अपडेटेड 20 June 2025 at 20:56 IST
ईरान पर इजरायल ने जब हमला किया, तो अमेरिका ने नेतन्याहू सरकार का खूब पीठ थपथपाया। अमेरिका लगातार कहता रहा कि इजरायल ने ईरान पर हमला करके बहुत अच्छा किया। वहीं दूसरी ओर ईरान के खिलाफ इस लड़ाई में अमेरिका अब इजरायल के साथ मैदान में कूदने से कतरा रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ये फैसला नहीं कर पा रहे हैं कि उन्हें ईरान के खिलाफ हमले में शामिल होना है या फिर नहीं।
कभी राष्ट्रपति ट्रंप ईरान को खुली धमकी देते नजर आते हैं, कभी वो यह कहते नजर आते हैं कि ईरान को सरेंडर करना पड़ेगा। वहीं कभी वह ईरान को मोहलत देते नजर आते हैं। ऐसे में यह समझना मुश्किल है कि अमेरिका युद्ध करना भी चाहता है या फिर नहीं। बता दें, इससे पहले भी परमाणु डील को लेकर अमेरिका और ईरान में विवाद रहा है। ट्रंप सरकार की दूसरी बार वापसी के बाद भी लगातार ईरान को लेकर एक ही बात कही जा रही थी कि अब उससे कोई बातचीत नहीं होगी।
दरअसल, ट्रंप को नोबेल पीस अवार्ड चाहिए, यही कारण है कि अमेरिका इस वक्त किसी भी युद्ध में नहीं फंसना चाहता है। अमेरिका की सत्ता में वापसी के दौरान उन्होंने अपने संबोधन में इस बात को खुलकर कहा था कि वह चाहते हैं कि लोग उन्हें एक शांति दूत के रूप में जानें। यह भी एक कारण हो सकता है कि अमेरिका की ट्रंप सरकार युद्ध के पचड़े में नहीं पड़ना चाहती है।
बता दें, ट्रंप कभी ईरान को खुली धमकी देते नजर आ रहे हैं, तो कभी उसे समय देते नजर आ रहे हैं। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति ने ईरान को दो हफ्ते का समय दिया है। अमेरिका की आर्थिक स्थिति भी अब उस तरह की नहीं रह गई है कि वह युद्ध में फंसे। ना ही अमेरिका इस वक्त किसी भी देश के साथ युद्ध करने के मूड में है। कुछ दिनों पहले तक अमेरिकी सरकार ईरान को बिना किसी शर्त के सरेंडर करने के लिए कह रही थी। हालांकि, ईरान ने भी सरेंडर करने से साफ तौर पर मना कर दिया।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा था कि बिना किसी शर्त के सरेंडर करें। वहीं एक अन्य पोस्ट में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि मैंने ईरान को बार-बार मौका दिया। अभी भी अगर ईरान परमाणु डील नहीं करता है, अगला हमला और भी खतरनाक हो सकता है। बता दें, ट्रंप सरकार की इस चेतावनी के बाद ईरान ने भी खुली धमकी दे दी कि अगर इजरायल का साथ दिया तो अमेरिका के एयरबेस पर भी हमला कर देंगे।
ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप ने एक पोस्ट में लिखा था, "हम ठीक से जानते हैं कि तथाकथित सर्वोच्च नेता कहां छिपा है। वह एक आसान टारगेट है, लेकिन वहां सुरक्षित है - हम उसे मार नहीं रहे, कम से कम अभी तो नहीं। लेकिन हम नहीं चाहते कि मिसाइलें नागरिकों या अमेरिकी सैनिकों पर दागी जाएं। हमारा धैर्य खत्म हो रहा है। इस मामले पर आपका ध्यान देने के लिए धन्यवाद!"
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की तरफ से इस तरह की बयानबाजी के बाद से दुनियाभर के लोगों को लग रहा था कि अमेरिका ईरान पर हमला करने वाला है। इतना ही नहीं, अमेरिका ने रातोंरात यूरोप में अपने फाइटर विमान भेज दिए। हालांकि, यही वह ट्रंप हैं, जो बार-बार खुद को एक शांति दूत की तरह दिखाने में लगे हैं। हो सकता है कि खुद को शांति दूत की तरह दिखाने के लिए ट्रंप ईरान के खिलाफ युद्ध में नहीं कूद रहे।
पब्लिश्ड 20 June 2025 at 20:56 IST