अपडेटेड 29 May 2025 at 11:14 IST
जगद्गुरु से दीक्षा लेने पहुंचे आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी, लिया राममंत्र; रामभद्राचार्य बोले- दक्षिणा में चाहिए PoK
जगद्गुरु रामभद्राचार्य और ऑर्मी चीफ जनरल के बीच का यह धार्मिक अनुष्ठान एक असामान्य और देशभक्ति से भरे संवाद में तब बदल गया, जब जगद्गुरु ने दीक्षा के बाद दक्षिणा के रूप में पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) की मांग की। जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने इस अवसर पर कहा, 'मैंने सेना प्रमुख को वही राम मंत्र दिया है, जो माता सीता ने भगवान हनुमान को दिया था वह मंत्र जिसने हनुमान को लंका विजय की शक्ति दी थी।'
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने हाल ही में मध्य प्रदेश के चित्रकूट स्थित तुलसी पीठ आश्रम में जगद्गुरु रामभद्राचार्य से राम मंत्र की दीक्षा ली। यह क्षण धार्मिक आस्था और राष्ट्रभक्ति का अनोखा संगम बन गया, जब दीक्षा के उपरांत रामभद्राचार्य ने एक अप्रत्याशित दक्षिणा की मांग की उन्होंने कहा, 'मुझे दक्षिणा में PoK चाहिए।' जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने बताया कि उन्होंने सेना प्रमुख को वही राम मंत्र दिया, जिसे मां सीता ने भगवान हनुमान को दिया था, और जिसकी शक्ति से हनुमान ने लंका पर विजय प्राप्त की थी। उन्होंने मुस्कराते हुए कहा, 'मैंने उनसे दक्षिणा मांगी है पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK)।'
यह कथन एक धार्मिक अनुष्ठान की सामान्य परंपरा से कहीं आगे निकलकर एक गहरा सांकेतिक संदेश बन गया, जो देश की अखंडता और संकल्प को दर्शाता है। जनरल द्विवेदी और संत रामभद्राचार्य की यह मुलाकात अब केवल आध्यात्मिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक बन चुकी है। मध्य प्रदेश के चित्रकूट स्थित तुलसी पीठ आश्रम में एक विशेष और प्रेरणादायक क्षण देखने को मिला, जब भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य से राम मंत्र की दीक्षा ली।
मुझे दक्षिणा में PoK चाहिएः रामभद्राचार्य
जगद्गुरु रामभद्राचार्य और ऑर्मी चीफ जनरल के बीच का यह धार्मिक अनुष्ठान एक असामान्य और देशभक्ति से भरे संवाद में तब बदल गया, जब जगद्गुरु ने दीक्षा के बाद दक्षिणा के रूप में पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) की मांग की। जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने इस अवसर पर कहा, 'मैंने सेना प्रमुख को वही राम मंत्र दिया है, जो माता सीता ने भगवान हनुमान को दिया था वह मंत्र जिसने हनुमान को लंका विजय की शक्ति दी थी।' उन्होंने आगे मुस्कराते हुए कहा, 'मैंने उनसे दक्षिणा मांगी है मुझे PoK चाहिए।' यह संवाद प्रतीकात्मक था, लेकिन उसमें गहरी राष्ट्रभावना झलकती है। एक ओर आध्यात्मिक शक्ति का आह्वान था, तो दूसरी ओर भारत की भू-आकांक्षा का स्पष्ट संकेत। यह मुलाकात अब सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि राष्ट्रीय संकल्प और आत्मबल का प्रतीक बन चुकी है।
भविष्य में पाक ने अगर ये हरकत दोहराई तो नेस्तनाबूद कर दिया जाएगा
चित्रकूट के तुलसी पीठ आश्रम में इस विशेष अवसर पर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी को राम मंत्र की दीक्षा दी। इस पावन अवसर के बाद जगद्गुरु ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए अपनी भावनाएं साझा कीं। उन्होंने कहा, 'सेना प्रमुख का हमारे आश्रम में आना और उन्हें सम्मानित करना मेरे लिए गौरव की बात है।' साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर भी एक सशक्त संदेश दिया। जगद्गुरु ने स्पष्ट शब्दों में कहा, 'अगर पाकिस्तान भविष्य में किसी आतंकवादी घटना को अंजाम देने की कोशिश करता है, तो वह पूरी तरह नेस्तनाबूद हो जाएगा।' जगद्गुरु ने यह भी बताया कि सेना प्रमुख ने वही राम मंत्र ग्रहण किया है, जो कभी सीता माता ने हनुमान जी को लंका विजय के लिए दिया था। यह दीक्षा केवल एक आध्यात्मिक अनुष्ठान नहीं थी, बल्कि उसमें भारत की सामरिक शक्ति और धार्मिक आस्था का गहरा संगम दिखाई दिया।
ऑर्मी चीफ जनरल ने जगद्गुरु को भेंट किया स्मृति चिन्ह
भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी का चित्रकूट स्थित तुलसी पीठ आश्रम का दौरा केवल एक आध्यात्मिक यात्रा तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह सामाजिक सेवा और राष्ट्रभक्ति से भी गहराई से जुड़ा रहा। इस यात्रा में उन्होंने सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय का निरीक्षण किया और सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट द्वारा आयोजित अभिनंदन समारोह में भाग लिया, जहां पद्मश्री डॉ. बीके जैन ने उनका आत्मीय स्वागत किया। जनरल द्विवेदी ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य को एक स्मृति चिह्न भी भेंट किया और उनके सतत सेवा कार्यों की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए उन्हें भारत की आध्यात्मिक और सामाजिक शक्ति का प्रतीक बताया। उनकी इस यात्रा के दौरान सुरक्षा के भी कड़े प्रबंध किए गए थे। आश्रम परिसर से लेकर कांच मंदिर तक हर मार्ग पर पुलिस और सुरक्षाबलों की तैनाती रही, जिससे क्षेत्र में सुरक्षा और गरिमा दोनों सुनिश्चित रही। सेना प्रमुख की उपस्थिति ने न केवल आध्यात्मिक वातावरण को ऊर्जावान किया, बल्कि चित्रकूट में राष्ट्रभक्ति और जनसेवा की भावना को भी नई ऊर्जा दी। यह दौरा एक प्रेरणादायक उदाहरण बन गया, जिसमें आध्यात्म, सेवा और राष्ट्रीय चेतना का सुंदर संगम देखने को मिला।
Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 29 May 2025 at 11:09 IST