अपडेटेड 16 August 2024 at 17:00 IST

'जम्मू-कश्मीर के लोगों में हमने जम्हूरियत की ललक देखी है, वहां फोर्स से ज्यादा...', बोले राजीव कुमार

CEC राजीव कुमार ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में सुरक्षा को लेकर शायराना अंदाज में कहा, 'दुनिया देखेगी नापाक इरादों के शिकस्त की कहानी।'

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जम्मू-कश्मीर में चुनाव का ऐलान करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार | Image: Election Commission You tube Video Grab

जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में 10 सालों के बाद भारतीय चुनाव आयोग (Election Commission) ने विधानसभा चुनाव (Assembly Election) का ऐलान कर दिया है। चुनाव आयोग (EC) ने विधानसभा चुनाव तीन चरणों में करवाने का ऐलान किया है। ये चुनाव 18 सितंबर से लेकर एक अक्टूबर तक चलेंगे। इस दौरान चीफ इलेक्शन कमिश्नर राजीव कुमार (CEC Rajeev Kumar) ने जम्मू-कश्मीर में चुनाव के दौरान सुरक्षा की तैयारियों (Prepration of Security) के बारे में भी बताया। इस दौरान उन्होंने सुरक्षा के अलावा वहां के स्थानीय लोगों के विश्वास और भरोसे को लेकर भी बड़ी बात कही।


CEC राजीव कुमार ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में सुरक्षा को लेकर शायराना अंदाज में कहा, 'दुनिया देखेगी नापाक इरादों के शिकस्त की कहानी।' इसके अलावा उन्होंने आगे कहा, 'वहां फोर्स से ज्यादा जरूरी जम्मू-कश्मीर में क्या है? फोर्स से ज्यादा जरूरी है वहां की आवाम का विश्वास और उनका अपने लिए अपनी सरकार देने का जज्बा और जम्हूरियत के फेस्टिवल को उसको आगे बढ़ाने की ललक हम जो देखकर आए हैं उससे हमें उम्मीद है कि वहां के लोग ही उसका भरपूर जवाब देंगे।  फिर भी, उम्मीदवारों को जिलों से लेकर अन्य पदों तक सुरक्षा संबंधी किसी भी खतरे से निपटने के लिए पर्याप्त बल मौजूद रहेंगे।'


2019 में ऑर्टिकल 370 के निष्प्रभावी होने के बाद शुरू हुई परिसीमन प्रक्रिया

CEC राजीव कुमार ने बताया कि कि जम्मू-कश्मीर में कुल 114 विधानसभा सीटें हैं। यहां की विधानसभा सीटों पर डिलिमिटेशन के बाद महज 90 सीटों पर ही वोटिंग होनी है। दरअसल कुल 114 सीटों में से 24 सीटें PoK यानि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर सियासी और प्रशासनिक परिवर्तनों की वजह से फिलहाल सिर्फ 90 सीटों पर ही वोटिंग करवाई जा रही है।  इसके पहले साल 2019 में जब जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के जरिए ऑर्टिकल 370 को निष्प्रभावी बनाया गया था तो सूबे की चुनावी सीटों की सीमाओं को पुनः परिसीमन के लिए प्रक्रिया शुरू की गई थी।


इस वजह से 114 की बजाए 90 सीटों पर हो रहे चुनाव

मार्च 2020 में परिसीमन की आयोग की स्थापना की गई और इसकी अंतिम रिपोर्ट मई 2022 में आई, जिसमें जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या बढ़ाकर 107 से 114 कर दीं गईं जिसमें से 6 सीटें जम्मू में बढ़ाईं गईं तो एक सीट कश्मीर में बढ़ाई गई थी। जम्मू-कश्मीर की कुल 114 सीटों में 24 सीटें PoK के क्षेत्रों के लिए रिजर्व हैं, इसका मतलब है कि उन सीटों पर चुनाव नहीं लड़ा जा सकता है। इसीलिए, सूबे की महज 90 सीटों पर ही चुनाव का ऐलान किया जा रहा है। इसमें से जम्मू संभाग में 43 सीटें हैं और कश्मीर संभाग में 47 सीटें हैं। आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म होने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं।


साल 2014 में हुए थे जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव

जम्मू-कश्मीर में इसके पहले 2014 के नवंबर-दिसंबर महीनों में विधानसभा चुनाव हुए थे। इस चुनाव में कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन की सरकार बनी थी। इस गठबंधन की सरकार में मुफ्ती मोहम्मद सईद राज्य के मुख्यमंत्री बने थे लेकिन साल 7 जनवरी 2016 में उनका निधन हो गया था। फिर कुछ समय के लिए राज्य में राज्यपाल शासन लगा। थोड़े समय के बाद महबूबा मुफ्ती को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलवाई गई। जून 2018 में बीजेपी ने पीडीपी से अपना समर्थन वापस ले लिया इसके बाद सूबे में राज्यपाल शासन लागू हो गया। इसके बाद साल 2018 में तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग कर दी जिसके बाद से 20 दिसंबर 2018 से वहां राष्ट्रपति शासन लागू है। 

 

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Published By : Ravindra Singh

पब्लिश्ड 16 August 2024 at 17:00 IST