अपडेटेड 6 October 2025 at 16:35 IST

Bihar Election: क्या होती है आचार संहिता? बिहार में चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही हुई लागू, जानें किन-किन चीजों पर रहेगी पाबंदी

बिहार में चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही आचार संहिता लागू हो गई है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि क्या होती है आचार संहिता और इसके तहत किन-किन चीजों पर लगती है पांबदी...

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क्या होती है आचार संहिता? | Image: Republic

बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा आज, 6 अक्टूबर को हो गई। प्रदेश में दो चरणों में चुनाव संपन्न कराए जाएंगे। पहले चरण के लिए वोटिंग 6 नवंबर को होगी, जबकि दूसरे चरण की वोटिंग 11 नंवबर को होगी। वहीं, नतीजे 14 नवंबर को आएंगे। चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही आचार संहिता भी लागू हो गई है, ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं क्या होता है आचार संहिता? इस दौरान किन-किन चीजों पर लगती है पाबंदी...

आचार संहिता चुनाव प्रकिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा बनाए गए नियमों का समूहै है। यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी पक्ष अनुचित लाभा न ले सके। इन नियमों का पालन सभी राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों, सरकारी कर्मचारियों और प्रशासन के लिए अनिवार्य है।

क्या होती है आचार संहिता?

आचार संहिता लागू होते ही राज्य सरकार और सभी राजनीतिक दलों पर एक तरह से आचार नियंत्रण लग जाता है। इसका एकमात्र उद्देश्य है कि चुनाव समान और निष्पक्ष माहौल में हों। इस अवधि में सरकार केवल रूटीन प्रशासनिक कार्य ही कर सकती है, इसके साथ ही कई तरह की पाबंदियां भी लागू हो जाती है।

निर्वाचन आयोग चुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले कई तरह की तैयारियां करता है। इसमें अधिकारियों के तबादले से लेकर कई चीजें शामिल है। नियम के मुताबिक, यदि कोई अधिकारी एक ही जिले में चार साल से तैनात है या उसकी पोस्टिंग को तीन साल पूरे हो गए हैं, तो उसका तबादला जरूरी है। यह नियम जिला निर्वाचन अधिकारी (DEO), रिटर्निंग ऑफिसर (RO), सहायक रिटर्निंग ऑफिसर (ARO), पुलिस इंस्पेक्टर और उससे उच्च पदों पर भी लागू होता है। साथ ही आचार संहिता से जुड़े अधिकारियों की नियुक्ति उनके गृह जिले में नहीं की जाती। इसके लिए आयोग राज्य प्रशासन के साथ समन्वय कर तैयारियां करता है।

आचार संहिता लागू होने के बाद कई गतिविधियों पर रोक लग जाती है।

 निर्वाचन आयोग की गाइडलाइंस के अनुसार…

  • केंद्र और राज्य सरकारें नई योजनाओं या घोषणाओं की शुरुआत नहीं कर सकतीं।
  • सरकारी संसाधनों जैसे गाड़ियां, बंगले या हेलीकॉप्टर का चुनावी कार्यों में उपयोग वर्जित है।
  • दीवारों पर लिखे नारे, होर्डिंग्स, बैनर और पोस्टर हटाए जाते हैं।
  • रैली, जुलूस या सभाओं के लिए अनुमति लेना अनिवार्य है।
  • धार्मिक स्थलों का चुनाव प्रचार के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता।
  • मतदाताओं को रिश्वत देना या वोट के लिए प्रलोभन देना गैरकानूनी है।
  • किसी उम्मीदवार या दल पर व्यक्तिगत हमले नहीं किए जा सकते।
  • मतदान केंद्रों तक वोटरों को लाने के लिए वाहन उपलब्ध कराना मना है।
  • मतदान के दिन और उससे 24 घंटे पहले शराब वितरण पर रोक है।

नियम तोड़ने पर सख्त कार्रवाई

आचार संहिता मतदान प्रक्रिया पूरी होने और परिणाम घोषित होने तक लागू रहती है। इसका मतलब है कि यह चुनावी प्रक्रिया समाप्त होने पर ही राज्य सरकार के सामान्य अधिकार बहाल होते हैं। यदि कोई आचार संहिता का नियम तोड़ता है या उल्लंघन करता पाया जाता है, तो आयोग सख्त कार्रवाई कर सकता है। इसमें उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोकना, FIR दर्ज करना या दोषी पाए जाने पर जेल की सजा तक का प्रावधान है। 


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Published By : Rupam Kumari

पब्लिश्ड 6 October 2025 at 16:35 IST