्योंग की पूरी क्राइम कुंडली

Published By : Nidhi Mudgill

पब्लिश्ड 2 February 2025 at 18:52 IST