अपडेटेड 19 March 2025 at 12:59 IST
Sunita Williams: शरीर में बन सकते हैं गैस के बुलबुले... क्या है स्पेसवॉक और कितना मुश्किल? जिसे सुनीता ने दो बार बनाया संभव
सुनीता विलियम्स समेत तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री धरती पर सुरक्षित लौट आए हैं। इन सबसे बीच सवाल उठ रहा है कि इन एस्टॉनॉट्स ने आखिर इतने दिन तक क्या किया?
- अंतरराष्ट्रीय न्यूज
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Sunita Williams: स्पेस में तकरीबन 286 दिन बिताने के बाद सुनीता विलियम्स की आखिरकार धरती पर वापसी हो गई है। सुनीता के साथ बुच विल्मोर, निक हेग और रोस्कोस्मोस के अंतरिक्ष यात्री अलेक्जेंडर गोरबुनोव स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल पर बैठकर धरती पर उतरे।
सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर नौ महीने पहले (5 जून 2024) बोइंग के नए स्टारलाइनर क्रू यान में सवार होकर एक मिशन पर ISS गए थे। इसके बाद एक हफ्ते बाद उनके लौटने की उम्मीद थी। लेकिन, 8 दिनों के मिशन पर गए दोनों अंतरिक्ष यात्री यान में गड़बड़ी के चलते नौ महीनों के लिए फंस गए। कई बार उन्हें लाने की कोशिश की गई लेकिन हर बार किसी न किसी वजह से टालना पड़ गया। अब आखिरकार नासा और स्पेसएक्स की ज्वाइंट कोशिश रंग लाई है। सुनीता विलियम्स समेत तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री धरती पर सुरक्षित लौट आए हैं। इन सबसे बीच सवाल उठ रहा है कि इन एस्टॉनॉट्स ने आखिर इतने दिन तक क्या किया? तो चलिए बताते हैं...
स्पेस में सुनीता विलियम्स का रिकॉर्ड
भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने स्पेसवॉक किया। सुनीता विलियम्स तीसरी अंतरिक्ष यात्रा के साथ सबसे ज्यादा समय तक स्पेस पर वॉक करने वाली महिला बन गई हैं। उन्होंने अंतरिक्ष में अब तक की सबसे लंबी स्पेसवॉक करने का रिकॉर्ड तोड़ा है। नासा के मुताबिक, सुनीता विलियम्स ने अबतक नौ बार स्पेसवॉक किया है। उन्होंने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के बाहर 62 घंटे 6 मिनट स्पेस वॉक में बिताए। इससे पहले ये रिकॉर्ड पैगी व्हिटसन के नाम था जिन्होंने 60 घंटे 21 मिनट तक स्पेसवॉक किया था। जानकारी है कि भारतीय मूल कि अमेरिकी एस्ट्रॉनॉट का नाम नासा की ऑल टाइम लिस्ट में चौथे नंबर पर दर्ज किया गया है।
क्या होता स्पेसवॉक?
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के मुताबिक, जब भी कोई एस्ट्रॉनॉट अंतरिक्ष में किसी यान से बाहर निकलता है तो उसे स्पेसवॉक कहा जाता है। स्पेसवॉक को तकनीकी रूस से एक्स्ट्राव्हीक्यूलर एक्टिविटी (EVA) भी कहा जाता है। स्पेसवॉक करने वाले पहले व्यक्ति रूस के एलेक्सी लियोनोव थे। ऐसे में पहला स्पेसवॉक 18 मार्च 1965 में हुआ था जो कि 10 मिनट लंबा था। इसके अलावा स्पेसवॉक करने वाले पहले अमेरिकी व्यक्ति एड व्हाइट थे जिन्होंने 3 जून 1965 को जेमिनी 4 मिशन के दौरान अंतरिक्ष पर चहलकदमी की थी। एड व्हाइट का स्पेसवॉक 23 मिनट का था। नासा की मानें तो आज अंतरिक्ष यात्री ISS के बाहर स्पेसवॉक करते हैं जो कि काम के आधार पर पांच से आठ घंटे तक चलता है।
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एस्टॉनॉट क्यों करते हैं स्पेस वॉक?
नासा के अनुसार, एस्ट्र्रॉनाट्स अंतरिक्ष में रहते हुए अपने यान के बाहर काम कर सकते हैं। ऐसे में स्पेसवॉक के समय एस्ट्र्रॉनाट्स विज्ञान का प्रयोग करते हैं जिसके तहत वह नए उपकरणों का परीक्षण करते हैं। इसके अलावा वह अंतरिक्ष यान की मरम्मत करने के लिए भी यान के बाहर आते हैं। स्पेसवॉक के लिए अंतरिक्ष यात्री स्पेस सूट पहनकर निकलते हैं जिससे की उन्हें सांस लेने में तकलीफ न हो। स्पेससूट में सांस लेने के लिए आवश्यक ऑक्सीजन मिलती है। इसके अलावा उनके पास पीने के लिए पानी भी रहता है।
स्पेसवॉक करना कितना मुश्किल?
स्पेसवॉक पर जाने से पहले अंतरिक्ष यात्रियों को घंटों पहले स्पेससूट पहनना होता है। ये स्पेससूट ऑक्सीजन से भरे होते हैं। इसे पहने के बाद वह ऑक्सीजन में सांस लेते हैं जिससे की उनके शरीर में मौजूद नाइट्रोजन बाहर निकल जाए। अगर शरीर से नाइट्रोजन बाहर नहीं आता तो ये उनके लिए भारी पड़ सकता है। अंतरिक्ष में चलते वक्त एस्ट्र्रॉनाट्स के शरीर में गैस के बुलबुल बन सकते हैं। इस वजह से एस्ट्र्रॉनाट्स को कोहनी, कंधों, कलाई और घुटनों में दर्द हो सकता है। बता दें कि इस दर्द को बेंड्स कहा जाता है।
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स्पेसवॉक के वक्त सेफ्टी का रखा जाता है ख्याल
स्पेसवॉक के दौरान अंतरिक्ष यात्री सेफ्टी टेदर का इस्तेमाल करते हैं जिससे कि वह अपने यान के करीब रह सकें। टेदर रस्सियों की तरह होते हैं जिसका एक छोर एस्ट्रॉनॉट के स्पेससूट से तो दूसरा यान से जुड़ा होता है। इसके अलावा स्पेसवॉक के दौरान उनके सुरक्षित रहने का एक और तरीका सेफर पहनना है। इसे बैकपैक की तरह पहना जाता है।
Published By : Priyanka Yadav
पब्लिश्ड 19 March 2025 at 12:53 IST