अपडेटेड 7 February 2024 at 12:29 IST
Kurukshetra Lok Sabha : वो सीट जहां 37 साल बाद खिला कमल, फिर BJP का दबदबा
कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट हरियाणा की सबसे महत्वपूर्ण लोकसभा सीटों में से एक है। यहां जाट सबसे ज्यादा हैं लेकिन लंबे वक्त से जाट समुदाय का यहां कोई सांसद नहीं बना।
Kurukshetra Lok Sabha Election: कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट हरियाणा की सबसे महत्वपूर्ण लोकसभा सीटों में से एक है। यह क्षेत्र अम्बाला, यमुनानगर, करनाल और कैथल से घिरा हुआ है। वर्तमान में कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से राजकुमार सैनी सांसद हैं, जो मई 2014 में बीजेपी की टिकट पर चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे।
कुरुक्षेत्र लोकसभा का दिलचस्प पहलू यह है कि यहां सर्वाधिक जाट मतदाता हैं, लेकिन लंबे वक्त से यहां जाट समुदाय का कोई सांसद नहीं बना है। कुरुक्षेत्र में सबसे ज्यादा जाट और जट सिख मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा बताई जाती है, इसके बाद यहां सैनी और ब्राह्मण वोटर भी ज्यादा हैं।
कुरुक्षेत्र लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे
नायब सिंह सैनी भारतीय जनता पार्टी (BJP) से लोकसभा के सदस्य हैं जो कुरुक्षेत्र निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। 2019 में नायब सिंह सैनी (Nayab Singh Saini) ने 6,86,588 वोटों से जीत दर्ज की थी। सैनी ने निर्मल सिंह को 3,82,866 वोटों के अंतर से हराया था। कांग्रेस उम्मीदवार निर्मल सिंह ने 3,03,722 वोट हासिल किए थे।
कुरुक्षेत्र लोकसभा चुनाव 2014 के नतीजे
हरियाणा लोकसभा चुनावों में जिन चुनिंदा सीटों पर सबकी नजरें टिकी होती हैं उनमें हरियाणा की कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट भी होती है। 2014 में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने लोकसभा चुनावों के इतिहास की पहली जीत दर्ज की थी।
37 साल में पहली बार खिला कमल, 2014 में नवीन जिंदल की हुई थी हार
राज कुमार सैनी वर्तमान में संसद सदस्य हैं, जिन्होंने 2014 में 4,18,112 वोटों से जीत हासिल की और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सांसद नवीन जिंदल को हराकर 16वीं लोकसभा के सदस्य बने। राज कुमार सैनी ने भारतीय जनता पार्टी से 2014 का लोकसभा चुनाव कुरुक्षेत्र से लड़ा और कांग्रेस पार्टी से दो बार लगातार सांसद रह चुके दिग्गज उद्योगपति नवीन जिंदल को भारी मतों से हराया।
गेहूं और चावल के साथ गन्ना सबसे महत्वपूर्ण फसल
गेहूं और चावल जिले की मुख्य फसलें हैं। वाणिज्यिक फसलों में गन्ना इस जिले की सबसे महत्वपूर्ण फसल है। कृषि आधारित अर्थव्यवस्था होने से सामाजिक और आर्थिक तौर पर कुरुक्षेत्र के ज्यादातर लोग कृषि पर निर्भर हैं।
वहीं, जिला उद्योग केंद्र कुरुक्षेत्र यहां लगातार बड़े पैमाने पर इंडस्ट्री की पहचान बनाने की कोशिश करता हैं। जिससे यह क्षेत्र औद्योगिक रूप से काफी विकसित हुआ है। यहां की लगभग 75ं प्रतिशत जनता गांवों में रहती है, बाकि जनता शहरी इलाकों में बसी हुई है।
पहले कैथल लोकसभी सीट हुआ करती थी कुरूक्षेत्र सीट
कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट पहले कैथल लोकसभा सीट हुआ करती थी, 1977 तक इसका मुख्यालय भी कैथल में ही था। कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट 1977 में अस्तित्व में आई। लेकिन उससे पहले कैथल लोकसभा सीट पर पांचवीं लोकसभा तक चुनाव हुए।
कुरुक्षेत्र में भगवान कृष्ण ने दिया था अर्जुन को उपदेश
कुरुक्षेत्र धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रखता है। कौरव और पांडवों के बीच हुआ महाभारत का युद्ध भी यहीं लड़ा गया था। भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश यहीं पर ज्योतीसर नामक स्थान पर दिया था। यहां के ब्रह्मसरोवर कुंड का भी ऐतिहासिक महत्व है।
सैकड़ों लोग कुरुक्षेत्र के पवित्र जल में स्नान करने पहुंचते हैं
रोजाना सैकड़ों लोग ब्रह्मसरोवर पवित्र जल में स्नान करने पहुंचते हैं। कहा जाता है कि यहां स्थित विशाल तालाब का निर्माण महाकाव्य महाभारत में वर्णित कौरवों और पांडवों के पूर्वज राजा कुरु ने करवाया था। कुरुक्षेत्र नाम 'कुरु के क्षेत्र' का प्रतीक है।
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महाभारत में कुरुक्षेत्र का विस्तृत वर्णन
कुरुक्षेत्र का पौराणिक महत्व अधिक माना जाता है। इसका ऋग्वेद और यजुर्वेद में अनेक स्थानों पर वर्णन किया गया है। कुरुक्षेत्र की पौराणिक नदी सरस्वती का भी अत्यंत महत्व है। इसके अतिरिक्त अनेक पुरुषों, स्मृतियों और महर्षि वेदव्यास रचित महाभारत में इसका विस्तृत वर्णन किया गया है।
Published By : Sujeet Kumar
पब्लिश्ड 6 February 2024 at 21:02 IST