अपडेटेड 12 July 2024 at 21:31 IST

नीचे दाम पर किसानों की कम बिकवाली से ज्यादातर तेल-तिलहन में सुधार

देशी तिलहन किसानों के नीचे दाम पर बिकवाली कम करने से घरेलू बाजारों में शुक्रवार को ज्यादातर तेल-तिलहन के दाम में मजबूती आई।

तेल-तिलहन में सुधार | Image: Freepik

देशी तिलहन किसानों के नीचे दाम पर बिकवाली कम करने से घरेलू बाजारों में शुक्रवार को ज्यादातर तेल-तिलहन के दाम में मजबूती आई तथा सरसों एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल के दाम मजबूत बंद हुए। बाजार सूत्रों ने यह जानकारी दी।

मंहगा होने की वजह से कारोबार प्रभावित रहने के बीच मूंगफली तेल-तिलहन में गिरावट देखी गई जबकि बिनौले में कामकाज ठप रहने कारण बिनौला तेल पूर्वस्तर पर बंद हुआ। बाजार सूत्रों ने कहा कि शिकॉगो एक्सचेंज में घट-बढ़ है। जबकि मलेशिया एक्सचेंज में कामकाज दोपहर साढ़े तीन बजे बंद हो गया और वहां मामूली गिरावट थी।

बिनौला और मूंगफली की केवल 10-15 % पेराई मिलें चालू

सूत्रों ने कहा कि देश में बिनौला और मूंगफली की केवल 10-15 प्रतिशत पेराई मिलें ही चल रही हैं। पेराई करने के बाद सस्ते आयातित खाद्यतेलों के थोक दाम कम रहने की वजह से बिनौला और मूंगफली तेल के दाम और बेपड़ता हो जाने के कारण ये तेल बाजार में खप नहीं रहे हैं।

बिनौले की सितंबर-अक्टूबर में नयी फसल आएगी तो उससे निकले तेल कैसे खपेंगे, यह चिंताजनक है। इसी तरह मूंगफली तेल का निर्यात होता है और इसका आयात नहीं होता। पेराई मिलों के नहीं चलने और पेराई प्रभावित होने से देश में खल एवं डीओसी की भी कमी होगी। जब तेल ही नहीं बिकेगा तो तो किसान की दिलचस्पी इन फसलों की खेती में कम हो जायेगी। यह स्थिति देश के तेल तिलहन मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करने के सपने को ठेस पहुंचायेगा।

आयातित सूरजमुखी तेल को नियंत्रित करने का रास्ता अपनाना होगा

सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन का तेल देशी तेल तिलहनों को उतना प्रभावित नहीं करता जितना अधिक आयातित सूरजमुखी तेल करता है। यह देशी साफ्ट आयल (सोयाबीन, मूंगफली, बिनौला, सरसों, सूरजमुखी) पर सीधा असर डालता है। तेल तिलहन उद्योग, विशेष तौर पर बिनौला और मूंगफली किसानों के हितों की रक्षा के लिए, सरकार को जल्द से जल्द आयात शुल्क बढ़ाकर आयातित सूरजमुखी तेल को नियंत्रित करने का रास्ता अपनाना होगा।

उन्होंने कहा कि सरसों छोड़कर अन्य खाद्यतेलों में किसी दूसरे तेल के मिश्रण करने की छूट मिली हुई है। आम ग्राहकों को मूंगफली तेल खरीदते समय पता नहीं होता कि उसमें अधिकतम 80 प्रतिशत तक कोई सस्ता आयातित या अन्य को खाद्यतेल का मिश्रण है। जबकि ग्राहक जो कीमत अदा करता है उससे थोक दाम मूंगफली तेल वाला (140-145 रुपये लीटर) वसूला जाता है। अगर उसमें आयातित सूरजमुखी तेल (81-82 रुपये लीटर) 80 प्रतिशत तक मिला होगा तो भी ग्राहकों को 140-145 रुपये लीटर का दाम देना होगा। सरकार को सरसों की तरह अन्य खाद्यतेलों में मिश्रण को रोकने के बारे में सोचना चाहिये।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

  • सरसों तिलहन - 5,985-6,045 रुपये प्रति क्विंटल।
  • मूंगफली - 6,325-6,600 रुपये प्रति क्विंटल।
  • मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,100 रुपये प्रति क्विंटल।
  • मूंगफली रिफाइंड तेल 2,270-2,570 रुपये प्रति टिन।
  • सरसों तेल दादरी- 11,625 रुपये प्रति क्विंटल।
  • सरसों पक्की घानी- 1,900-2,000 रुपये प्रति टिन।
  • सरसों कच्ची घानी- 1,900-2,025 रुपये प्रति टिन।
  • तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
  • सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,400 रुपये प्रति क्विंटल।
  • सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,150 रुपये प्रति क्विंटल।
  • सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,750 रुपये प्रति क्विंटल।
  • सीपीओ एक्स-कांडला- 8,575 रुपये प्रति क्विंटल।
  • बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,100 रुपये प्रति क्विंटल।
  • पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,800 रुपये प्रति क्विंटल।
  • पामोलिन एक्स- कांडला- 8,850 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
  • सोयाबीन दाना - 4,550-4,570 रुपये प्रति क्विंटल।
  • सोयाबीन लूज- 4,360-4,480 रुपये प्रति क्विंटल।
  • मक्का खल (सरिस्का)- 4,085 रुपये प्रति क्विंटल।
     

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Published By : Deepak Gupta

पब्लिश्ड 12 July 2024 at 21:31 IST