अपडेटेड 13 January 2025 at 14:10 IST
Delhi Assembly Election: ताहिर हुसैन जेल से विधानसभा चुनाव के लिए दाखिल कर सकते हैं नामांकन
फरवरी 2020 के दंगों से जुड़े कई मामलों में आरोपी आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन जेल से ही अपना नामांकन पत्र दाखिल कर सकते हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय को सोमवार को यह जानकारी दी गई।
Delhi Election: फरवरी 2020 के दंगों से जुड़े कई मामलों में आरोपी आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन जेल से ही अपना नामांकन पत्र दाखिल कर सकते हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय को सोमवार को यह जानकारी दी गई। दंगे से संबंधित हत्या के मामले में हुसैन की अंतरिम जमानत के अनुरोध वाली याचिका पर पुलिस की ओर से जवाब देते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं जब कैदियों ने जेल से ही चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया पूरी की।
विधि अधिकारी ने कहा, ‘‘सबसे ताजा उदाहरण अमृतपाल सिंह का है।’’ न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने मौखिक रूप से यह भी कहा कि हुसैन जेल में बैठकर नामांकन पत्र दाखिल कर सकते हैं। आरोपी की ओर से पेश वकील ने जवाब दिया कि उन्हें एक राष्ट्रीय पार्टी ने चुना है और नामांकन पत्र दाखिल करने के अलावा उन्हें चुनाव प्रचार भी करना है और अपनी संपत्ति की घोषणा भी करनी है। उन्होंने कहा कि पिछले साल लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए राशिद इंजीनियर को निचली अदालत ने अंतरिम जमानत दी थी।
2020 से हिरासत में हैं ताहिर हुसैन
इस बात पर भी जोर दिया गया कि हुसैन मार्च 2020 से हिरासत में हैं और दो अन्य दंगा मामलों में उन्होंने संबंधित अदालतों से अंतरिम जमानत से राहत का अनुरोध किया है, जिस पर कार्यवाही जारी है। अदालत ने मामले को मंगलवार को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। हुसैन ने एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) के टिकट पर दिल्ली के मुस्तफाबाद निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए 14 जनवरी से नौ फरवरी तक अंतरिम जमानत का अनुरोध करते हुए पिछले हफ्ते अदालत का रुख किया था।
ताहिर हुसैन जेल से कर सकता है नामांकन दाखिल
उन्होंने नामांकन पत्र दाखिल करने, बैंक खाता खोलने और चुनाव प्रचार करने के लिए राहत का अनुरोध किया है। अधिवक्ता तारा नरूला द्वारा दायर आवेदन, मामले में हुसैन की लंबित जमानत याचिका का हिस्सा था। 24 फरवरी, 2020 को उत्तर पूर्व दिल्ली में हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें 53 लोग मारे गए थे और कई लोग घायल हुए थे। अभियोजन पक्ष के अनुसार, 26 फरवरी, 2020 को शिकायतकर्ता रविंद्र कुमार ने दयालपुर थाने को सूचित किया कि उनका बेटा अंकित शर्मा 25 फरवरी, 2020 से लापता है। अंकित शर्मा खुफिया ब्यूरो में तैनात थे।
आरोप है कि शर्मा का शव दंगा प्रभावित क्षेत्र के खजूरी खास नाले से बरामद किया गया था और उनके शरीर पर चोट के 51 निशान थे। हुसैन ने जमानत याचिका में कहा कि उन्होंने चार साल नौ महीने जेल में बिताए हैं। जमानत याचिका में कहा गया है कि मामले में मुकदमा शुरू हो गया है, लेकिन अब तक अभियोजन पक्ष के 114 गवाहों में से केवल 20 से ही पूछताछ की गई है। हुसैन ने कहा कि वह लंबे समय से जेल में हैं और चूंकि कई गवाहों से पूछताछ की जानी बाकी है, इसलिए मुकदमा जल्द खत्म नहीं होगा। हुसैन की याचिका में कहा गया है कि दंगाइयों की भीड़ में शामिल रहे और हत्या के अपराध को अंजाम देने वाले कई सह-आरोपियों को उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी है।
Published By : Rupam Kumari
पब्लिश्ड 13 January 2025 at 14:10 IST