अपडेटेड 4 April 2025 at 19:40 IST

'मुझे अपने खून पर पूरा भरोसा', पिता के वो शब्द; जिसके बाद चांदनी चौक में मशीन के पुर्जे बेचने वाले मनोज कुमार बन गए सुपरस्टार

Manoj Kumar Death: मशहूर अभिनेता मनोज कुमार का देहांत हो गया है। फिल्मों से पहले वो चांदनी चौक में सिलाई मशीन के पुर्जे बेचा करते थे।

Manoj Kumar Death | Image: instagram

Manoj Kumar Death: मशहूर अभिनेता मनोज कुमार का देहांत हो गया। फिल्मों में आने से पहले उन्होंने तमाम प्रोफेशन में हाथ आजमाया था। कभी सिलाई मशीन के पुर्जे तक बेचे। आकाशवाणी को दिये एक इंटरव्यू में मनोज कुमार ने यह दिलचस्प किस्सा खुद साझा किया था।  यह इंटरव्यू प्रसार भारती के ओटीटी प्लेटफॉर्म 'वेब्स' (WAVES) पर सुना जा सकता है।

मनोज कुमार कहते हैं कि “जिन दिनों मैं दिल्ली छोड़कर मुंबई आ रहा था, उन दिनों मेरे परिवार की हालत बहुत खस्ता थी। मेरे पिता ने अपनी फैक्ट्री किसी को लीज पर दी थी लेकिन वह किराया वगैरह नहीं चुका पा रहा था। मेरी दो बहन और एक भाई थे और हम लोग गुजारा करने की कोशिश कर रहे थे। उन्हीं दिनों मेरे पिता के एक दोस्त दिल्ली आए। वह सिलाई मशीन के कुछ पुर्जे की दिल्ली में मार्केटिंग करना चाहते थे। मैंने उनसे कहा कि ‘आप पिताजी को मत बताना, क्या मैं आपके लिए कुछ ट्राई कर सकता हूं’। पहले तो उन्होंने मुझे डांटा कि गोस्वामी जी का बेटा होकर यह काम करेगा। यह तो एजेंट वाला काम है, लेकिन फिर वह तैयार हो गए”। 

साइकिल से चांदनी चौक पहुंचे

मनोज कुमार बताते हैं कि “पिताजी के दोस्त ने बताया कि चांदनी चौक में सिलाई मशीन के पुर्जे और दूसरी चीज बिकती हैं। फिर मैं साइकिल पर सामान बांधकर 8 मील दूर चांदनी चौक पहुंचा। वहां एक दुकान के सामने खड़ा हो गया। उस दुकान के मालिक एक सरदार थे। लंच में जब सब चले गए तो उन्होंने मुझे देखा कि एक नया चेहरा है, ठीक-ठाक लग रहा है और कपड़े भी ठीक हैं। उन्होंने मुझे अंदर बुलाया और पूछा कि क्या है? तो मैंने उनको सारी बात बता दी। मैंने उनको बता दिया कि मैं सिलाई मशीन के पुर्जे और सामान बेचना चाहता हूं। उन्हें मेरा काम पसंद आया और फिर 2 महीने वहां काम करता रहा। उन दो महीने में मैंने 29000 रुपए कमीशन कमाए थे”।

पिता ने दिल्ली से जाते हुए दी थी चिट्ठी

मनोज कुमार इसी इंटरव्यू में कहते हैं कि जब वह पहली बार दिल्ली से मुंबई जाने लगे तो उनके पिता ने उन्हें एक चिट्ठी दी और कहा था कि जब ट्रेन चल पड़े तभी चिट्ठी को पढ़ना। उन्होंने आगे कहा- “उस चिट्ठी में जो एक पिता अपने बेटे के लिए लिख सकता है, वह सब लिखा था। लेकिन आखिरी की चार लाइन मेरे दिलों दिमाग में आज भी ताजा है। वह लाइन थी ‘आई हैव फुल फेथ इन माय ब्लड’ यानि मुझे अपने खून पर पूरा भरोसा है। मेरे पिता ने मेरे लिए जो बातें लिखी थीं, वही मैं अपनी संतान के बारे में भी सोचता हूं कि वह ब्लंडर नहीं कर सकता कभी”।

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Published By : Sakshi Bansal

पब्लिश्ड 4 April 2025 at 19:40 IST