अपडेटेड 11 October 2025 at 08:21 IST
जिनपिंग पर फूटा डोनाल्ड ट्रंप का गुस्सा! चाइनीज प्रोडक्ट्स पर लगाया 100% टैरिफ; अमेरिका-चीन के बीच फिर छिड़ा ट्रेड वॉर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर चीन के खिलाफ कड़े आर्थिक कदमों की घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि 1 नवंबर 2025 से अमेरिका सभी चीनी उत्पादों पर 100% अतिरिक्त टैरिफ लगाएगा और साथ ही अमेरिकी उच्च-तकनीकी सॉफ्टवेयर पर नए निर्यात नियंत्रण भी लागू करेगा।
- अंतरराष्ट्रीय न्यूज
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर चीन के खिलाफ कड़े आर्थिक कदमों की घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि 1 नवंबर 2025 से अमेरिका सभी चीनी उत्पादों पर 100% अतिरिक्त टैरिफ लगाएगा और साथ ही अमेरिकी उच्च-तकनीकी सॉफ्टवेयर पर नए निर्यात नियंत्रण भी लागू करेगा। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब जगत की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापारिक और रणनीतिक तनाव पहले से ही चरम पर हैं।
वॉशिंगटन में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने कहा कि चीन “अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को असंतुलित करने की कोशिश” कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजिंग लगातार ऐसे कदम उठा रहा है जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को अपने नियंत्रण में लाने की दिशा में हैं। ट्रंप ने कहा, “अब समय आ गया है कि अमेरिका अपने हितों की रक्षा के लिए निर्णायक कदम उठाए।”
उन्होंने जोर दिया कि नया टैरिफ मौजूदा दरों के अतिरिक्त होगा, जिससे चीनी उत्पादों की कीमतें अमेरिकी बाजार में दोगुनी तक हो सकती हैं। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि इस कदम से घरेलू विनिर्माण क्षेत्र (Manufacturing Sector) को बढ़ावा मिलेगा, विशेष रूप से सेमीकंडक्टर, ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों में।
अमेरिकी उपभोक्ताओं पर असर
आर्थिक विश्लेषकों के मुताबिक, इस कदम का सबसे तात्कालिक असर अमेरिकी उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। उच्च टैरिफ के कारण चीन से आयातित वस्तुओं — जैसे स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहनों और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स — की कीमतें बढ़ जाएंगी। इससे मुद्रास्फीति पर दबाव बढ़ सकता है और घरेलू कंपनियों को अपने इनपुट कॉस्ट (Input Cost) में वृद्धि झेलनी पड़ सकती है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह नीति अमेरिकी अर्थव्यवस्था को “स्वावलंबी” बनाने की दिशा में कदम है, पर इससे अल्पकालिक झटके अवश्य लगेंगे।
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सॉफ्टवेयर निर्यात पर नियंत्रण
ट्रंप प्रशासन ने समानांतर रूप से घोषणा की है कि अब अमेरिका रक्षा, एआई, और उन्नत औद्योगिक सॉफ्टवेयर से जुड़े निर्यात पर सख्त नियंत्रण लगाएगा। इसका उद्देश्य चीन की हाई-टेक क्षमताओं को सीमित करना और अमेरिकी कंपनियों की तकनीकी बढ़त को बनाए रखना है। निर्यात नियंत्रण विशेष रूप से उन सॉफ्टवेयरों पर लागू होंगे जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता, साइबर सुरक्षा, और औद्योगिक स्वचालन के क्षेत्रों में प्रयोग किए जाते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि इन प्रतिबंधों से चीन की तकनीकी कंपनियों, विशेषकर एआई और इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र, पर गहरा असर पड़ेगा।
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रणनीतिक और राजनीतिक संदर्भ
नीतिगत विश्लेषकों का मत है कि यह कदम ट्रंप के “अमेरिका फर्स्ट” दृष्टिकोण का हिस्सा है, जो 2025 के चुनावी माहौल में घरेलू मतदाताओं को आकर्षित करने में मदद कर सकता है। वाशिंगटन के थिंक टैंक विशेषज्ञ डॉ. अलेक्जेंडर मिशेल ने कहा कि यह केवल आर्थिक निर्णय नहीं बल्कि “घोषित व्यापार युद्ध” की दिशा में एक और कदम है। यदि चीन जवाबी कार्रवाई में अमेरिकी उत्पादों पर प्रतिबंध या टैरिफ बढ़ाता है, तो यह विवाद वैश्विक अर्थव्यवस्था में अस्थिरता ला सकता है।
कूटनीतिक समीकरणों में बदलाव
कठोर व्यापारिक निर्णयों के बाद अमेरिका-चीन संबंधों में तनाव और बढ़ने की संभावना है। ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि वे अब चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से प्रस्तावित मुलाकात को टाल सकते हैं। उन्होंने कहा कि चीन द्वारा दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (Rare Earth Elements) की आपूर्ति पर नियंत्रण बढ़ाना वैश्विक हितों के विरुद्ध है। इन दुर्लभ धातुओं का प्रयोग इलेक्ट्रॉनिक्स, ऊर्जा भंडारण और रक्षा निर्माण में अत्यंत महत्वपूर्ण है, और इन पर चीन की बाजार हिस्सेदारी लगभग 80% है। अमेरिकी प्रशासन का मानना है कि बीजिंग की इस “सप्लाई-चेन पॉलिटिक्स” का तोड़ केवल आक्रामक आर्थिक जवाब से ही संभव है।
Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 11 October 2025 at 08:21 IST