अपडेटेड 18 March 2025 at 22:14 IST
Yogesh Gaur: ‘जिंदगी कैसी है पहेली’…जीवन के अनुभवों को गीत में उतारने वाले जादूगर थे योगेश गौड़
गीतकार योगेश ने हिन्दी सिनेमा के लिए ‘जिंदगी कैसी है पहेली, ‘कहीं दूर जब दिन ढल जाए’ ‘रजनीगंधा फूल तुम्हारे’ जैसे कई टाइमलेस गीतों की रचना की।
Yogesh Gaur: साल 1971 में आई फिल्म ‘आनंद’ का ‘जिंदगी कैसी है पहेली, हाय’ हो या ‘कहीं दूर जब दिन ढल जाए’... इन जैसी कई टाइमलेस गानों को भला कौन भूल सकता है। इन गानों के बोल को पन्नों पर उतारने वाले एक अदभुत गीतकार थे योगेश। जयंती विशेष पर यहां पढ़िए खास...
9 मार्च 1943 को उत्तर प्रदेश के ‘नवाबों के शहर’ लखनऊ में जन्में योगेश का सीधा सा सिद्धांत था, ‘जो देखा, जो जिया, वो ही लिख दिया’ उनका मानना था कि वह लिखने के लिए कुछ खास नहीं करते, बल्कि अपनी जिंदगी के अनुभव को या वो जो महसूस करते थे उसी को पन्ने पर उतार देते थे। उनके गीतों की सहजता और भाषा की गहराई सुनने वालों को अपनी ओर आकर्षित कर लेती थी।
गीतकार योगेश ने हिन्दी सिनेमा के लिए ‘जिंदगी कैसी है पहेली, ‘कहीं दूर जब दिन ढल जाए’ ‘रजनीगंधा फूल तुम्हारे’ जैसे कई टाइमलेस गीतों की रचना की। उन्होंने अपने काम की शुरुआत 1962 में रिलीज फिल्म ‘सखी रॉबिन’ के साथ की थी। फिल्म के लिए उन्होंने कुल छह गीतों की रचना की थी, जिसमें ‘तुम जो आ गए’ गीत भी शामिल है। इस गाने को मन्ना डे ने गाया था।
इसके बाद योगेश ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और बेहतरीन गानों की झड़ी लगा दी। उन्होंने हृषिकेश मुखर्जी और बसु चटर्जी के साथ भी काम किया।
गीतकार योगेश ने अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना स्टारर सफल फिल्म 'आनंद' के कई गीतों के बोल की रचना की थी, जिसमें 'कहीं दूर जब दिन ढल जाए' और 'जिंदगी कैसी है पहेली' जैसे गीतों को पन्नों पर उतारकर मनोरंजन जगत में अपना नाम अमिट करवा दिया।
इसके साथ ही योगेश गौड़ ने रिमझिम गिरे सावन, कई बार यूं भी देखा है की भी रचना की। फिल्मों के साथ ही योगेश ने एक लेखक के रूप में धारावाहिकों के लिए भी काम किया।
उन्हें सिनेमा जगत में शानदार योगदान के लिए दादा साहब फाल्के पुरस्कार के अलावा यश भारती पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
Published By : Ruchi Mehra
पब्लिश्ड 18 March 2025 at 22:14 IST