अपडेटेड 14 February 2025 at 14:07 IST

Reciprocal Tariffs: अमेरिका की नई टैरिफ नीति से भारत को कितना नुकसान? समझिए

अमेरिका के व्यापारिक साझेदारों पर जवाबी शुल्क लगाने के कदम से भारत को अधिक नुकसान होने के आसार नहीं है, क्योंकि दोनों देशों के निर्यात खाके में काफी अंतर है।

PM Modi and US President Donald Trump
पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप | Image: Facebook

Reciprocal Tariffs: अमेरिका सरकार के अपने व्यापारिक साझेदारों पर जवाबी शुल्क लगाने के कदम से भारत को अधिक नुकसान होने के आसार नहीं है, क्योंकि दोनों देशों के निर्यात खाके में काफी अंतर है। आर्थिक शोध संस्थान ‘ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव’ (जीटीआरआई) ने कहा कि यदि अमेरिका भारतीय पिस्ता पर 50 प्रतिशत का जवाबी शुल्क लगाता है, क्योंकि भारत भी उतना ही शुल्क लगाता है तो इससे भारत को कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि वह पिस्ता का निर्यात नहीं करता।

जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि भारत को होने वाले अमेरिकी निर्यात के 75 प्रतिशत मूल्य पर औसत शुल्क पांच प्रतिशत से कम है। इसके विपरीत, भारत को कपड़ा, परिधान तथा जूते जैसी कई श्रम-प्रधान वस्तुओं पर उच्च अमेरिकी शुल्क का सामना करना पड़ रहा है, जो कई उत्पादों पर 15-35 प्रतिशत के बीच है। श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ दोनों देशों के निर्यात खाके (प्रोफाइल) में अंतर को देखते हुए, जवाबी शुल्क का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा... (अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड) ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में, जवाबी शुल्क पर अप्रैल में अमेरिका के फैसले का भारत इंतजार कर सकता है और फिर जून 2019 की तरह समान स्तर की जवाबी कार्रवाई कर सकता है।’’

डोनाल्ड ट्रंप ने किया था टैरिफ लगाने का ऐलान

वाशिंगटन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ वार्ता के बाद ट्रंप ने घोषणा की कि भारत व्यापार घाटे को कम करने के लिए अमेरिका से अधिक तेल, गैस तथा सैन्य उपकरण खरीदेगा, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत पर जवाबी शुल्क लगाने से अमेरिका कोई परहेज नहीं करेगा। व्यापार समझौते के बारे में उन्होंने कहा कि हालांकि अभी तक इसका ब्योरा स्पष्ट नहीं है लेकिन यह जवाबी शुल्क पर एक सीमित समझौता हो सकता है, जिसकी घोषणा अप्रैल में होने की उम्मीद है।

अमेरिका पहले ही इस्पात तथा एल्युमीनियम पर 25 प्रतिशत का शुल्क लगाने की घोषणा कर चुका है जो उसकी जवाबी शुल्क की कार्रवाई से परे है। जीटीआरआई ने यह भी कहा कि अमेरिका की ओर से यह स्पष्ट नहीं है कि जवाबी शुल्क विशिष्ट उत्पादों पर लागू होगा या पूरे क्षेत्र पर।

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2024-25 में अमेरिका रहा भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार

अप्रैल-नवंबर 2024-25 के दौरान, अमेरिका 82.52 अरब अमेरिकी डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार (52.89 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात, 29.63 अरब अमेरिकी डॉलर का आयात और 23.26 अरब अमेरिकी डॉलर का व्यापार अधिशेष) के साथ भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। वर्ष 2021-24 के दौरान अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। अमेरिका उन कुछ देशों में से है जिनके साथ भारत का व्यापार अधिशेष है।

अमेरिका 2023-24 में 119.71 अरब अमेरिकी डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार (77.51 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात, 42.19 अरब अमेरिकी डॉलर का आयात और 35.31 अरब अमेरिकी डॉलर का व्यापार अधिशेष) के साथ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। व्यापार अधिशेष एक सकारात्मक व्यापार संतुलन का आर्थिक संकेतक है जिसमें किसी देश के निर्यात उसके आयात से अधिक होते हैं।

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Published By : Dalchand Kumar

पब्लिश्ड 14 February 2025 at 14:07 IST