अपडेटेड 23 March 2025 at 21:52 IST
वक्फ संशोधन विधेयक के विरोध में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड करेगा देशव्यापी आंदोलन, बिहार से होगी शुरूआत, कांग्रेस को भी न्योता
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ऐलान किया है कि देशव्यापी आंदोलन की शुरुआत बिहार से होगी। आंदोलन के पहले चरण में 26 मार्च को पटना में धरनों का आयोजन होगा।
Waqf Board Bill Amendment : भारत में इन दिनों वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक (Waqf Amendment Bill) को लेकर व्यापक विवाद चल रहा है। इस विवाद का मुख्य कारण वक्फ बोर्ड में सुधार के दावे और विपक्ष के धर्म में दखल देने के आरोपों के बीच का टकराव है। नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024, 1995 के वक्फ अधिनियम में संशोधन करने के लिए लाया गया है। जिसका मक्सद वक्फ बोर्डों की कार्यप्रणाली, संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है। अब All India Muslim Personal Law Board (AIMPLB) ने वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन का ऐलान किया है।
केंद्र सरकार इस विधेयक का उद्देश्य पारदर्शिता बता रही है, लेकिन विपक्षी दल और मुस्लिम संगठन इसे संविधान और धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ बना रहे हैं। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने वक्फ संशोधन विधेयक को पूरी तरह खारिज कर दिया है। बोर्ड की तरफ से गठित 31 सदस्यीय एक्शन कमेटी ने फैसला लिया है कि यह विधेयक न केवल विवादास्पद बल्कि पक्षपातपूर्ण और अल्पसंख्यक अधिकारों के लिए बेहद हानिकारक है। AIMPLB ने ऐलान किया है इसके खिलाफ संवैधानिक, कानूनी और लोकतांत्रिक माध्यमों से राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाया जाएगा।
बिहार से होगी आंदोलन की शुरुआत
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ऐलान किया है कि देशव्यापी आंदोलन की शुरुआत बिहार से होगी। आंदोलन के पहले चरण के तहत 26 मार्च को पटना और 29 मार्च को विजयवाड़ा में विधानसभाओं में बड़े पैमाने पर विरोध-धरनों का आयोजन किया जाएगा। इन धरनों में AIMPLB की केंद्रीय नेतृत्व टीम, अलग-अलग धार्मिक और सामाजिक संगठनों के राष्ट्रीय और प्रांतीय प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। इसके अलाना सिविल सोसाइटी, अल्पसंख्यक समुदायों के प्रमुख प्रतिनिधि, दलित, आदिवासी और OBC वर्गों के नेता भी इन आंदोलनों में भाग लेंगे।
राजनीतिक दलों को भी न्योता
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस आंदोलन में शामिल होने के लिए अलग-अलग राजनीतिक दलों के नेताओं और सांसदों को भी आमंत्रित किया है। हालांकि संसद सत्र के चलते अधिकतर दलों ने अपने सांसदों को व्हिप जारी किया है, फिर भी बोर्ड की कोशिश है कि विपक्षी सांसद इन धरनों में शामिल हो सके। पटना के कार्यक्रम में JDU, RJD , कांग्रेस और लोक जनशक्ति पार्टी के राज्य स्तरीय नेताओं और मुख्यमंत्री को भी आमंत्रित किया गया है। वहीं आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ TDP, वाईएसआर कांग्रेस, कांग्रेस पार्टी और वाम मोर्चे की पार्टियों को भी आमंत्रण भेजा गया है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. इलियास ने कहा- “इन दोनों धरनों के माध्यम से BJP की सहयोगी पार्टियों को एक स्पष्ट संदेश देना है कि या तो वे इस विधेयक से अपना समर्थन वापस लें, या फिर हमारे समर्थन से वंचित हो जाएं।” इलियास के अनुसार, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस आंदोलन के लिए एक विस्तृत और चरणबद्ध योजना तैयार की है। इसके तहत देश के हर राज्य की राजधानी में विरोध कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। हैदराबाद, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, मलेरकोटला (पंजाब) और रांची में बड़े स्तर पर जनसभाएं होंगी।
क्यों हो रहा विवाद?
अपको बतादें, वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक का उद्देश्य 1995 के वक्फ अधिनियम में बदलाव करना है। यह विधेयक वक्फ बोर्डों की कार्यप्रणाली, संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन में सुधार लाने के लिए लाया गया है। इसे पहली बार 8 अगस्त, 2024 को लोकसभा में पेश किया गया था। बिल पर विरोद बढ़ने के बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेज दिया गया। JPC ने फरवरी, 2025 में अपनी रिपोर्ट दी और मार्च 2025 तक यह चर्चा में बना हुआ है। मौजूदा कानून में, वक्फ बोर्ड को धारा 40 के तहत किसी भी संपत्ति को बिना किसी ठोस सबूत के वक्फ संपत्ति घोषित करने का अधिकार है। संशोधन में इस अधिकार को सीमित करने और जिला कलेक्टरों को संपत्ति की जांच का जिम्मा देने का प्रस्ताव है। सरकार का कहना है कि इससे मनमानी रुकेगी, लेकिन आलोचक इसे वक्फ बोर्ड की आजादी पर हमला बता रहे हैं।
इसके अलावा बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान है। सरकार का तर्क है कि यह लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करेगा, लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेता इसे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप मानते हैं। विधेयक में वक्फ संपत्तियों के नए सिरे से वेरिफिकेशन और रजिस्ट्रेशन की बात है। अभी तक प्रावधान है कि वक्फ घोषित संपत्ति हमेशा वक्फ रहती है। इसे कोर्ट में चुनौती देना भी मुश्किल होता है, लेकिन संशोधन होने के बाद सिविल कोर्ट और हाई कोर्ट में अपील का रास्ता खुल जाएगा। संशोधन में प्रस्ताव है कि वक्फ बोर्ड में महिलाओं को शामिल करना होगा, लेकिन कुछ मुस्लिम संगठन इसका भी विरोध कर रहे हैं।
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Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 23 March 2025 at 21:43 IST