अपडेटेड 2 December 2025 at 17:24 IST

पहले महबूबा मुफ्ती की बहन का अपहरण, फिर IC-814 प्लेन हाईजैक... अब कोर्ट ने शांगलू को क्यों छोड़ा? जानिए रुबैया सईद किडनैपिंग की पूरी कहानी

सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने सोमवार को 1989 के रुबैया सईद किडनैपिंग केस के सिलसिले में शफात अहमद शांगलू को गिरफ्तार किया था।

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Rubaiyya Sayeed Kidnap Case | Image: X/Republic

सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने सोमवार को 1989 के रुबैया सईद किडनैपिंग केस के सिलसिले में शफात अहमद शांगलू को गिरफ्तार किया था। आज 2 दिसंबर यानी मंगलवार को सीबीआई को झटका लगा, जब टाडा कोर्ट ने आरोपी शांगलू की रिमांड की अर्जी खारिज कर दी।

आपको बता दें कि शफात अहमद शांगलू हवाल का रहने वाला है और अभी इश्बर निशात में रह रहा है। अधिकारियों ने बताया कि यह गिरफ्तारी निशात पुलिस स्टेशन से हुई थी। इस केस ने तीन दशकों से ज्यादा समय से कश्मीर की पॉलिटिकल, सिक्योरिटी और इंटेलिजेंस एजेंसियों को परेशान किया हुआ है।

कोर्ट ने क्यों खारिज कर दी अर्जी?

आरोपी शफात शांगलू का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील सोहेल डार ने रिपब्लिक को बताया, "मेरा क्लाइंट इसमें शामिल नहीं था। उसे रिहा कर दिया गया है। CBI की पिटीशन खारिज कर दी गई है। वह किसी भी स्टेज में शामिल नहीं था।" वहीं, आरोपी शफात शांगलू ने भी इस मामले में बयान देते हुए कहा, "- मैं इस केस में शामिल नहीं था। कोर्ट ने CBI की अर्जी खारिज कर दी है। कोर्ट ने मुझे बरी कर दिया है। मैं दिल्ली और श्रीनगर में ट्रैवल करता हूं। मेरे पास वैलिड पासपोर्ट है जो श्रीनगर से जारी हुआ था। मैं किसी भी केस में शामिल नहीं था।"

रुबैया सईद किडनैपिंग की पूरी कहानी

8 दिसंबर, 1989 को जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के आतंकी संगठन ने उस समय के यूनियन होम मिनिस्टर मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद को किडनैप कर लिया था। रुबैया, जो उस समय एक युवा डॉक्टर थीं, को श्रीनगर के लाल देद मैटरनिटी हॉस्पिटल से घर लौटते समय किडनैप कर लिया गया था। उन्हें अगवा करने वालों ने जेल में बंद JKLF के पांच टेररिस्ट की रिहाई की मांग की थी। पांच दिनों की तनावपूर्ण बातचीत के बाद, V.P. सिंह की सरकार मान गई, और 13 दिसंबर, 1989 को आतंकवादियों के बदले रुबैया को रिहा कर दिया गया।

आतंकवादियों की मांगों को मानने के फैसले को बड़े पैमाने पर एक टर्निंग पॉइंट के तौर पर देखा जाता है, जिसने विद्रोही ग्रुप्स को बढ़ावा दिया और बंधक बनाने को राजनीतिक सौदेबाजी के एक टूल के तौर पर सही ठहराया। सुरक्षा अधिकारी अक्सर इसे कश्मीर में आतंकवाद के बढ़ने का समय बताते हैं।

इस मामले के आरोपियों में यासीन मलिक भी शामिल है, जो उस समय JKLF का कमांडर था। मलिक की पहचान खुद रुबैया ने की थी, जब वह 2022 में जम्मू में टेररिस्ट एंड डिसरप्टिव एक्टिविटीज (TADA) कोर्ट के सामने पेश हुई थी, और उसे अपने किडनैपर्स में से एक बताया था। मलिक अभी दिल्ली की तिहाड़ जेल में एक अलग टेरर-फंडिंग केस में दोषी पाए जाने के बाद उम्रकैद की सजा काट रहा है।

CBI, जिसने 1990 के दशक की शुरुआत में यह केस अपने हाथ में लिया था, ने हाल के सालों में कार्यवाही फिर से शुरू की है, गवाहों को पेश किया है और TADA कोर्ट के सामने कई आरोपियों से पूछताछ की है। रुबैया की गवाही ट्रायल में जरूरी सबूत थी, जिससे मलिक और दूसरों के खिलाफ प्रॉसिक्यूशन का केस मजबूत हुआ। एजेंसी ने तर्क दिया है कि किडनैपिंग सिर्फ एक क्रिमिनल एक्ट नहीं था, बल्कि एक टेरर स्ट्राइक था जिसने कश्मीर के सिक्योरिटी सिनेरियो का रास्ता बदल दिया।

IC-814 प्लेन हाईजैक

यह अपहरण कश्मीर के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुआ था। उस दिन से लेकर 8 दिसंबर 1989 तक के छह दिनों ने एक मिसाल कायम की और आतंकवादियों को हिम्मत दी, जिनमें से कुछ ने 10 साल बाद इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC 814 को हाईजैक कर लिया था। आपको बता दें कि इसी अदला-बदली के बाद संसद हमला और घाटी में बड़ी आतंकी घटनाएं भी शुरू हुईं।

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Published By : Kunal Verma

पब्लिश्ड 2 December 2025 at 17:21 IST